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दंतेवाड़ा। जिला दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ राज्य का एक आकांक्षी जिला है। जो कि अन्य मैदानी क्षेत्रों से पिछड़ा हुआ है। यहां मुख्यतः आदिवासी निवासरत हैं, जिनमें अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के वर्ग हैं। जिले के ज्यादातर निवासियों के आय का मुख्य स्रोत कृषि है। ये रहवासी वन संपदा जैसे कि- महुआ, इमली, आम, तेंदूपत्ता, बास, टोरा, मौसमी सब्जी, जंगली कंद, फल, विभिन्न प्रकार के मशरूम इत्यादि पर निर्भर रहते हैं। यहां मुख्यतः ग्रामीणों के आय का मुख्य स्रोत खेती है। लेकिन इन सब के अतिरिक्त दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के कुछ अंदरूनी गांव माओवाद से प्रभावित हैं जिसके कारण सरकार की बहुत सारी योजनाएं पूर्ण रूप से नहीं पहुंच पाती है। इसी तरह माओवाद से प्रभावित एक ऐसा गांव है जो कि जल जीवन मिशन योजना की उपयोगिता और शुद्ध पेयजल के महत्व को समझने के बाद योजना के क्रियान्वयन में यहां के ग्रामीणों ने आगे बढ़कर सहयोग कर जल जीवन मिशन योजना को शत-प्रतिशत पूरा करवाया है। इस क्रम में जिले के विकासखंड कुआकोंडा के अति संवेदनशील ग्राम पंचायत रेवाली के आश्रित ग्राम बर्रेम जिला मुख्यालय से लगभग 49 किमी दूर और मुख्य मार्ग से 9 किमी. की अंदर बसा हुआ है जहां मुरूम वाली सड़क से होते हुए पहुंचा जा सकता है।
ग्राम बर्रेम अतिसंवेदनशील और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आज भी मानसिकता, रहन-सहन और विकास में पिछड़ा हुआ है। ग्राम के ग्रामीण बाहरी व्यक्तियों से अधिक बात नहीं करते है या तो ज्यादा जोर देने पर सीधा और साधारण जवाब देकर चले जाते हैं। योजनाओं से अपेक्षित लाभ ना उठा सकने के कारण गांव में पेयजल के लिए पहले ही बहुत ही अधिक समस्या थी। यहां के ग्रामीण पेयजल हेतु हैण्डपम्प और झिरिया व चुंआ पर ही आश्रित रहते थे। यदि हैंडपंप खराब हो तो घर से 2 से 3 किमी दूर चुआ का पानी पीने के लिए उपयोग करते थे। पेयजल संग्रहण में ही महिलाओं और बच्चों को लगभग 6 घण्टे का समय लगता था। इससे महिलाएं अन्य कामों और बच्चों की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल सकती थी और बच्चे भी स्कूल नहीं जाते थे। स्वास्थ्य खराब होने पर बर्रेम गांव के लोगों को लगभग 9 कि.मी. ग्राम समेली के स्वास्थ्य केंद्र में जाना पड़ता है। ग्राम में वर्तमान में कुल 03 बसाहट नयापारा, पटेल पारा, स्कूलपारा है। इस गाँव में कुल घरों की संख्या 34 एवं जनसंख्या 151 है, जिसमें पुरुषों की कुल संख्या 56 एवं महिलाओं की कुल संख्या 66, बच्चों की संख्या 29 है। ग्राम में पेयजल हेतु पहले 03 हैंडपंप, 1 कुंआ और 02 सोलर था। पारंपरिक तौर पर ग्रामीण महिला पीने के पानी को कपड़े की छननी से छान कर मटकी गुंडी आदि में संग्रहित कर आवश्यकतानुसार खाना बनाने और पीने के लिए उपयोग करती थी। यहां के ग्रामीण पीने के पानी की शुद्धता का मापन पानी का मटमैलापन का देख कर किया करते थे।
अगर यहां की समस्याओं की बात करे तो ग्राम बर्रेम के बच्चे घर के काम करने और छोटे भाई बहनों की देखभाल करने के लिए स्कूल नहीं जाते थे। गांव की महिला स्व सहायता समूह का गठन तो किया गया था किन्तु समय ना होने के कारण अपनी आर्थिक जीवन सुधारने के लिए समूह में काम नही कर पाते थे और ना ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाते थे। अतः जब गांव बर्रेम में ग्रामीणों को जल जीवन मिशन योजना अंतर्गत जनसभा में योजना के बारे में जानकारी मिली तब ग्रामीणों ने समझा कि अच्छा जीवन और बच्चों का भविष्य ग्राम के विकास में है। इस प्रकार ग्रामीण जन आगे बढ़कर योजना को गांव में लाने और क्रियान्वित करने के लिए अपनी क्षमता अनुसार सहयोग करने लगे। वर्तमान में ग्राम बर्रेम की उक्त पेयजल समस्या के निदान हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 15 अगस्त 2019 में की गई जल जीवन मिशन की घोषणा के तहत कार्य को ग्राम में सुदृढ रूप से पूर्ण कर लिया गया है। ग्राम में जल जीवन मिशन योजना के मुख्य उद्देश्य सभी घरों में निरंतर