Chhattisgarh Politics Breaking  डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के बयान से प्रदेश की राजनीति में भूचाल


Chhattisgarh Politics Breaking रायपुर। छत्तीसगढ़ का चुनाव नतीजे तीन नवम्बर को आएंगे उसके पहले ही सीएम पद को लेकर फिर खींचतान तेज हो गई है। डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के बयान से प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। उन्होंने सीएम पद को लेकर कहा कि हाई कमान ही तय करेगा कि छत्तीसगढ़ का सीएम कौन होगा।

Chhattisgarh Politics Breaking  अंबिकापुर समेत दूसरे चरण के मतदान की समीक्षा के बाद डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने एक बड़ा बयान दिया और कहा कि अब मैं चुनाव नहीं लडूंगा। पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसका निर्वहन करते रहूंगा।

Chhattisgarh Politics Breaking  कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश का सीएम कौन होगा, इस सवाल के जवाब पर टीएस सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश का अगला सीएम कौन होगा यह हाईकमान तय करेगा। इसके साथ ही डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने कहा कि प्रदेश में दो तिहाई बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनेगी।

राज्य में मतदान हुए अभी ठीक से चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे, कि सरगुजा के महाराज और राज्य के डिप्टी सीएम ने आगे चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर सनसनी फैला दी। इसके पीछे जानकार भले ही ढाई-ढाई साल का गणित बता रहे हों, मगर असल कारण कुछ और ही है।

आखिर क्यों सरगुजा के महाराज ने किया आगे चुनाव लड़ने से इंकार ? क्या है कांग्रेस के अंदर कुर्सी की रार ? किसके सिर पर सजेगा छत्तीसगढ़ के सीएम का ताज ? क्या छत्तीसगढ़ में टूट जाएगी जय-वीरू की जोड़ी ?आज हम खोलेंगे कांग्रेस का ये सियासी राज़ ?

Chhattisgarh Politics Breaking  2018 के चुनाव के चाणक्य इन सारी चीजों को समझने के लिए आपको एक बार साल 2018 के चुनाव की ओर लेकर जाना पड़ेगा। जब कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए सरगुजा के महाराज ने पूरे राज्य से किसानों और आम आदमी की राय इकट्ठी कर कांग्रेेस का घोषणा पत्र तैयार किया।

किसानों का कर्जा माफ, बिजली का बिल हॉफ, की घोषणा ने 15 साल से सत्ता में जमीं भाजपा को छत्तीसगढ़ से साफ कर दिया। इसके पीछे जिस चाणक्य जैसे विद्वान का तेज दिमाग था, वे सरगुजा के महाराज टीएस सिंहदेव यानि बाबा ही थे।

अब कांग्रेस के जीतने के बाद दिल्ली में कांग्रेस भवन में मैराथन बैठक के बाद ढाई-ढाई साल के सीएम की रणनीति तय हुई। उसके बाद लोग एयरपोर्ट की ओर निकल पड़े, रास्ते में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने ऐसी चाबी ऐंठी कि दोबारा बीच रास्ते से इनको वापस बुलाया गया।

Chhattisgarh Politics Breaking  उसके बाद भूपेश बघेल को वहीं से सीएम घोषित कर दिया गया। सिंहदेव को स्वास्थ्य विभाग से संतोष करना पड़ा। पूरे प्रदेश के जानकार टीएस सिंहदेव में राज्य का मुख्यमंत्री तलाश रहे थे। तो कांग्रेेस के रणनीतिकारों ने बड़ी चालाकी से सिंहदेव को बड़ी आसानी से हाशिए पर डाल दिया गया।

जब चुनाव काफी नजदीक आ गया, कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगा कि बिना सरगुजा नरेश के कुछ नहीं होने वाला, तो इन्होंने बड़ी सफाई से इनको डिप्टी सीएम का ताज पहनाकर अपने सारे पाप धोने का काम किया। इसी को कहते हैं कि गाय मार कर जूता दान।

अब आपको ये भी बता दें कि कहां टकराई राजनीति और कूटनीति ? वह जगह थी बेमेतरा जहां राहुल गांधी ने इशारों ही इशारों में भूपेश बघेल को कहा था कि फिर आपको इन गरीबों के कागजों पर साइन करना पड़ेगा।

मतलब साफ है कि राज्य के अगले सीएम फिर से भूपेश बघेल बनाए जाएंगे। अब एक पंच वर्षीय तो जैसे -तैसे बाबा साहब ने झेल लिया।

उसके बाद भी उनके साथ फिर वही खेल दुहराया जाएगा ? भला ऐसा कौन सा आदमी है जो बर्दाश्त करेगा ? वह भी एक गद्दीनशीन राजा ?

इतने सारे सियासी दंश झेलते-झेलते किसी की भी सहनशक्ति जवाब दे जाएगी। वही सरगुजा नरेश के साथ भी हुआ। उन्हें जब इस बात का आभास हो गया कि सीएम की कुर्सी तो पहले से ही तय हो चुकी है।

तो उन्होंने सीधे-सपाट और दो टूक लहजे में कह दिया कि वे अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसी का निर्वहन करेंगे।

अब जानकार ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या छत्तीसगढ़ की सियासत में जय-बीरू की जोड़ी टूट गई है ? क्या छत्तीसगढ़ से सरगुजा राजघराने की सियासत अब अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी है ?

तमाम ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आने वाला समय ही दे सकेगा। फिलहाल सरगुजा नरेश ने एक तरह से दो टूक लहजे में अपनी बात कांग्रेस के सामने रख दी है।

तो कुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि ये मतगणना के पहले कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों पर दिमागी दबाव बनाने की सरगुजा महाराज की कोशिश तो नहीं ? ऐसे में देखना अब ये होगा कि कांग्रेस आलाकमान की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है ?