इजराइली सेना ने हिजबुल्लाह के 250 लड़ाके मारे: सीरिया से संपर्क तोड़ा


नई दिल्ली (ए)। इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने दक्षिणी लेबनान के बाद अब उत्तरी लेबनान में भी हवाई हमले तेज कर दिए हैं। IDF ने शुक्रवार को कहा कि पिछले 4 दिनों में उन्होंने 250 हिजबुल्लाह लड़ाकों को मारा है। इसके अलावा हिजबुल्लाह के 2,000 से ज्यादा सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है।

CNN के मुताबिक लेबनान से 3 लाख लोग सीरिया चले गए हैं। लेबनान सरकार के मुताबिक अब तक 12 लाख से ज्यादा लोगों ने देश छोड़ दिया है। इजराइली हमले बढ़ने के बाद ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इजराइली हवाई हमले की वजह से लेबनान को सीरिया से जोड़ने वाले हाईवे टूट गया है।

बाइडेन ने शुक्रवार को कहा कि इजराइल ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह ईरान के हमले का जवाब कैसे देगा। उन्होंने इजराइल को ईरान के एटमी ठिकाने और तेल भंडारों पर हमला न करने की सलाह दी है। बाइडेन ने पत्रकारों से कहा कि कि अगर वे नेतन्याहू की जगह होते तो दूसरे विकल्पों के बारे में सोचते। उन्होंने ये भी कहा कि इजराइल-ईरान के बीच जंग नहीं होने वाली है। वे मिडिल ईस्ट में जंग रोकने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।

टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक लेबनान में मौजूद यूनाइटेड नेशन की पीस फोर्स (UNIFIL) ने कहा कि वे तैनात जगह को छोड़कर नहीं जाएंगे। UNIFIL ने बताया कि इजराइल ने 30 सितंबर को उन्हें दक्षिणी लेबनान को छोड़कर दूसरी जगह जाने की अपील की थी। UNIFIL 1978 से लेबनान में तैनात है। इजराइल और लेबनान के बीच शांति कायम करने के लिए इसका गठन किया गया था। UNIFIL में शामिल भारत के 900 जवान लेबनान में तैनात हैं। ​​​​​​​

इजराइल, ईरान के मिसाइल हमलों के जवाब में उसके एटमी ठिकाने पर हमला नहीं करेगा, इसकी गारंटी उसने अमेरिका को नहीं दी है। CNN ने एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमले के एक साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे वक्त में इजराइल जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, यह कहना मुश्किल है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कहा था कि अमेरिका, ईरान के एटमी ठिकानों पर हमले का समर्थन नहीं करेगा। बाइडेन ने कहा था कि वे चाहते हैं कि बातचीत से इस समस्या का समाधान हो। रिपोर्ट के मुताबिक कई अमेरिकी अधिकारियों ने इजराइल को ईरान पर हमला करने के लिए समर्थन दिया है। वहीं, कइयों का यह मानना है कि इससे मिडिल ईस्ट में जंग छिड़ सकती है।