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विशाखापत्तनम (एजेंसी)। देश का सबसे बड़ा सर्वेक्षण पोत ‘आईएनएस संधायक’ शनिवार को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल हुआ। पोत के जलावतरण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार मौजूद हैं।
इस मौके पर एडमिरल हरि कुमार ने अपने संबोधन में कहा, पिछले एक दशक में नौसेना ने अलग-अलग रेंज के अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म को लॉन्च किए हैं, चाहे वह शक्तिशाली विमानवाहक पोत ‘विक्रांतÓ हो, विशाखापत्तनम क्लास का ‘डेस्ट्रोयरÓ हो, बहुमुखी श्रेणी के ‘फ्रिगेटÓ, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां हों या गोताखोरी के लिए विशेष जहाज हो, हम उभरते हुए भारत की सेवा में एक संतुलित और आत्मनिर्भर बल का निर्माण कर रहे हैं। आखिरी तीन युद्धपोत और पनडुब्बियां पिछले दस वर्षों में नौसेना में शामिल किए गए हैं। वे सभी भारत में बनाए गए हैं और संधायक भारत में बनने वाला 34वां पोत है।
वहीं, रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, अगर मैं अपनी नौसैनिक ताकत की बात करूं, तो भारतीय नौसेना इतनी मजबूत हो गई है कि हिंद महासागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के मामले में हम पहले जवाब देने वाले बन गए हैं। वैश्विक व्यापार की बात करें तो हिंद महासागर को वैसे भी हॉटस्पॉट के तौर पर गिना जाता है। अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि कई चोक प्वाइंट हिंद महासागर में हैं, जिसके जरिए से बड़ी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है। इन चोक प्वाइंट्स पर कई खतरे बने हुए हैं। लेकिन सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं का है।
नौसेना के मुताबिक, कोलकाता के मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में चार बड़े सर्वेक्षण पोत निर्माणाधीन हैं। यह उनमें पहला है। आईएनएस संधायक का बंदरगाह और समुद्र दोनों में परीक्षण किया गया था। इसके बाद चार दिसंबर को इसे नौसेना को सौंप दिया गया था।
इस पोत की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नेविगेशन होगी। यह बंदरगाहों, नौवहन चैनलों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों के पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करेगा। अपनी द्वितीयक भूमिका में पोत नौसैनिक अभियानों को करने में सक्षम होगा। आईएनएस संधायक अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस है। जिसमें गहरे पानी के मल्टीबीम इको-साउंडर्स, पानी के नीचे चलने वाले वाहन, दूर से संचालित होने वाले वाहन, उपग्रह आधारित पॉजिशनिंग प्रणाली शामिल हैं।
आईएनएस संधायक इसी नाम के एक अन्य पोत का विकसित रूप है, जो एक एक सर्वेक्षण जहाज था। उस जहाज को 1981 में नौसेना में शामिल किया गया। साल 2021 में उसे सेवामुक्त कर दिया गया था। नया सर्वेक्षण जहाज दो डीजल इंजनों से संचालित है और 18 समुद्री मील से ज्यादा गति हासिल करने में सक्षम है।