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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई भी देश तब तक अपनी समस्याओं से बाहर निकलकर समृद्ध नहीं बन सकता, जब तक कि वह आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है. पाकिस्तान के साथ संबंधों में आतंकवाद एक बुनियादी मुद्दा है, जिससे हम इनकार नहीं कर सकते.
चीन और पाकिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपने तीखे तेवरों को लेकर पहचान बना चुके जयशंकर ने कहा कि जब मुझे कोई बड़ा फैसला लेना है तो मैं देखूंगा कि जनता के सेंटीमेंट क्या हैं. मैं सबसे पहले नब्ज टटोलूंगा कि मेरे लोग इसके बारे में क्या महसूस करते हैं और मुझे लगता है कि आपको जवाब पता है.
जयशंकर ने एशिया इकोनॉमिक डायलॉग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक बहुत ही सहनशील देश है. हम अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. आज भारत की छवि ऐसे देश की बन गई है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बचाने के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार है.
विदेश मंत्री ने कहा कि आज हमारी छवि एक ऐसे देश की है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बचाने के लिये सब कुछ करने को तैयार है. भारत काफी संयम रखने वाला देश है और यह ऐसा देश नहीं है जो दूसरों से लड़ता रहता है लेकिन यह ऐसा देश भी नहीं है जिसे धकेल कर बाहर जा सकता है. यह ऐसा देश है जो बुनियादी सीमा को किसी को लांघने नहीं देगा. उन्होंने कहा कि हमें एक स्वतंत्र और दूसरे के अधिकारों के लिये खड़े होने वाले के रूप में देखा जा रहा है और इसके साथ ही हम वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बन रहे हैं.
भारतीय कंपनियां भी चीन के साथ व्यापार असंतुलन की जिम्मेदार
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ व्यापार असंतुलन की जिम्मेदारी कारोबार पर भी है. चीन के साथ हमारे संबंधों में सामने आई आर्थिक चुनौतियां असल में बहुत गंभीर है. चीन के साथ व्यापार अंसतुलन की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं बल्कि कारोबारियों की भी है. जयशंकर ने कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत जैसी पॉलिसी लाकर अपना काम कर रही है लेकिन भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर ऐसी सोर्सिंग व्यवस्था नहीं विकसित कर सका, जिससे हमें मदद मिले.