कई सीटें कांग्रेस के लिए दिवास्वप्न! परचम लहराने कांग्रेस लगा रही पूरा जोर, भाजपा इस बार भी जीत के प्रति आश्वस्त


रायपुर ( न्यूज़)। कुल 11 सीटों वाले छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे ही सही, शबाब पर है। यहां कई ऐसी सीटें हैं, जहां जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए दिवास्वप्न है। हालांकि पार्टी के नेता इस बार इन सीटों पर कड़ी चुनौती देने की बात कर रहे हैं। वहीं भाजपा अपनी इन परंपरागत सीटों पर जीत के प्रति आश्वस्त है। दरअसल, अलग राज्य बनने से पहले से ही छत्तीसगढ़ की कई सीटों पर कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई। राज्य बनने के बाद भी कांग्रेस का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहा। ये ऐसी सीटें हैं जो अब भाजपा का अपराजेय किला कहलाती हैं। राज्य में कांग्रेस की सत्ता रहने के बावजूद इन सीटों पर भाजपा को हराया नहीं जा सका। कांग्रेस ने इस बार टिकट वितरण ऐसी ही सीटों को ध्यान में रखकर किया है। इसके लिए दीगर क्षेत्रों से प्रत्याशी लाकर उतार दिए गए हैं, ताकि जातीय व सामाजिक समीकरणों को साधकर उन सीटों पर कड़ी चुनौती पेश की जाए, जहां जीत की संभावना कम है।

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से छह भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कही जाती हैं और वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से यह पार्टी एक बार भी इन सीट पर नहीं हारी है। कांग्रेस को भरोसा है कि वह इस बार भाजपा के किलों को भेदने में कामयाब होगी, जबकि भाजपा आश्वस्त है कि वह अपनी जीत बरकरार रखेगी तथा राज्य की अन्य लोकसभा सीट पर भी कब्जा जमाएगी। इन छह सीटों में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कांकेर, सरगुजा तथा रायगढ़, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर-चांपा और सामान्य वर्ग की रायपुर तथा बिलासपुर सीटें शामिल हैं। राजनांदगांव लोकसभा सीट पर भाजपा 2000 से लगातार जीत रही है, लेकिन 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस विजयी हुई थी। इस बार कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यहां से मैदान में उतारा है। हालांकि कुछ ऐसी ही स्थिति दुर्ग लोकसभा की भी है। यहां कांग्रेस को 2014 में सिर्फ एक बार जीत मिली।

भाजपा का प्रदर्शन रहा है शानदार
मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ के विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा है। भाजपा ने 2003 से 2018 तक 15 वर्षों तक राज्य में लगातार सत्ता संभाली और 2023 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद चौथी बार सत्ता में आई। भाजपा ने 2004, 2009 और 2014 में 10 लोकसभा सीट जीती थीं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नौ सीट जीतने में कामयाब रही। दोनों दलों ने राज्य में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और सात मई को तीन चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं।

कांग्रेस ने बिठाया सामंजस्य
कांग्रेस ने भाजपा के छह गढ़ों को भेदने के लिए एक मौजूदा विधायक, दो पूर्व विधायकों जिनमें एक मंत्री भी रहे, दो नए चेहरों और एक अनुभवी नेता पर दांव लगाया है। रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने निवर्तमान सांसद सुनील सोनी को हटाकर आठ बार के विधायक एवं विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। वर्ष 2019 में सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3,48,238 मतों के अंतर से हराया था।

यहां हैं आमने-सामने का मुकाबला
महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल रमेश बैस ने भाजपा के टिकट पर सात बार (1989, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में) जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस बार रायपुर सीट से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है। कांकेर लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने निवर्तमान सांसद मोहन मंडावी को टिकट नहीं दिया है और पूर्व विधायक भोजराज नाग को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। ठाकुर पूर्व में पंचायत निकायों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ठाकुर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांकेर क्षेत्र से 6,914 मतों के अंतर से मंडावी से हार गए थे। वहीं, भाजपा ने जांजगीर-चांपा सीट से निर्वतमान सांसद गुहाराम अजगले को भी टिकट नहीं दिया है और नए चेहरे के तौर पर महिला नेता कमलेश जांगड़े को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से प्रदेश के पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया चुनाव लड़ रहे हैं। सरगुजा में भाजपा ने हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदला और सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है। इस बार इस सीट से पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज को टिकट मिला है। वहीं, कांग्रेस ने अपनी युवा नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को मैदान में उतारा है। रायगढ़ सीट से भाजपा ने नए चेहरे राधेश्याम राठिया को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह पर भरोसा जताया है। सिंह राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पूर्व सारंगढ़ शाही परिवार से हैं। बिलासपुर सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक तोखन साहू और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक देवेन्द्र यादव के बीच मुकाबला होगा। इसी तरह दुर्ग में भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद विजय बघेल को उतारा है तो कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में राजेन्द्र साहू को टिकट दिया है।