किसान आंदोलन हुआ बेकाबू, पुलिस ने ड्रोन से दागे आंसू गैस के गोले


नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर आंदोलित हुए हैं। किसान नेताओं ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था, जिसके बाद दिल्ली की सीमाओं को सील कर दिया गया। बावजूद इसके हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे। हालांकि किसान नेताओं ने शांतिपूर्ण आंदोलन करने की बात कही थी, लेकिन एक बार फिर उनके उग्र बर्ताव देखने को मिला, जिसके बाद उन पर ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले दागे गए। कानून व्यवस्था के मद्देनजर दिल्ली में धारा 144 पहले ही लागू कर दी गई थी।

कल देर रात तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक चली। सरकार ने आंदोलन पर अड़े अन्नदाताओं को समझाने की हर संभव कोशिश की लेकिन 5 घंटे से ज्यादा चली बैठक बेनतीजा रही। उसके बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि दिल्ली कूच होकर रहेगा। गाजीपुर, सिंघु, शंभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील किया गया है। वहीं, पुलिस ने भी पहले ही साफ कर दिया था कि, किसानों की आड़ में उपद्रवियों ने अगर कानून व्यवस्था में खलल डालने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। किसानों के पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए इस बार पुलिस और बलों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया था। दिल्ली की सीमाओं को सील किए जाने के बाद किसानों में बेहद नाराजगी भी देखने को मिली और हालात लगातार बेकाबू होते नजर आए। किसानों ने पुलिस पर पथराव भी किया।

आंदोलन में शामिल होने के लिए पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचे हैं। किसानों के दिल्ली पहुंचने का सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। इस वजह से दिल्ली से सटी तमाम सीमाओं पर ट्रैफिक जाम के हालात रहे। दरअसल न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के आंदोलन की ये नई किश्त है। किसानों को मनाने के लिए सोमवार को करीब पांच घंटे लंबी वार्ता चली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा इस बैठक में शामिल थे। लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी चाहते थे। इसी पर बात बिगड़ गई। हालांकि सरकार की ओर से केन्द्रीय मंत्री ने एक समिति बनाने और उसके सुझावों पर अमल करने की बात कही, लेकिन किसान नेताओं का कहना था कि दो साल पूर्व हुए आंदोलन को सरकार से मिले आश्वासन के बाद समाप्त किया गया, लेकिन सरकार ने दो साल तक कुछ भी नहीं किया।

कल केन्द्र सरकार के साथ वार्ता विफल होने के बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि, दिल्ली कूच होकर रहेगा। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम करते हुए गाजीपुर, सिंघु, संभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि पूर्व के आंदोलन को भी किसान नेताओं ने शांतिपूर्ण बताया था, लेकिन आंदोलन में बड़ी संख्या में असामाजिक तत्व भी घुस आए, जिसके चलते किसान आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था। खासतौर पर खालिस्थान समर्थक आतंकियों की किसान आंदोलन में खासतौर पर सक्रियता देखी गई थी। इसके अलावा भाजपा व केन्द्र सरकार के विरोध रहने वाले तत्व भी आंदोलन के समर्थन में आ खड़े हुए थे।

शंभू बॉर्डर पर संग्राम
अपनी मांगों को पूरी करवाने की जिद लिए किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों से होते हुए देश की राजधानी में प्रवेश करने को उतावले दिखे। उनके लिए शंभू, टिकरी सहित बाकी बॉर्डरों पर पुलिस भी मुस्तैद रही। इस बीच दिल्ली-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर हालात लगातार बिगड़ते नजर आए। वहां तैनात पुलिस किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। ड्रोन की मदद से भी आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। किसानों पर पुलिस की ओर से तीन राउंड आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों का काफिला धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। उन्हें रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे। लेकिन इस बोर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच संग्राम छिड़ गया।

पुलिस ने पीछे धकेला, गिरफ्तारियां भी
शंभू बॉर्डर पर सख्ती के बीच दोपहर 12 बजे के आसपास आंदोलनकारी किसान और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई। आंदोलनकारी किसान शंभू बॉर्डर पर हरियाणा में घुसने का प्रयास करते नजर आए और बैरिकेडिंग तोडऩे लगे। नतीजतन पुलिस और दोनों का आमना सामना हो गया और दोनों में संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई। दोपहर तक शंभू बॉर्डर पर हालात गंभीर बने रहे। कई किसानों को हिरासत में भी लिया गया। पुलिस शुरुआत में किसानों को 200 मीटर तक वापस धकेलने में कामयाब रही, लेकिन इसके बाद भी किसान आगे बढ़ रहे हैं। हालात ये हैं कि यहां 20 मिनट में दो बार बड़ा हंगामा हुआ।  हरियाणा पुलिस ने वाहन के साथ खड़े लोगों को पहले अनाउंसमेंट के जरिये हटाने के कोशिश की, लेकिन कुछ किसान जोरदार नारे लगाने लगे, जिससे वहां पर खड़े सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें हिरासत मे लिया और अपने साथ ले गई। हिरासत मे लेने के बाद कई किसानों को आगे जाने के लिए सुरक्षा कर्मियों के साथ उलझते हुए देखा गया। अनाउंसमेंट द्वारा पुलिस बार-बार वहां खड़े लोगों को ये बता रही है कि यहां धारा 144 लगी हुई है।