कड़ी टक्कर में फँस गई आधी सीटें! छत्तीसगढ़ की 5 से 6 सीटों पर है इस बार भाजपा व कांग्रेस में कड़ी टक्कर


मतदान पश्चात दोनों दलों की समीक्षा से निकला निष्कर्ष
रायपुर ( न्यूज़)। अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से अब तक 1 या 2 सीटों पर सिमटती रही कांग्रेस के लिए इस बार अच्छी खबर आ रही है। खबर है कि 11 में से 5 से 6 सीटें इस बार कड़ी टक्कर में फंस गई है। इसमें फायदा बहुधा कांग्रेस को ही हो रहा है। पार्टी के नेता 5 सीटों पर जीत और एक सीट पर जीत के करीब पहुंचने का दावा कर रहे हैं। दरअसल, राज्य में तीनों चरणों का मतदान सम्पन्न होने के बाद राजनीतिक दल समीक्षा में जुटे रहे। बूथ स्तर पर की गई इस समीक्षा के निष्कर्षों ने पार्टी की उम्मीदें बढ़ गई है। हालांकि भाजपा अब भी सभी 11 सीटें जीतने का दावा कर रही है। भाजपा के सूत्रों का मानना है कि एक या दो सीटों पर हेरफेर की गुंजाइश है।

छत्तीसगढ़ में तीनों चरणों का मतदान खत्म होने के बाद सभी 11 सीटों के प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में कैद हो गया है। पहले चरण में 19 अप्रैल को बस्तर की इकलौती सीट पर वोटिंग हुई थी, जबकि दूसरे चरण में 26 अप्रैल को कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव में मतदान हुआ। तीसरे व अंतिम चरण में 7 मई को 7 सीटों रायपुर, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर चाम्पा, कोरबा, बिलासपुर व दुर्ग में मतदान हुआ। मतदान के ठीक बाद से ही दोनों ही दलों के रणनीतिकारों ने मतदान की समीक्षा शुरू की। बूथ स्तर पर पड़े वोटों के जरिए जीत और हार का आंकलन किया गया। अब बताया जा रहा है कि दोनों पार्टियों ने प्राथमिक तौर पर हार-जीत की समीक्षा पूरी कर ली है। इस दौरान स्थानीय संगठन, विधायक, छाया विधायक आदि के जरिए भी फीडबैक लिया गया। खबर आ रही है कि इस रिपोर्ट को संगठन और बड़े नेताओं को भेज दिया गया है।

सभी 11 सीटें जीतने का दावा
छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों में चुनाव संपन्न होने के बाद अब आंतरिक रूप से सर्वे और जिम्मेदारों के साथ बैठक लेकर समीक्षा का दौर शुरू हो चला है । भाजपा शुरू से ही 11 सीटों पर जीत का दावा कर रही है, तो वहीं कमजोर सीटों पर जमकर फोकस भी करती नजर आई। भाजपा ने चार सीटों को कमजोर माना था। जिनमें कोरबा, जांजगीर-चाँपा, कांकेर और राजनांदगांव लोकसभा सीट शामिल है। शायद यही वजह थी कि पहले दिन से लेकर मतदान होने तक पार्टी ने पूरी ताकत झोंकी, लेकिन कहा जा रहा है कि समीक्षा के दौरान भाजपा कांकेर लोकसभा सीट को अभी भी कमजोर मान रही है। डिप्टी सीएम अरुण साव का कहना है कि हर चुनाव के बाद समीक्षा की जाती है। हमने हर स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं से चर्चा की है। उसके बाद हम दावा कर रहे हैं कि हम 11 की 11 सीटें जीतेंगे।

कांग्रेस को 5 सीटों पर उम्मीद
भाजपा जहां संगठनात्मक स्तर पर समीक्षा कर रही है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस भी फीडबैक लेने में जुटी रही। विधायक, पूर्व विधायक और निचले स्तर के पदाधिकारियों से चर्चा कर ब्यौरा मांगा गया। इसके बाद पार्टी का दावा है कि वह 11 में से कम से कम 5 सीटें जीत रही है। वहीं ऐसा भी कहा जा रहा है कि 1 सीट पर कांटे का मुकाबला है। इस सीट के नतीजे किसी भी करवट बैठ सकते हैं। जांजगीर-चांपा के कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी शिवकुमार डहरिया ने छत्तीसगढ़ में मतदान के बाद आंतरिक ऑकलन को लेकर कहा कि लोगों का रिस्पॉन्स के आधार पर मूल्यांकन किया गया है। दोनों ही पार्टियों की समीक्षा के बाद जो बात सामने आई है उसमें दोनों को सभी 11 सीटें मिलती नहीं दिख रही। राजनीतिक समीक्षक भी मतदान के प्रारम्भ से ही दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर की संभावना जाहिर करते रहे हैं।

कई रिपोर्टें, कई दावे
चुनावी नतीजों को लेकर कई तरह की रिपोर्टें सामने आ रही है और इसी आधार पर दावे भी कई तरह के हो रहे हैं। राजनीति के जानकारों का स्पष्ट कहना है कि इस बार कांग्रेस को पहले से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना ज्यादा है। जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने जातीय, सामाजिक समीकरणों के साथ ही चेहरों को तवज्जो दी, उसके बाद भाजपा के समीकरण बिगड़े हैं। कांग्रेस ने बस्तर सीट पर पूर्वमंत्री और विधायक कवासी लखमा को टिकट देकर इस सीट पर माहौल गरमा दिया था। बस्तर के साथ ही कांकेर और सरगुजा की सीटों पर भी कांग्रेस के लिए काफी संभावनाएं हैं। ये तीनों सीटें आदिवासी बाहुल्य है। हालांकि सरगुजा सामान्य सीट है लेकिन जनसंख्या और जातीय समीकरणों के हिसाब से यहां एसटी बाहुल्यता है। कांग्रेस की टिकट वितरण की रणनीति को राजनीतिक समीक्षक भी सराह रहे हैं।

इन सीटों पर फंस गया पेंच
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी 11 में से 5 सीटें आसानी से जीत रही है। ये सीटें हैं कांकेर, राजनांदगांव, कोरबा, जांजगीर चाम्पा और बस्तर। लेकिन पार्टी के ही भीतर से एक अलग तरह की खबर भी आ रही है। इसके मुताबिक, कांग्रेस को सरगुजा, बस्तर व कांकेर सीट पर जीत मिल रही है, जबकि राजनांदगांव व दुर्ग में कड़ा मुकाबला है। इधर, भाजपा की रिपोर्ट में महज 1 सीट कांकेर को खतरे में माना गया है। राजनीति के जानकारों का भी आंकलन है कि भाजपा इस चुनाव में पहली बार चक्रव्यूह में फंसी है और उसे इस बार ज्यादा नुकसान हो सकता है। पार्टी का मानना है कि बस्तर में भले ही प्रचार के दौरान कड़ा मुकाबला नजर आया हो, लेकिन वहां अंततोगत्वा भाजपा ही जीतेगी। जांजगीर चाम्पा और कोरबा सीटों से भी पार्टी के लिए खबर फीलगुड वाली है। वहीं जांजगीर चाम्पा में भी भाजपा को एकतरफा जीत मिलेगी।