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नई दिल्ली। सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। दरअसल सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को बेंच से अलग कर लिया। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है।
जस्टिस खन्ना के अलग होने से रिव्यू पिटीशंस पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा पांच जजों की नई बेंच का पुनर्गठन करना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद ही इन पर सुनवाई हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने पिछले साल 17 अक्टूबर को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में 52 याचिकाएं दायर कर फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग रखी गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पांच जजों की बेंच फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर चैंबर में सुनवाई करने वाली थी।
इससे पहले 9 जुलाई को सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी और एनके कौल ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ से रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग की। इससे CJI ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- परंपरा के मुताबिक पुनर्विचार याचिका पर चैंबर में फैसला किया जाता है।
17 अक्टूबर को 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया था। CJI ने सबसे पहले कहा कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है। इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा।