मतदान की उलझनों में फँस गए प्रत्याशी, कहां, कौन, किसका बिगाड़ रहा खेल, कहीं ज्यादा तो कहीं कम मतदान ने बढ़ाई टेंशन


रायपुर ( न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में मतदान के पश्चात जहां राजनीतिक दल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, वहीं दूसरी ओर प्रत्याशियों के समक्ष कई तरह की उलझनें हैं। किस क्षेत्र में, कौन, किसका खेल बिगाड़ रहा है, इस पर अब भी चिंतन-मनन चल रहा है। कई क्षेत्रों में ज्यादा वोटिंग को लेकर प्रत्याशी परेशान हैं तो कहीं कम वोटिंग से। हालांकि जैसे-जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आ रही है, प्रत्याशियों की धड़कनें भी बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ की कुल 7 लोकसभा सीटों के 58 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा व कांग्रेस का समीकरण एक दूसरे पर भारी पड़ता दिख रहा है। कहीं भाजपा की स्थिति कमजोर नजर आ रही है तो कहीं कांग्रेस का हाथ साथ छोड़ता दिख रहा है। प्रत्याशियों की चिंता की सबसे बड़ी वजह भी यही है। माना जाता है कि जिन सीटों पर ज्यादा मतदन होता है, वहां के नतीजे सरकार के पक्ष में कम ही जाते हैं।

तीन चरणों में मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद जनमत ईवीएम में कैद हो चुका है और 4 जून का इंतजार राजनीतिक दलों के साथ ही प्रत्याशियों पर भी भारी पड़ रहा है। जीत-हार का गुणा-गणित बैठाने में जुटे राजनीतिक दलों ने नतीजों को लेकर आंकलन शुरू किया था। प्राथमिक समीक्षा के बाद भाजपा ने सभी सीटों पर जीत का दावा किया, लेकिन कांग्रेस का आंकलन इससे सर्वथा अलग रहा। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह कम से कम 4 से 5 सीटें जीततने जा रही है। अब भी कई सीटों पर हुए मतदान का बारीक मूल्यांकन किया जा रहा है। जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ में सात लोकसभा सीटों के 58 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों का पूरा समीकरण एक दूसरे पर भारी पड़ता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में एक लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां भाजपा की स्थिति कमजोर है। विधानसभा में इन आठ सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इन्ही विधानसभा क्षेत्रों में 12 फीसद ज्यादा मतदान दर्ज किया गया है। ऐसा माना जाता है जिन सीटों पर ज्यादा मतदान होता है,वहां के नतीजे सरकार के पक्ष में कम ही जाते हैं। फिर भी जिन क्षेत्रों में कांग्रेस की पकड़ मजबूत है वहां ज्यादा मतदान का होना सत्तारूढ़ दल के लिए चिंता का सबब जरूर है।

कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में बढ़ा मतदान
जांजगीर चांपा, अकलतरा, सक्ती, चंद्रपुर, जैजैपुर, बिलाईगढ़, कसडोल में कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों की बात करें तो सभी सीटों पर 2019 की तुलना में 2024 में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। जांजगीर चांपा की बात करें तो 2019 में यहां 67.50 वोट पड़े थे, जबकि 2024 में 73.01 फीसदी मतदान हुआ है। अकलतरा में 63.50 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2024 में 71.39 फीसदी मतदान हुआ है। सक्ती में 2019 में 69.95 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2024 में 71.79 फीसदी मतदान हुआ है। चंद्रपुर में 60.02 फीसदी हुआ था जबकि 2024 में 68.88 फीसदी मतदान हुआ है। जैजैपुर में 2019 में 59.31 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2024 में 65.01 फी सदी मतदान हुआ है। वहीं, पामगढ़ में 2019 में 59.41 फीसदी के मुकाबले 2024 में 64.48 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि बिलाईगढ़ में 60.4 0 फीसदी मतदान 2019 में हुआ था जबकि 2024 में 65.24 फीसदी मतदान हुआ है। इसी तरह कसडोल में 55.40 मतदान 2019 में हुआ था जबकि 2024 में 64 फीसदी मतदान हुआ है।

इन क्षेत्रों में भी हुई ज्यादा वोटिंग
दुर्ग लोकसभा सीट के पाटन की बात करें तो वहां पर कांग्रेस जीती हुई है। यहां पर 2019 में 73 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि 2024 में 81.98 फीसदी मतदान हुआ है। वहीं, भिलाई नगर की बात करें तो भिलाई नगर में 64.40 फीसदी मतदान हुआ था। सिर्फ एक सीट ऐसी है जिसमें 2024 में 64.32 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछले साल से थोड़ा कम है। बिलासपुर के मस्तूरी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां 2019 में 53 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि 2024 में 59.2 फीसदी मतदान हुआ है। कोटा विधानसभा सीट कांग्रेस की जीती हुई है। यहां 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में 58 फीसद मतदान हुआ था। इसके मुकाबले में इस बार यानी 2024 में 69.66 फीसद मतदान हुआ है। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की सारंगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां 2019 में 62 फीसद मतदान हुआ था, जबकि इस बार यहां 74.6 फीसद मतदान हुआ है। इसी तरह खरसिया सीट कांग्रेस के कब्जे में है। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में 74.6 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2024 में 84.6 फीसदी मतदान हुआ है। लैलूंगा विधानसभा सीट भी कांग्रेस के कब्जे में है। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में 72.5 फीसद मतदान हुआ था। वहीं इस बार इस विधानसभा सीट में कुल 84.6 फीसद मतदान हुआ है।

मतगणना से पहले कांग्रेस की अहम् बैठक
राजनीतिक दलों में काउंटिंग को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। कांग्रेस ने काउंटिंग को लेकर तैयारी करनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में बुधवार को कांग्रेस वार रूम में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें मतगणना के दौरान पार्टी प्रतिनिधियों को किन बातों का ख्याल रखना है ,कैसे नजर रखनी है ,कहीं भी मतगणना में गड़बड़ी होती है तो उस पर क्या करना है, इन सारी बातों की चर्चा की गई। साथ हर लोकसभा में मतगणना केंद्र में जाने वाले प्रतिनिधियों को कई टिप्स भी दिए गए। छत्तीसगढ़ कांग्रेस वॉर रूम के प्रभारी शैलेष नितिन त्रिवेदी के मुताबिक, कांग्रेस की इस बैठक में सभी लोकसभा प्रभारियों को बुलाया गया था। मतगणना को लेकर उनकी राय ली गई। इसके अलावा काउंटिंग को लेकर भी चर्चा हुई है। कैसे निष्पक्ष मतदान को लेकर कार्ययोजना बनानी है इस पर भी चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि मतगणना एजेंट को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें इस बात की जानकारी दी गई है कि किस तरह से मतगणना केंद्र में वोटों का मिलान करना है। वीवीपैट और एवं उसमें पड़े फोटो की किस तरह से जानकारी हासिल करनी है। उनमें यदि किसी तरह का अंतर पाया जाता है तो उस पर विशेष नजर रखनी है। इसकी सूचना वॉर रूम को देनी है। त्रिवेदी के मुताबिक, हमारी कोशिश है कि सही तरीके से मतगणना हो। हमें विश्वास है कि यदि मतगणना निष्पक्ष रूप से हुई तो छत्तीसगढ़ में नहीं पूरे देश में कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत होगी।