शहनाइयों को तरस रहा है मोहलाई गाँव, जलसंकट के चलते इस गांव में नहीं ब्याही जाती बेटियां


धमतरी ( न्यूज़)। छत्तीसगढ़ के धमतरी में एक गाँव ऐसा भी है, जहां शादी की शहनाइयां सिर्फ इसलिए नहीं बज पा रही है, क्योंकि वहां पानी का गम्भीर संकट है। यह संकट गांव में पिछले करीब 30 वर्षों से बरकरार है। इसके चलते लोग इस गांव में अपनी बेटियां ब्याहने में हिचकते हैं। प्रशासन का कहना है कि जलस्तर काफी नीचे चले जाने की वजह से यह संकट खड़ा हुआ है।

धमतरी जिले का मोहलाई गाँव बारहमासी जलसंकट से जूझता है। दिनभर में एकाध टैंकर से पानी की आपूर्ति होती है, जिसके लिए ग्रामीणों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। ये हाल सिर्फ गर्मी में नहीं है, बल्कि यह सदाबहार समस्या है। आलम ये है कि पानी की समस्या की वजह से इस गांव में शादी की शहनाई नहीं बज पा रही है। इस गांव में कोई अपनी बेटी नहीं देना चाहता। धमतरी मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर दूर मोहलाई गांव के लोग पिछले 30 सालों से जल संकट से जूझ रहे हैं। गांव में 6-7 नल लगे हुए हैं, लेकिन किसी में भी पानी नहीं आता। सरकार की नल जल योजना यहां पूररी तरह से फ्लॉप साबित हो रही है। गांव में पानी का जलस्तर बहुत नीचे है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। दूरदराज से ग्रामीण पानी लाने को मजबूर हैं।

पानी की समस्या की वजह से यहां के लड़कों की शादी नहीं पो पा रही है। दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी को यहां ब्याहना नहीं चाहते। ग्रामीणों के मुताबिक, इस साल मोहलाई गांव में शादी की एक भी शहनाई नहीं बजी है। जो लोग यहां अपनी लड़की की शादी तय कर जाते हैं, वे भी जलसंकट की खबर होने पर रिश्ता तोड़ देते हैं। मोहलाई गांव में लगभग 800 लोग रहते हैं। ग्रामीण कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। भीषण गर्मी में तो हाल और भी बुरा है। रोज एक बार टैंकर से पानी गांव पहुंचता है। ऐसे में लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए कामकाज छोड़ घंटों पानी भरने के लिए लाइन में लगे रहते हैं। जल संकट दूर नहीं होने की स्थिति में ग्रामीणों ने गंगरेल बांध से पानी देने की गुहार प्रशासन से लगाई है।

स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, पानी की समस्या के कई कारण हैं। अधिकांश देखा जाता है कि किसान गर्मी के मौसम में रबी की फसल लगाते हैं, जिसमें अधिक पानी लगता है। इससे भू-जलस्तर नीचे गिरता जाता है। लेकिन मोहलाई गांव में किसी भी किसान ने रबी की फसल नहीं लगाई है। बावजूद इसके गांव का भूजल स्तर बहुत ज्यादा प्रभावित है।