CG Politics: दलबदलुओं को नकारने का मिथन टूटेगा! कई दिग्गज दलबदलुओं को नकार चुके हैं छत्तीसगढ़ के मतदाता


रायपुर ( न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में दलबदलुओं को नकारने की रवायत क्या इस बार भी कायम रह पाएगी? सवाल इसलिए भी है क्योंकि अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में अब तक लोकसभा के 4 चुनाव हो चुके हैं और इस दौरान जिस भी नेता ने दल बदलकर चुनाव लड़ा, उसे मतदाताओं ने नकार दिया। चाहे वह विद्याचरण शुक्ल हो या फिर करुणा शुक्ला। ऐसे में कांग्रेस छोड़कर भाजपा की टिकट पर सरगुजा से चुनाव लड़ रहे चिंतामणि महाराज का चिंता बढऩा भी लाजिमी है। हालांकि भाजपा इस मिथक के टूटने का दावा कर रही है।

छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों पर चुनावी घमासान चरम पर है। राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच एक मिथक खूब चर्चा में है। दरअसल राज्य बनने के बाद हुए 4 लोकसभा चुनावों में दल-बदल करने वाले प्रत्याशियों को, चाहे वो कितने भी दिग्गज क्यों न रहे हों- जनता ने नकार दिया है। यही चिंता लोकसभा चुनाव 2024 में सरगुजा लोकसभा सीट पर खड़े बीजेपी प्रत्याशी चिंतामणि को सता रही है। नेताजी की चिंता यूं ही नहीं है। अब तक के रिकॉर्ड यही बताते हैं कि दल बदलने वालों को छत्तीसगढ़ की जनता पसंद नहीं करती है और ऐसे लोगों को नकार दिया जाता है। यहां दल बदलने पर विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गज भी हार का स्वाद चख चुके हैं।

इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता रहे विद्याचरण शुक्ला ने कांग्रेस छोड़कर 2004 का लोकसभा चुनाव बीजेपी की टिकट से लड़ा और बुरी तरह हार गए। इसी तरह से भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने बीजेपी छोड़कर कांगेस का दामन थामा। उन्होंने साल 2014 में बिलासपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गईं। कुछ ऐसा ही बीजेपी के कद्दावर नेता रहे ताराचंद साहू के साथ भी हुआ। वे साहू समाज के बड़े नेता माने जाते रहे थे। साल 2009 में उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा और छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जनता ने उन्हें भी नकार दिया।

इस बार टूटेगा मिथक- भाजपा
बीजेपी का दावा है दलबदलुओं की हार का मिथक इस बार टूटेगा। वहीं कांग्रेस कह रही दलबदलुओं को छत्तीसगढ़ की जनता ने अब तक स्वीकार नहीं किया है और आगे भी नहीं करेगी। छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रवक्ता राजीव चक्रवर्ती का कहना है कि बीजेपी राज्य में 11 में से 11 सीटें जीतेगी और हारने का मिथक टूटेगा। देश में मोदी की लहर है। राम मंदिर बनने की खुशी सरगुजा में भी है और यहां से चिंतामणि महाराज भारी मतों से जीतेंगे। दूसरी तरफ कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि छत्तीसगढ़ में दलबदलू न घर के रहते हैं ना घाट के। अजीत जोगी के समय बहुत सारे लोग बीजेपी से कांग्रेस में आये थे लेकिन सभी का राजनीतिक अवसान हो गया। विद्याचरण शुक्ल कांग्रेस छोड़कर एनसीपी उसके बाद बीजेपी में गए लेकिन महासमुंद से करीब डेढ़ लाख वोटों से हार गए। ऐसा इसलिए है क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता दल बदलने वाले नेताओं को पसंद नहीं करती। अब नतीजे तो 4 जून को आएंगे लेकिन पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए चिंतामणि महाराज की चिंता जरूर बढ़ गई होगी।