नगरीय निकायों को बनाया जाएगा ऊर्जा दक्ष, एनर्जी ऑडिट कराकर कमियों-खामियों को किया जाएगा दूर- साव


रायपुर। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने राज्य के सभी 184 नगरीय निकायों में बिजली बिल और एनर्जी ऑडिट के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यथासंभव पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर सौर ऊर्जा का उपयोग करने को कहा है। उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि अधिकांश निकायों में इस मद में राशि के अभाव के कारण समय पर बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया जाता है। इससे नगरीय निकायों और विभाग को हर वर्ष अनावश्यक ही सरचार्ज व एरियर्स की राशि के रूप में बिजली विभाग को अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ता है। ऊर्जा और बिजली बिल के ऑडिट से इनकी बचत के उपाय करने में सहूलियत होगी।

श्री साव ने बिजली बचाने और इसके खर्च में कमी लाने के लिए नगरीय निकायों में पारंपरिक ऊर्जा के बदले ग्रीन एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देने को कहा है। इससे निकायों का खर्च घटने के साथ ही पर्यावरण भी सुधरेगा। उप मुख्यमंत्री ने चरणबद्ध तरीके से एनर्जी ऑडिट का कार्य थर्ड पार्टी प्रोफेशनल एजेंसीज से कराने के निर्देश दिए हैं।

शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति और स्ट्रीट लाइटिंग जैसी विभिन्न जन सुविधाओं के संचालन के लिए नगरीय निकायों मे बड़ी संख्या में विद्युत कनेक्शन लिए गए हैं। विद्युत विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 184 नगरीय निकायों में इसके लिए हजारों की संख्या में बिजली के मीटर लगाए गए हैं। इन मीटरों के माध्यम से हर महीने मीटर रीडिंग कर बिजली विभाग द्वारा बिजली का बिल निकायों को प्रेषित किया जाता है। निकायों द्वारा प्रति माह एक बड़ी राशि विद्युत देयकों के रूप में व्यय की जाती है। कई बार सरचार्ज और एरियर्स के रूप में भी बिजली विभाग को अतिरिक्त राशि का भुगतान निकायों और नगरीय प्रशासन विभाग को करना पड़ता है। विभाग द्वारा नगरीय निकायों में बिजली बिल के समायोजन के लिए बिजली विभाग को हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए से 200 करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की जाती है। वर्तमान में करीब 800 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित होने के कारण सरचार्ज की राशि में लगातार वृद्धि हो रही है।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने इस स्थिति को देखते हुए विभागीय समीक्षा बैठक में नगरीय निकायों के बिजली बिलों के ऑडिट तथा एनर्जी ऑडिट कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। इससे प्रत्येक निकाय के बिजली बिल के ऑडिट से वास्तविक विद्युत खपत और अनावश्यक रूप से सरचार्ज हेतु किए जा रहे भुगतान का स्पष्ट आंकलन किया जा सकेगा। ऑडिट के बाद विद्युत की खपत घटाने और सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाने के लिए नीति भी तैयार की जाएगी। विद्युत खपत घटाने और सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाने से लंबी अवधि में लगभग 800 करोड़ रुपए से एक हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। साथ ही ग्रीन एनर्जी के उपयोग से निकायों को कार्बन क्रेडिट भी प्राप्त होगा।

श्री साव ने कहा कि इस तरह बचाई गई राशि से निकायों में अधोसंरचना विकास के अन्य कार्य तथा नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नई योजनाएं शुरू की जा सकेंगी। निकायों में ऊर्जा प्रबंधन में सौर उर्जा को शामिल करने एवं ताप ऊर्जा के उपयोग में कमी से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा भी मिलेगा।

सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग से नगरीय निकायों को ऊर्जा दक्ष बनाने के निर्देश, पायलेट परियोजना के लिए तैयार की जा रही है कार्ययोजना

उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग से नगरीय निकायों को ऊर्जा दक्ष बनाने के निर्देश दिए हैं। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा निकायों में विद्युत खपत की वास्तविक जानकारी जुटाने हेतु एनर्जी ऑडिट कराने के लिए पायलेट परियोजना की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। एनर्जी ऑडिट के माध्यम से नगरीय निकायों में बिजली की वास्तविक खपत और व्यवस्था में व्याप्त अनियमितताओं, कमियों की पहचान तथा विद्युत देयकों के विश्लेषण के बाद विद्युत दक्ष उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने, विद्युत खपत में कमी से देयकों में मितव्यता तथा चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा प्रणाली जैसी वैकल्पिक व्यवस्था को अपनाया जाएगा। भारत सरकार द्वारा भी पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम कुसुम, पीएम सूर्याेदय तथा पीएम सूर्यघर जैसी अभिनव योजनाएं प्रारंभ की गई हैं।