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रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज रविवार को दो बड़ी घोषणाएं की हैं। पहली घोषणा में उन्होंने में राज्य में पहला आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय खोलने की बात कही। वहीं दूसरी घोषणा में राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में योग और प्राणायाम शामिल करने की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने राजधानी में पहला आयुर्वेद विश्वविद्यालय खोलने का भी ऐलान किया है।
राजधानी रायपुर के एक स्कूल के वार्षिक उत्सव में शामिल होने पहुंचे शिक्षा मंत्री ने कहा कि आगामी शिक्षण सत्र से छात्रों के बहुमुखी विकास के लिए प्रदेश के स्कूलों में योग, प्राणायाम और खेल के साथ-साथ मौलिक शिक्षा को भी कोर्स में शामिल किया जाएगा। उन्होंने स्कूली बच्चों, पालकों, शिक्षकों से कहा कि बच्चों में छुपी प्रतिभा को सामने लाने की जिम्मेदारी परिजनों से ज्यादा शिक्षकों पर होती है क्योंकि एक उम्र के बाद उनका ज्यादा वक्त स्कूल में गुजरता है।
शिक्षामंत्री ने कहा कि यह समझना चाहिए कि बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं और शिक्षक कुम्हार की तरह, जो बच्चों को एक रूप व आकार देते हैं, जिससे उनके बेहतर चरित्र का निर्माण हो सके। इसीलिए सनातन धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश के बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिए संकल्पित है। इसके लिए हम हमेशा नए योजनाओं के साथ कार्य कर रहे हैं। शिक्षा से राष्ट्र-प्रेम की भावना प्रबल हो तथा अपनी संस्कृति और श्रेष्ठ परंपराओं के प्रति आकर्षण बढ़े ऐसा हमारा प्रयास है।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय खोलने का ऐलान
शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शनिवार को श्री नारायण प्रसाद अवस्थी शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में 2 दिवसीय आयुर्वेद एलुमनी मीट ‘‘स्वर्ण कुंभ का शुभारंभ करते हुए प्रदेश का पहला आयुर्वेद विश्वविद्यालय राजधानी रायपुर में खोलने की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने कॉलेज से पढ़कर निकले और देश-विदेश में सेवाएं दे रहे, ऐसे पुराने डॉक्टर्स को सम्मानित भी किया। शिक्षा मंत्री अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर आयुर्वेद और आयुष को बढ़ावा दिया है, जिसके बाद आज पूरी दुनिया में आयुर्वेद को अलग पहचान मिली है। कोरोना काल में आयुर्वेदिक काढ़े और दवाइयों ने लाखों लोगों की जान बचाई। लोगों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता लाने का भी सुझाव अग्रवाल ने दिया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमारे जीवन पद्धति का एक अंग है। हमारे घरों का रसोई घर अपने आप में एक आयुर्वेदिक औषधि केंद्र है। एक जानकर व्यक्ति इनका सही प्रयोग करके निरोगी काया पा सकता है। आयुर्वेद आदिकाल से है। जब लंका में लक्ष्मणजी मूर्छित हुए थे तब भी वैद्यराज सुषेण ने आयुर्वेद के जरिए उनकी जान बचाई थी, उस वक्त एलोपैथ का नामोनिशान नहीं था। लेकिन अंग्रेजों के समय से भारतीय चिकित्सा प्रणाली को हाशिए पर ला दिया गया था।