अयोध्या के रामभक्तों को छत्तीसगढ़ की एक और सौगात, दो महीने का भंडारा कराएगा छत्तीसगढ़


रायपुर (हमरभिलाई न्यूज़)। अयोध्या स्थित नए मंदिर में रामलला की स्थापना के साथ ही वहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। देशभर के लाखों रामभक्त अब रोजाना भगवान रामलला के दर्शनार्थ अयोध्या पहुंच रहे हैं। मंगलवार को ही आम लोगों के लिए रामलला का दरबार खोले जाने के बाद करीब 5 लाख लोगों ने दर्शन किए। इस बीच, छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर रामभक्तों के लिए बड़ा निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ की ओर से अयोध्या में लगातार दो महीने यानी 60 दिनों तक भंडारा कराया जाएगा। भंडारे की शुरूआत 26 जनवरी से होने जा रही है। इसके लिए आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भंडारा टीमों को अयोध्या के लिए रवाना किया।

राममला के भक्तों की सेवा के लिए हर राज्य के लोग और उनकी सरकारें तत्पर नजर आ रही हैं। यही वजह हैं कि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले सभी राज्यों से बड़े पैमाने पर जरूरी सामान अयोध्या भेजे गए थे। छत्तीसगढ़ से भी 300 टन सुगन्धित चावल अयोध्या भेजा गया था। प्रदेश के इसी चावल से भगवान राम को भोग भी लगाया गया। प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने राममंदिर परिसर से चावल की खेप वाले ट्रकों को रवाना किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाले दिनों में प्रदेश की तरफ से भगवान् रामलला की सेवा के लिए और भी कदम उठाये जायेंगे। छत्तीसगढ़ से ही 100 टन सब्जियां भी अयोध्या भेजी गई थी। राज्य से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामलला के दर्शनार्थ अयोध्या गए थे। यह क्रम अब भी जारी है।

इन सबके बीच छत्तीसगढ़ सरकार अयोध्या में दो महीने का भव्य भंडारा आयोजित करने जा रही है। इसकी शुरूआत गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी से होगी, जो कि अनवर 25 मार्च तक जारी रहेगा। इस भव्य भंडारे की देखरेख के लिए 6 समितियां निर्धारित की गई है। भंडारे की इन टीमों में भोजन बनाने वाले 30 रसोइए और 100 कार्यकर्ता शामिल रहेंगे। आज राम मंदिर परिसर से सीएम विष्णुदेव साय ने इस टीम को अयोध्या के लिए रवाना किया। जिन समितियों को अयोध्या में सेवाएं देने के लिए तय किया गया है, इनमें नीलांचल सेवा समिति बसना, पुरुषोत्तम अग्रवाल फाउंडेशन रायपुर, शिव महापुराण सेवा समिति तिल्दा नेवरा, एग्रोक्रेट सोसायटी फॉर रूरल डेवलपमेंट रायपुर, सनातन सेवा समिति रायपुर, और काली माता अन्नदान भंडारा समिति और तक्षक इको फॉर्म भोरमदेव शामिल है।

भोज के साथ शबरी प्रसाद भी…
श्रीराम के ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ की ओर से अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन तो कराया ही जाएगा, साथ ही माता शबरी के प्रसाद का वितरण भक्तों को किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने आज रसोइयों और कार्यकर्ताओं से भरी बस को अयोध्या के लिए रवाना किया। बता दें कि रामभक्तों के 500 साल के लंबे संघर्ष और इंतजार के बाद 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम अपनी जगह विराजित हो गए हैं। जिसके बाद पूरा देश राममय हो गया। पहले दिन ही रामलला के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। बताया जा रहा है कि करीब 5 लाख से ज्यादा लोगों ने राम मंदिर के दर्शन किए। वहीं अब छत्तीसगढ़ सरकार ने अयोध्या में भंडारे के आयोजन की तैयारी पूरी कर ली है।

सरयू नदी, हनुमानगढ़ के पास बना पंडाल
अयोध्या में सरयू नदी और हनुमानगढ़ के पास 6 संस्थाओं का भव्य पंडाल बनाया गया है। दो माह तक चलने वाले इस भंडारे में भोजन बनाने वाले 30 रसोइयों और 100 कार्यकर्ताओं की टीम को बस के माध्यम से 24 जनवरी को दोपहर 12 बजे सीएम विष्णुदेव साय ने वीआईपी रोड स्थित रामजी मंदिर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अयोध्या में रामलला के मंदिर को आम लोगों के लिए खोले जाने के बाद वहां भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन और विविध राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर कई तरह के इंतजामात किए हैं, लेकिन श्रीरामलला की आराधना और उनके भक्तों की सेवा में भगवान रामलाल का ननिहाल कैसे पीछे रह सकता है। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में भक्तों के पहुंचने की वजह से वहां चाय-नाश्ता, भोजन जैसी मूलभूत दिक्कतें पेश आ रही है। छत्तीसगढ़ की ओर से लगाए जा रहे भंडारे के चलते भक्तों को वहां काफी राहत मिलेगी।

इस समय होंगे श्रीराम लला के दर्शन
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में श्रीराम लला की प्रतिमा स्थापित होने के बाद मंदिर कमेटी द्वारा नया शेड्यूल जारी किया गया है। इस शेड्यूल के अनुसार मंदिर सुबह 7 बजे से साढ़े 11:30 बजे तक दर्शन के लिए खुलेगा। इसके उपरांत दोपहर 12 बजे बाद आरती। प्रभु के भोग और विश्राम के लिए मंदिर ढाई घंटे बंद रहेगा। दोपहर 2 बजे से फिर मंदिर खुलेगा और शाम 7 बजे तक दर्शन होंगे।भीड़ को देखते हुए ट्रस्ट दर्शन मंदिर की टाइमिंग बढ़ाने पर विचार कर रहा है। दरअसल, बड़ी संख्या में रामभक्तों के पहुंचने से पूरे क्षेत्र में अव्यवस्था के हालात बन गए थे। अब इन्हीं हालातों को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति ने कई तरह के निर्णय लिए हैं।