छत्तीसगढ़ की पहली अग्निवीर बेटी हिशा : पिता की मौत की खबर परिवार ने उसे नहीं बताई, ताकि पापा के सपने को पूरा कर सके

भिलाई। बिटिया ने जो ख्वाब बुने उन्हें पूरा करने में उसके सधे हुए कदम जरा भी न लड़खडा़ने पाएं, यह सोच मां और भाई ने बच्ची को उसके पिता की अचानक हुई मौत की खबर नहीं दी क्योंकि इसी पिता की प्रेरणा से ही बिटिया के ख्वाबों को कुछ महीने पहले ही पंख मिले थे।


भिलाई। बिटिया ने जो ख्वाब बुने उन्हें पूरा करने में उसके सधे हुए कदम जरा भी न लड़खडा़ने पाएं, यह सोच मां और भाई ने बच्ची को उसके पिता की अचानक हुई मौत की खबर नहीं दी क्योंकि इसी पिता की प्रेरणा से ही बिटिया के ख्वाबों को कुछ महीने पहले ही पंख मिले थे।
जी हां, यह स्टोरी है छत्तीसगढ़ की पहली महिला अग्निवीर हिशा बघेल की। उसके पिता ने हिना को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। 3 मार्च को उनके पिता की अचानक मौत हो गई। हिशा को आज भी इस बात की जानकारी नहीं है कि पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।


आपको बता दें कि लगभग 2,600 रंगरूटों के पहले बैच में 273 महिला भी शामिल थीं, जिसमें हिशा भी शामिल है और इस बैच ने 28 मार्च को ओडिशा के आईएनएस चिल्का में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय नौसेना में शामिल हुईं हैं। हिशा की इस सफलता पर उनकी मां और भाई बेहद खुश हैं।

गौरतलब हो कि हिशा का परिवार दुर्ग जिले से लगभग 15 किमी और राजधानी रायपुर से 50 किमी दूर बोरीगारका गांव में रहता है। हिशा के बड़े भाई कोमल बघेल ने बताया कि हिशा अप्रैल के दूसरे सप्ताह में घर आ रही है। हमने अभी तक उसे अपने पिता की मृत्यु के बारे में नहीं बताया है। हम नहीं चाहते थे कि उसके ट्रेनिंग प्रभावित हो।
इसी माह 3 तारीख को हिशा के पिता संतोष बघेल की मौत हो गई, उन्हें कैंसर था। जब पिता की मौत हुई तब हिशा की ट्रेनिंग का लास्ट फेज चल रहा था। उसके बाद परिवार ने फैसला किया कि वो हिशा को इस दु:खद समाचार से दूर रखेंगे। पिता के मौत की जानकारी नहीं होने से वो अपनी ट्रेनिंग पूरी कर सकेगी।

विदित हो कि संतोष बघेल अपना घर चलाने के लिए ऑटो चलाते थे। 2016 में कैंसर का पता चलने पर उन्हें अपना ऑटो बेचना पड़ा। संतोष चाहते थे कि उनके बच्चे सेना में शामिल हों। जब उन्हें अग्निवीर योजना के बारे में जानकारी मिली तो अपनी बेटी को इसके लिए प्रेरित किया।
हिशा के भाई कोमल पटेल ने बताया कि हिशा एक अच्छी एथलीट भी है। वह विशाखापत्तनम में हुए अग्निवीर फिजिकल टेस्ट में पहले नंबर पर आई थी। 2016 में पिता के बीमार होने के बाद से आर्थिक स्थिति खऱाब हो गई थी। ज्यादातर पैसे पिता के इलाज में खर्च हो रहे थे क्योंकि पिता ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। माता-पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने हमेशा बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और तमाम मुश्किलों के बाद हिशा ने पिता के सपने को पूरा कर दिया है, वह अप्रैल के द्वितीय सप्ताह ट्रेनिंग बाद पहली बार घर लौटेगी।