आलाकमान ने नेताम का नाम आगे किया, सीएम के सभी दावेदारों में सहमति बनाने की कोशिश


गुरूवार को पर्यवेक्षकों के नाम होंगे घोषित, विधायक दल की बैठक में रविवार तक फायनल होगा सीएम
भिलाई । छत्तीसगढ़ समेत तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री बनाने की भाजपा की कवायद धीमी गति से आगे बढ रही है। मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदारों को दिल्ली बुलाकर राय-मशविरा किया गया है। पार्टी गुरूवार को पर्यवेक्षकों के नाम घोषित करेगी, जो शनिवार या रविवार को विधायक दल की बैठक लेकर नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करेंगे। इधर, इस बात की संभावना जोर पकड रही है कि भाजपाई सत्ता के लिए सीढिय़ां बने आदिवासी वर्ग से सीएम घोषित किया जा सकता है। दिल्ली के सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने सरगुजा क्षेत्र के आदिवासी नेता रामविचार नेताम का नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि इससे पहले सरगुजा से ही केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह, विष्णुदेव साय, पिछड़ा वर्ग से अरुण साव और सामान्य वर्ग से ओपी चौधरी के नामों की भी चर्चा चल रही है।

स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदारों को दिल्ली बुलाया। उनसे लगातार संवाद किया जा रहा है। मंगलवार को सांसद विजय बघेल को भी आलाकमान का संदेश मिला, जिसके बाद बघेल देर शाम दिल्ली रवाना हो गए। पार्टी के सीनियर नेताओं से मिली पुख्ता जानकारियों के मुताबिक, आलकमान छत्तीसगढ़ समेत तीनों राज्यों में मिशन 2024 को ध्यान में रखते हुए सीएम बनाना चाह रहा है। इसके लिए फूंक-फूंककर कदम भी पार्टी के नेता रख रहे हैं। किसी भी दावेदार की नाराजगी से पूरा खेल बिगडऩे का अंदेशा है, इसलिए आलाकमान चेहरे चुनने में बारीकियों का पूरा ध्यान रख रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सीएम पद के सभी दावेदारों से रायशुमारी कर ली गई है। उन्हें पार्टी आलाकमान के निर्णय से भी अवगत करा दिया गया है। पुख्ता खबरों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के भावी सीएम को लेकर कल दिल्ली में देर रात तक मंथन चलता रहा। इसके बाद रामानुजगंज से चुनाव जीतने वाले वरिष्ठ नेता, रामविचार नेताम के नाम पर मुहर लगा दी गई। नेताम पूर्व में विधायक, मंत्री और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अभी भी अरुण साव का नाम वरीयता सूची में है। अलबत्ता, यह पूरी तरह से तय है कि छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री या तो आदिवासी वर्ग से होगा या फिर पिछड़ा वर्ग से।

बताया जाता है कि आलाकमान ने सभी दावेदारों से चर्चा के बाद पर्यवेक्षक नियुक्त करने का निर्णय लिया है। पर्यवेक्षक कौन होंगे, उनके नाम का खुलासा कल यानी गुरूवार को किया जाएगा। इसके बाद आलाकमान का संदेश लेकर ये पर्यवेक्षक शनिवार या रविवार को राजधानी रायपुर पहुंचेंगे और विधायक दल की बैठक के बाद नए नेता यानी मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया जाएगा। प्रचलित परंपरा के विपरीत भाजपा छत्तीसगढ़ में उपमुख्यमंत्री भी बनाने जा रही है। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी एक सीनियर विधायक का नाम तय हो जाने की खबर है।

विजय बघेल को आया दिल्ली से बुलावा
कौन बनेगा मुख्यमंत्री की चर्चाओं के बीच पार्टी आलाकमान ने अचानक विजय बघेल को दिल्ली बुला लिया। विजय बघेल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पूरी दमदारी से चुनाव लड़ा था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव समेत कई और नेताओं के दिल्ली जाने के बाद अचानक विजय बघेल को बुलावा भेजने से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। इसे सीएम की रेस से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि पहले साहू (अरुण साव) और अब कुर्मी (विजय बघेल) को बुलाकर पार्टी आलाकमान सामाजिक जुड़ाव बनाए रखना चाहता है। छत्तीसगढ़ में इन दोनों वर्गो (पिछड़ा वर्ग) की बाहुल्यता है और साहू-कर्मी चुनाव के नतीजों को तय करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। बताया जाता है कि दोनों वर्गों के नेताओं को इसलिए भी बुलाया गया क्योंकि 6 माह बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं। पार्टी आलाकमान यह जानना चाह रहा है कि आदिवासी वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए जाने पर पिछड़ा वर्ग में नाराजगी तो नहीं फैलेगी?

विधायक दल की बैठक महज औपचारिकता
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शनिवार या रविवार को नया सीएम चुनने के लिए जो बैठक बुलाई गई है, वह महज औपचारिक है। इस बैठक में पर्यवेक्षक पार्टी आलाकमान का आदेश लेकर पहुंचेंगे और विधायकों को उस पर अपनी सहमति देनी है। पार्टी के तमाम प्रादेशिक नेताओं को पहले से ही दिल्ली बुलाकर इसीलिए हिदायत दी जा रही है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की लगातार तीन बार सरकार बनी, लेकिन 2018 में कांग्रेस ने अभूतपूर्व बहुमत हासिल किया था। वर्तमान में सीएम की रेस में पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता डॉ. रमन सिंह का नाम लिया जा रहा है, लेकिन पार्टी आलाकमान जातीय समीकरणों के हिसाब से गोटियां बिठा रहा है। इसलिए इस बार सीएम के लिए सामान्य वर्ग से गुंजाइश नहीं बन पा रही है। पार्टी में डॉ. रमन का बेहद सम्मान है और छत्तीसगढ़ से संबंधित फैसलों से पहले उनकी राय बहुत महत्वपूर्ण है। चर्चा है कि पार्टी उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़वा सकती है। बाद में उन्हें केन्द्रीय मंत्री भी बनाया जा सकता है।

आदिवासी और पिछड़ा वर्ग का गणित
दिल्ली से आ रही खबरें बताती है कि छत्तीसगढ़ को आदिवासी मुख्यमंत्री मिलना करीब-करीब तय है। यदि इसमें कोई दिक्कत आती है तो पिछड़ा वर्ग पर दाँव चला जाएगा। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि सीएम आदिवासी पर्द से हुआ तो उपमुख्यमंत्री का पद पिछड़ा वर्ग के खाते में जाएगा। इसके उलट यदि पिछड़ा वर्ग से सीएम बनाया जाता है तो उपमुख्यमंत्री का पद आदिवासी के हिस्से आएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, भाजपा ने पूरे चुनाव में ओबीसी के साथ ही आदिवासी वोटों को भी साधने का काम किया। इसलिए यह कतई संभव नहीं है कि इन दोनों वर्गों की अनदेखी की जाए। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने भले ही पूरे 5 वर्ष तक ओबीसी की राजनीति की हो, लेकिन भाजपा आलाकमान छत्तीसगढ़ को आदिवासी राज्य के रूप में देखता है। यहां उनकी आबादी 32 फीसद के आसपास है। पिछला चुनाव हारने के बाद से भाजपा के आला नेता लगातार बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों में सक्रिय रहे और अपनी जमीन मजबूत करने में लगे रहे थे।