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Legislative Assembly election results of four states : नयी दिल्ली ! वर्ष 2024 में दिल्ली की गद्दी के लिए होने वाले चुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल कौन जीतेगा , चार राज्यों के विधानसभा चुनाव का फाइनल स्कोर क्या रहेगा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले लोकसभा चुनाव से पहले गुड न्यूज मिलेगी या कांग्रेस नेता राहुल गांधी चौका लगाएंगे , मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल अपनी सरकार बचा पाएंगे या नहीं। इन सारे सवालों के जवाब मिलने में अब चंद घंटे बाकी हैं।
रविवार सुबह सात बजे से मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में शुरू होगी वोटों की गिनती। सबसे पहले बैलेट वोट गिने जाएंगे, सुबह आठ बजे से आने लगेगा चार राज्यों से नतीजों की शुरुआती रुझान।
Legislative Assembly election results of four states : मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है जबकि तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को अपनी सत्ता बचाने के लिए कांग्रेस से संघर्ष करना पड़ सकता है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में नई सरकार बनने वाली है। इन पांच राज्यों की 675 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। रविवार को सिर्फ चार राज्यों के 635 सीटों पर ही वोटों की गिनती होगी। मिजोरम के उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला अब चार दिसंबर को होगा।
Legislative Assembly election results of four states : राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं, मगर वहां कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के बाद 199 सीटों पर ही मतदान हुआ। एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है, जबकि राजस्थान में भाजपा का पलड़ा भारी है।
हिंदी प्रदेश के तीन राज्यों में 519 सीटों पर फैसला होना है। एग्जिट पोल्स के मुताबिक, 119 विधानसभा वाली तेलंगाना में कांग्रेस ने बढ़त ली है। निर्वाचन आयोग मतगणना की तैयारियां पूरी कर चुका है। वोटों की गिनती रविवार सुबह सात बजे शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट गिने जाएंगे। इसके बाद सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों के सामने ईवीएम से मतगणना शुरू होगी।
Legislative Assembly election results of four states : लोगों की नजरें मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं। गत 17 नवंबर को मध्यप्रदेश की 230 सीटों पर वोटिंग हुई थी। सवाल यह है कि क्या कमलनाथ तीन साल पहले छीनी गई सत्ता दोबारा हासिल करेंगे या शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना उन्हें फिर से सीएम की कुर्सी सौंपेगी। विधानसभा चुनाव 2023 में मध्यप्रदेश की जनता ने 66 साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया। मध्य प्रदेश में इस बार रेकॉर्ड 76.22 प्रतिशत मतदान हुआ। मल्हारगढ़, जावद, जावरा, शाजापुर, आगर मालवा, शुजालपुर, कालापीपल और सोनकच्छ में 85 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई। बंपर वोटिंग के बाद सरकार बदलने की चर्चा भी गरम रही।
गत 30 नवंबर को आए एग्जिट पोल ने इशारा दिया कि मध्यप्रदेश में मामला एकतरफा नहीं है। कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों के नतीजे 2018 की तरह नहीं होंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस बेल्ट में एकतरफा जीत मिली थी। तब कांग्रेस को 26 और भाजपा को सिर्फ सात सीटें मिली थीं। वर्ष 2018 के चुनाव के बाद कांग्रेस ने पहले सरकार बनाई थी, मगर 19 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद सत्ता बदल गई थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। तब कांग्रेस को 40.89 फीसदी वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 41 फीसदी वोट मिले थे। इस बार मालवा और निमाड़ में भी भाजपा को फायदा मिल सकता है। शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, कमलनाथ, जीतू पटवारी, नरेंद्र सिंह तोमर, रीति पाठक, गणेश सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल, राकेश सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मध्यप्रदेश के परिणाम तय करेंगे कि जीतेगा कौन ,कमलनाथ या शिवराज सिंह चौहान।
200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत हासिल करने वाली पार्टी को 101 के जादुई नंबर को हासिल करना
