Bilkis Bano case : 11 दोषियों की सजामाफी रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरात सरकार का फैसला… कोर्ट ने कही यह बात


नईदिल्ली। गोधरा हिंसा के दौरान गैंगरेप की शिकार हुई बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। इस मामले ममें सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को अब फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। क्योंकि दोषियों के खिलाफ कोर्ट ट्रायल महाराष्ट्र में चला था और सजा भी वहीं मिली थी।

बता दें गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के दौरान उग्र भीड़ ने बिलकिस बानो के घर में घुसकर सात लोगों की हत्या कर दी थी। इस दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गैंगरेप के 11 दोषियों को साल 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई थी। उम्रकैद की सजा पाए दोषी को 14 साल जेल में ही बिताने होते हैं। उसके बाद अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार और अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए सजा घटाने या रिहाई पर विचार किया जा सकता है। 2022 में  गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया। गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट  में चुनौती दी गई।

गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं। पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की और 12 अक्तूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इस पर फैसला आया है। फैसला आने के बाद दोषियों को फिर से जेल जाना होगा।

जानिए सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को क्यों दिया गया? बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं दी गई? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? इस पर दोषियों के वकील ने माना कि दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषियों को जहां सजा दी गई है वहीं पर माफी भी मिल सकती है। गुजरात कोर्ट को माफी देने का कोई अधिकार नहीं है।