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सरोज, भूपेश, ताम्रध्वज के बाद दुर्ग का एक और नेता बना लोकसभा प्रत्याशी
रायपुर ( न्यूज़)। छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश के इतिहास की संभवत: यह बिरली घटना हो कि किसी संसदीय चुनाव में एक ही जिले के 4 नेताओं को टिकट दी गई है। मंगलवार की मध्यरात्रि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के बाकी बचे 4 प्रत्याशियों का ऐलान किया। जिसमें भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। इससे पहले दुर्ग जिले की सरोज पाण्डेय को भाजपा ने कोरबा से प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव और पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया। अब देवेन्द्र को बिलासपुर से टिकट दिए जाने के बाद जिले के कुल 4 नेता लोकसभा चुनाव में दमखम दिखाते नजर आएंगे। इनमें से सरोज पाण्डेय और ताम्रध्वज साहू पूर्व में दुर्ग से ही सांसद रह चुके हैं। सरोज राज्यसभा का भी प्रतिनिधित्व कर चुकीं हैं। उनका कार्यकाल पिछले महीने ही खत्म हुआ है। वहीं ताम्रध्वज साहू पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे। वर्तमान में भूपेश बघेल और देवेन्द्र यादव विधायक हैं।
राज्य की सभी 11 सीटों पर मुख्य रूप से भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता आया है। हालांकि एक-दो सीटों के नतीजों को दूसरे दल प्रभावित जरूर करते हैं, लेकिन स्वयं नतीजे हासिल करने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस द्वारा मध्यरात्रि 4 प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद सभी 11 सीटों पर चुनावी तस्वीर साफ हो गई है। भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के टोखन साहू से होगा। यह सीट जातीय समीकरणों से प्रभावित है, इसीलिए दोनों दलों ने पिछड़ा वर्ग को तरजीह दी है। सरगुजा से शशि सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उनका मुकाबला भाजपा के चिंतामणि महाराज से होगा। वहीं कांकेर से बीरेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है। ठाकुर सीधे तौर पर भाजपा के भोजराज नाग से भिड़ेंगे। रायगढ़ से डॉ. मेनका देवी सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। उनका मुकाबला भाजपा के राधेश्याम राठिया से होगा। इससे पहले कांग्रेस ने पहले 5 और फिर 1 सीट पर प्रत्याशी घोषित किए थे। इकलौती सीट बस्तर से पूर्व मंत्री कवासी लखमा को उम्मीदवार बनाया गया है।
जातीय समीकरणों का रखा ध्यान
प्रत्याशियों की घोषणा में भारतीय जनता पार्टी ने जहां जातीय समीकरणों को किनारे कर मोदी मैजिक पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने एक-एक सीट पर सामाजिक और जातीय समीकरण का ध्यान रखा है। महासमुंद में साहू समाज की बाहूल्यता को देखते हुए वहां से ताम्रध्वज साहू को उतारा गया है तो राजनांदगांव में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मैदान में हैं। देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से इसी जातीय समीकरण के चलते टिकट दी गई है। हालांकि इस सीट से देवेन्द्र का नाम काफी समय से चल रहा था, लेकिन कई कारणों से उनकी टिकट पचड़े में पड़ती हुई भी नजर आई थी। कांग्रेस ने तमाम कारणों को किनारे लगाकर देवेन्द्र पर भरोसा जताया है। यह ऐसे समय में हुआ है, जबकि उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
पिछली सरकार में रहा दुर्ग का जलवा
पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में दुर्ग जिले का खासा जलवा रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्ग जिले से थे तो गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भी दुर्ग ग्रामीण सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। पीएचई मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने भी दुर्ग की अहिवारा सीट से चुनाव जीता था। दुर्ग शहर से विधायक अरुण वोरा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमैन बनाया गया था। इस तरह छत्तीसगढ़ की सरकार काफी हद तक दुर्ग जिले से ही चलती थी। हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव में गुरू रूद्रकुमार ने अहिवारा की बजाय नवागढ़ से चुनाव लड़ा और बुरी तरह पराजित हुए तो दुर्ग शहर सीट से अरुण वोरा को पराजय का मुंह देखना पड़ा। पिछली सरकार में नंबर 2 रहे ताम्रध्वज साहू की हार ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंकाया, लेकिन छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री के चुनाव हारने का रिकार्ड इस बार भी बरकरार रहा। छत्तीसगढ़ की 6 में से सिर्फ 2 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। वर्तमान में यही दोनों विधायक सांसद का चुनाव भी लड़ते नजर आ रहे हैं।
जीते को दुर्ग जिले से होंगे 5 सांसद
दुर्ग जिले के सभी नेताओं को अलग-अलग संसदीय सीट से टिकट दी गई है। ऐसे में यदि सभी प्रत्याशी जीतते हैं तो दुर्ग जिले से कुल 5 सांसद हो जाएंगे। दुर्ग संसदीय सीट से भाजपा ने वर्तमान सांसद विजय बघेल को बरकरार रखा है, वहीं कांग्रेस ने जातीय और सामाजिक वोटों को देखते हुए राजेन्द्र साहू को प्रत्याशी बनाया है। राजेन्द्र साहू कांग्रेस के युवा और अनुभवी नेता हैं और पाटन में भूपेश बघेल के चुनाव की कमान संभालते रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकार के दौरान वे जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष थे। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के कई दिग्गज नेताओं ने इस बार ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया है। पृथक राज्य बनने के बाद से अब तक कांग्रेस के खाते में महज 1 या 2 सीटें ही आती रही है। जिस तरह से जातीय और सामाजिक समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस ने प्रत्याशी तय किए हैं, उससे जाहिर तौर पर नतीजे रोमांचक होने की संभावना है।
…इन 4 सीटों पर घोषित हुए प्रत्याशी
कांग्रेस ने सरगुजा, कांकेर, रायगढ़ और बिलासपुर की सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है। इनमें से सरगुजा सीट से भाजपा के चिंतामणि महाराज और कांग्रेस की शशि सिंह के बीच मुख्य मुकाबला होगा। वहीं कांकेर सीट से भाजपा के भोजराज नाग और कांग्रेस के बीरेश ठाकुर तो रायगढ़ सीट से भाजपा के राधेश्याम राठिया और कांग्रेस की डॉ. मेनका देवी सिंह आमने-सामने होंगे। बिलासपुर सीट से भाजपा के टोखन साहू और कांग्रेस के देवेंद्र सिंह यादव के बीच मुकाबला होगा। इस संसदीय चुनाव में 3 विधायक मैदान में थे। इनमें भूपेश बघेल, बृजमोहन अग्रवाल और कवासी लखमा शामिल थे। लेकिन अब देवेन्द्र यादव के रूप में चौथा विधायक भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर गया है। जो भी विधायक संसदीय चुनाव जीतेगा, जाहिर है कि उस सीट पर उपचुनाव कराना होगा।