है। श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर के कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण 25 नवंबर को 199 सीटों पर मतदान हुआ। दो दशकों से राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कांग्रेस के दोनों नेताओं सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने दावा किया है कि इस बार परंपरा बदलेगी। कांग्रेस सरकार में वापस लौटेगी। भाजपा को उम्मीद है कि परंपरा कायम रहेगी और राजस्थान में सरकार बदलेगी। यहां 25 नवंबर को वोट डाले गए थे। राजस्थान में भी बंपर वोटिंग हुई। राज्य में पहली बार 75.45 फीसदी मतदान हुआ, मगर लोगों की नजरें मतगणना के बाद आने वाले नतीजे पर टिकी हैं। राजस्थान में वोटिंग के बाद दस एजेंसियों ने एग्जिट पोल के आंकड़े जारी किए। इनमें सात ने भाजपा को बहुमत मिलने का दावा किया।
एक्सिस माय इंडिया, टुडे-चाणक्य और सीएनएक्स के मुताबिक कांग्रेस को भी 100 सीटों वाला बहुमत मिल सकता है। एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा को मेवाड़, मारवाड़ और हड़ौती में ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। ढूंढाड़ और शेखावटी में कांग्रेस फायदे में रहेगी। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 39.30 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और उसे 100 सीटें मिली थीं। भाजपा को 38.77 प्रतिशत वोट और 73 सीटों से संतोष करना पड़ा था। भाजपा पहली बार बिना किसी सीएम फेस के चुनाव में उतरी है। अशोक गहलोत, सचिन पायलट, वसुंधरा राजे, सांसद दीया कुमारी, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, बाबा बालकनाथ, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, भागीरथ चौधरी, नरेन्द्र कुमार और देवजी पटेल के क्षेत्र में जनता क्या निर्णय करती है, यह फैसला भी चंद घंटों के बाद हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला है। वर्ष 2018 में करीब 15 साल बाद कांग्रेस राज्य की सत्ता में लौटी। भाजपा बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के छत्तीसगढ़ के मुकाबले में उतरी है, जबकि कांग्रेस का नेतृत्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे हैं। भूपेश बघेल अगर दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल होते हैं तो उनका कद छत्तीसगढ़ में बढ़ेगा। चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही ओपिनियन पोल्स में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। मगर वोटिंग के बाद नतीजे से पहले हुए एग्जिट पोल में भाजपा भी मुकाबले में खड़ी दिखाई देने लगी। ट्राइबल इलाके में बंपर वोटिंग के कारण श्री भूपेश बघेल कॉन्फिडेंट हैं, सरकार कांग्रेस की बनेगी।
वर्ष 2018 के बाद से आदिवासी वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ था। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान हुआ और कुल 76.31 फीसदी वोटिंग हुई। राज्य की सबसे दिलचस्प मुकाबला पाटन सीट पर है, जहां से पांच बार के विधायक रह चुके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मैदान में हैं। मुकाबले में उनका भतीजा विजय बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के बेटे अमित जोगी से है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी राजनंदगांव से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा मोहम्मद अकबर , मोहन मरकाम, कवासी लखमा , केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ,उपमुख्यमंत्री टी. एस. सिंहदेव, डॉ. रेणु जोगी और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के भाग्य का फैसला भी रविवार दोपहर नतीजे आने के बाद हो जाएगा।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इस बार कड़े मुकाबले की उम्मीद है। लोगों की नजरें बीआरएस प्रमुख एवं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर टिकी हैं, जहां वह हैट्रिक की उम्मीद कर रहे हैं। ओपिनियन पोल्स और एग्जिट पोल्स में कांग्रेस पहली बार बीआरएस के कड़ी टक्कर में टक्कर में नजर आ रही है। खुद केसीआर दो विधानसभा सीटों कामारेड्डी और गजवेल से चुनाव लड़ रहे हैं। ये दोनों सीटें इस बार तेलंगाना की सबसे हॉट सीट बन गई है। गजवेल में भाजपा के इटाला राजेंद्र भी मैदान में हैं। कामारेड्डी से रेवंत रेड्डी इस बार केसीआर को चुनौती दे रहे हैं।
भाजपा भी विधानसभा की 119 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यहां 40 से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है। गत 25 नवंबर को तेलंगाना में 70.60 प्रतिशत मतदान हुआ। बंपर वोटिंग से सत्ता परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं। एग्जिट पोल्स में भी तेलंगाना में कांग्रेस बढ़त लेती दिख रही है। हैदराबाद की सात सीटों पर जीतने वाली एआईएआईएम का भविष्य भी रविवार को वोटों की गिनती के बाद तय हो जाएगा। केसीआर, केटीआर, रेवंत रेड्डी, बंदी संजय, इटाला राजेंद्र, अकबरुद्दीन ओवैसी का क्या होगा, इसका पता भी मतगणना के बाद चल जाएगा।