Polling Station Sheradand : छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा मतदान केंद्र शेराडांड



Polling Station Sheradand कोरिया ! जब भी लोकतन्त्र का पर्व विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नजदीक आता है । शेराडांड मतदान केंद्र सुर्खियों में आ जाता है।


छतीसगढ़ की पहली विधानसभा भरतपुर सोनहत के शेराडाँड़ गांव में केवल पांच मतदाता है जिनके मतदान के लिए यहां प्रशासन द्वारा मतदान केंद्र बनाया जाएगा । यह मतदान केंद्र छतीसगढ़ का सबसे छोटा मतदान केंद्र है सम्भवतः देश का भी सबसे छोटा मतदान केंद्र शेराडाँड़ ही है ।

Polling Station Sheradand लोकतन्त्र में मतदान का अधिकार 18 बर्ष से उपर प्रति नागरिक को है। मताधिकार का प्रयोग कर पाने के लिए प्रदेश के सबसे छोटे मतदान केंद्र शेराडांड में चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी सभी आवश्यक इंतजाम करते हैं जिसका परिणाम है पहुंच विहिन घने जंगलों के बीच शेराडांड में अस्थाई झोपड़ी बनाकर मतदान सम्पन्न करवाया जाता है। पंद्रह साल पहले दो हजार आठ में यह मतदान केंद्र तब सुर्खियों में आया जब यहां केवल दो मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र एक झोपड़ी में बनाया गया था कोरिया जिले के सोनहत ब्लाक के चंदहा ग्राम पंचायत का आश्रित गांव है शेराडाँड़ । घने जंगलों के बीच इस शेराडाँड़ में केवल तीन घर है ।

Polling Station Sheradand एक घर मे साठ साल के महिपाल राम नामक बुजुर्ग अकेले रहते है । दूसरे घर मे रामप्रसाद चेरवा अपनी पत्नी सिंगारो और चार बच्चों के साथ रहता है जबकि तीसरे घर मे दसरु राम अपनी पत्नी सुमित्रा एक बेटी और एक बेटे के साथ निवास करता है। इसका एक बेटा गांव से बाहर रहकर पढ़ाई करता है । इन तीन घरों को मिलाकर कुल पांच मतदाता है जिसमे तीन पुरुष और दो महिला मतदाता है। इनमें से दसरू राम अपना परिवार लेकर यहां पांच साल पहले जशपुर से आकर बसा है। वह और उसकी पत्नी सुमित्रा शेराडाँड़ में पहली बार मतदान करेंगे। शेराडाँड़ में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान कराने के लिए मतदान दल गांव के पास से निकली मुड़की नदी को पार कर यहां पहुचते है।

शेराडाँड़ का यह मतदान केंद्र क्रमांक एक सौ तिरालिस भरतपुर सोनहत विधानसभा क्रमांक एक मे आता है । दो हजार आठ से यहां अब तक झोपड़ी तैयार कर मतदान कराया जाता रहा है लेकिन अब यहां एक पक्के भवन का निर्माण हो गया है जिसमे इस बार के चुनाव में मतदान संपन्न होगा। मतदान दल यहां दो दिन पहले ट्रैक्टर वाहन के माध्यम से पहुच पाते है और दो रात यही रुककर मतदान करवाते है । हर बार यहां सौ फीसदी मतदान होता है । इसके अलावा इसी विधानसभा के कांटो में बारह तो रेवला में तेईस मतदाता है जो दुर्गम क्षेत्र में है। चंदहा से शेराडाँड़ तक पांच किलोमीटर तक सड़क और पुल न होने से जाने में काफी परेशानी भी होती है ।


शेराडांड के मतदाता कहते हैं कि हम सभी प्रकार के मूलभूत सुविधाओं से वंचित है चुनाव के समय हर बार भरोशा दिलाया जाता है पर सुविधाएं अभि तक नहीं मिल पा रही।


बंसल न्यूज की टीम ग्राउंड में पहुंची तो देखने को मिला वास्तव में कच्चे मकान के सिवाय इनके पास किसी प्रकार की मूलभूत सुविधा नहीं है। वन भूमि में खेती बाड़ी कर जीवन यापन कर रहे नदी ढोंढी के पानी से गुजारा कर रहे । शिक्षा, स्वास्थ, के लिए घनों जंगलों को पार कर आने जाने में बहुत कठिनाई है।
आधुनिकता से अपरिचित हैं वन मानुष तो नहीं कह सकते लेकिन पुरी दिनचर्या वनमानुष की तरह जीव जंतु, पशु पक्षी, जंगली जानवरों के बीच वन पर्यावरण में गुजार देते हैं।

शेराडांड _लोगों के बताए अनुसार बरूपहाड़ व गिद्धछटा पहाड़ के मध्य स्थित डांड (समतल) क्षेत्र के खंधरा खोह में बंडा (पूंछकटा) शेर रहता था
जिससे शेराडांड नामकरण माना जाता है।

मतदाता के साथ 121
कोरिया राजू शर्मा के साथ

महिपाल राम (बुजुर्ग मतदाता , पका बाल)

सिंगारों बाई (महिला मतदाता)

गंगाराम( लाल टी शर्ट )