शुद्ध पेयजल प्रत्येक कनेक्शन 55 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को शुद्ध पेयजल का लाभ मिल रहा है। इस जीआई स्ट्रक्चर, 12 मीटर स्टेजिंग से ग्रामीणों को घर के आँगन में ही निरंतर शुद्ध पेयजल मिल रहा है और साथ ही व अपशिष्ट जल प्रबंधन से सब्जी बाड़ी से आर्थिक आमदनी निकाल रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल जीवन मिशन योजना के क्रियान्वयन से गांव में 02 शासकीय शाला, 01 आँगनबाड़ी में अध्ययनरत बच्चों को मध्यान्ह भोजन हेतु पेयजल प्राप्त हो रहा है। यहां पर कुल 02 नग, 6 मीटर स्टेजिंग सोलर और 1 जीआई 12 मीटर स्टेजिंग सोलर, 5000 लीटर की 02 टंकी से पानी सप्लाई किया जा रहा है एवं 90 जीवी 6 कि.ग्रा. से.मी. 2 यु.पी.व्ही.सी. पाईप -100 मी., एच डी पी.ई. पाईप 63 मिमी. 1614 जीवी पाईप लाईन का विस्तार कर ग्राम के सभी 34 घरों और शासकीय भवनों में जल जीवन मिशन योजना को पहुंचाया गया है।
जल जीवन मिशन योजना लागू होने के बाद जागरूक कार्यक्रम में जल सभा कर जल संबंधित चर्चा व व्यापक प्रचार-प्रसार में शामिल होने के बाद यहां के लोग स्वच्छ पानी की शुद्धता हेतु व अच्छे स्वास्थ्य को लेकर एवं स्वच्छ पानी के संग्रहण एवं संधारण के लिए जागरूक हुए हैं। ग्राम बर्रेम की ग्रामीण महिला बुदरी बारसे, जो महिला स्व सहायता समूह की सदस्य भी है बताती है कि हम गाँव के लोग पहले पीने का पानी के लिए नाला एवं दूर झरिया पर निर्भर थे। मैं भी दिनभर में सुबह-शाम 8-10 गुंडी पानी हैंडपंप से लाती थी। जिसके कारण बच्चों को भी ध्यान नहीं दे पाती थी और मेरी ना ही महिला स्व सहायता समूह में काम करने समय नहीं दे पा रही थी। घर में पानी न होने के कारण शौचालय और नहाने, कपड़ा धोने के लिए बाहर हैण्डपम्प, सोलर में जाना पड़ता था, जहां अन्य महिलाओं की भीड़ भी होती थी। पानी लेने अपनी पारी का इंतजार करते सुबह से दोपहर हो जाता था तब घर का काम खत्म होता था। त्यौहार, मेला में रिश्तेदार आने से सुबह और शाम तक पानी बाहर से भरना पड़ता था। लेकिन अब जल जीवन मिशन योजना से घरों में नल लगने से समय पर पानी मिल जाता है मैं बहुत खुश हूँ कि अब मैं स्व सहायता समूह में काम करके घर की आमदनी बढ़ा कर बच्चों को अच्छी शिक्षा और परवरिश दे सकती हूँ। इसी तरह ग्राम में बालमित्र के पद पर कार्यरत कुमारी कोसी का कहना है कि वह रेवाली पंचायत और ग्राम बर्रेम के कुल 04 स्कूलों का निरीक्षण करती है। ग्राम पंचायत रेवाली में जल जीवन मिशन योजना के पूर्व स्कूलों में बच्चों और खासकर लड़कियों की उपस्थिति कम रहती है। क्यूँकि अधिकतर लड़कियां घर का काम और पारा में पानी लेने जाती हैं। लेकिन अब जल जीवन मिशन का नल लगने के बाद बच्चों की उपस्थिति पर्याप्त रहती है।
इसके आगे ग्राम बरेंग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती लूदरी नाग बताती है कि अब गांव की सारी महिलाएं बहुत खुश है। क्योकि बच्चे आंगनवाड़ी और स्कूल समय पर तैयार होकर पहुंच जाते हैं। हमें पेयजल विभाग से एफटीके दिया गया है जिससे हम लोग पानी का पीएच, आयरन, क्लोरीन और बैक्टीरिया जांच करते हैं। गांव वाले पहले साफ पानी का मतलब दिखने में साफ पानी को ही समझते थे, लेकिन जल जीवन मिशन योजना के आने से फिल्ड टेस्ट किट के द्वारा समझ आया कि पीने का शुद्ध पानी किसे कहते हैं। अब सभी गांव वाले नल का पानी पी रहे हैं। योजना से हमको बहुत लाभ मिल रहा है। इसके लिए हम सरकार को बहुत – बहुत धन्यवाद देते हैं।
ग्राम बर्रेम की सरपंच श्रीमती देवे बारसे का यह भी कहना है कि- जल जीवन मिशन योजना के लाभ से हर घर के आँगन में साफ पानी मिलने से गाँव की महिलाएं बच्चों को समय से स्कूल भेजकर महिला स्व सहायता समूह में काम, वनोउत्पाद संग्रहण जैसे- तेंदूपत्ता संग्रहण, महुआ संग्रहण, टोरा, ईमली इत्यादि संग्रहण, सब्जी बाड़ी, खेती, मजदूरी काम इत्यादि कर अपना आर्थिक जीवन संवार रही है। इस प्रकार जल जीवन मिशन की धारा ने अतिसंवेदनशील ग्राम बर्रेम के ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के साथ अन्य शासकीय योजनाओं के स्वागत के लिए व्यवहार परिवर्तन करगांव को खुशहाल बना दिया है।