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नई दिल्ली. तेजी से बढ़ते पेट्रोल डीजल के दाम अब लोगों को इलेक्ट्रिक कारों की ओर ले जा रहे हैं. इन कारों की सेल में तेजी भी देखी गई है. लेकिन अभी भी इलेक्ट्रिक कारों में कुछ बेसिक खामियां ऐसी हैं जिनके चलते ये मेन स्ट्रीम में नहीं आ पा रही हैं. यदि आप भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने का मन बना रहे हैं तो पहले इसके 10 नुकसान भी जान लीजिए इसके बाद फैसला कीजिए.
चार्ज करने का समय
पेट्रोल और डीजल की कार में फिलिंग में कुछ मिनट्स का ही समय लगता है. लेकिन ईवी को चार्ज करने के लिए आपको एक जगह रुकना होता है और इसमें कई घंटों का समय भी लग सकता है. वहीं फास्ट चार्जिंग के लिए चार्जिंग स्टेशन की जरूरत होती है.
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
फिलहाल इंडिया सहित दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेल तो हो रही है लेकिन ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इसकी बिक्री के अनुसार कब तक तैयार होगा.
रेंज की कमी
लंबी दूरी तय करने वाली इलेक्ट्रिक कारों की अभी भी कमी है. बहुत ही कम इलेक्ट्रिक कार 500 या उससे ज्यादा किलोमीटर की रेंज देती हैं और जो हैं वे प्रीमियम कैटेगरी में हैं जिनकी कीमत काफी ज्यादा है.
बैटरी की कम उम्र
बैटरी को जितना यूज किया जाता है उतनी ही उसकी लाइफ कम होती है. साथ ही मौसम इस पर काफी असर डालता है. इंडिया में लगभग हर जगह तापमान काफी ज्यादा रहता है ऐसे में यहां पर बैटरी की लाइफ काफी कम हो जाती है.
बैटरी बदलना महंगा
ईवी का सबसे बड़ा खर्च इसकी बैटरी खराब हो जाने की स्थिति में बैटरी पैक को चेंज करना है. ये खर्च किसी भी इलेक्ट्रिक कार में लाखों रुपये का भी हो सकता है.
ज्यादा कीमत
पेट्रोल डीजल की कारों और टू व्हीलर के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल काफी महंगे होते हैं. कई बार इनकी कीमत दोगुनी तक होती है. इसका काराण है महंगा लिथियम आयन बैटरी पैक. उदाहरण के लिए टाटा दावा करती है नेक्सॉन ईवी मैक्स 452 किमी. की रेंज देने वाली सबसे सस्ती ईवी है लेकिन इसकी कीमत भी 17.57 लाख रुपये है.
सस्टेनेबिलिटी पर सवाल
इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत होती है और उसका उत्पादन कैसे और कितना हो रहा है ये भी एक बड़ा प्रश्न है. इंडिया जैसे देशों में आज भी कोयले पर आधारित संयंत्रों से ही बड़ी मात्रा में बिजली उत्पादन हो रहा है.
अच्छा पिकअप लेकिन टॉप स्पीड कम
इलेक्ट्रिक मोटर का टॉक अच्छा होने के चलते ई कार का पिकअप जबर्दस्त होता है और ये चंद सेकेंड में 0 से 60 की स्पीड को पकड़ सकती है. लेकिन मोटर की पावर सीमित होने के चलते इसकी टॉप स्पीड काफी कम होती है.
वर्कशॉप्स की कमी
इलेक्ट्रिक कारों की टेक्नोलॉजी नई होने के चलते अभी ट्रेन्ड मैकेनिक्स की कमी है, साथ ही वर्कशॉप्स की संख्या भी काफी कम है. ऐसे में लोगों के सामने वर्कशॉप को लेकर बहुत ही कम ऑप्शन होते हैं.
ऑल्टरनेट फ्यूल का डवलपमेंट
इलेक्ट्रिक व्हीकल को भविष्य का एक हिस्सा तो माना जा रहा है लेकिन इसे समाधान के तौर पर नहीं देखा जा रहा. वहीं ऑल्टरनेट फ्यूल खासकर हाईड्रोजन फ्यूल जैसी प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है. माना जा रहा है कि मेन स्ट्रीम में ये इलेक्ट्रिक व्हीकल से भी ज्यादा तेजी से आएगी.