पुलिसवालों के बेल्ट पर लिखा होता है ‘आन मिलो सजना’, इससे होती है पिटाई, जानें क्यों लिखते हैं ऐसा

नॉलेज डेस्क। पुलिस समाज में शांति व्यवस्था बनाने का काम करती है. पुलिस किसी को भी देश के संविधान में बनाए गए कानूनों को तोड़ने से रोकती है. अगर कोई ऐसा करता है, तो पुलिस उसे पकड़ हवालात में बंद कर देती है. उसके बाद उसपर कानूनी कार्यवाही शुरू की जाती है.

नॉलेज डेस्क। पुलिस समाज में शांति व्यवस्था बनाने का काम करती है. पुलिस किसी को भी देश के संविधान में बनाए गए कानूनों को तोड़ने से रोकती है. अगर कोई ऐसा करता है, तो पुलिस उसे पकड़ हवालात में बंद कर देती है. उसके बाद उसपर कानूनी कार्यवाही शुरू की जाती है. कुछ अपराधी बहुत ढीठ होते हैं. पुलिस को उनके साथ थोड़ा सख्ती से पेश आना पड़ता है. 

अपराधी का मुंह खुलवाने के लिए अपनाने पड़ते हैं हथकंडे

वैसे तो अपराधियों के साथ किसी तरह की ज्यादती या शारीरिक प्रताड़ना गैरकानूनी है, लेकिन फिर भी कुछ अपराधी अपना जुर्म नहीं कुबूलते हैं, ऐसे में पुलिस अपराधियों से सच उगलवाने के लिए थर्ड डिग्री तक का इस्तेमाल करती है. शातिर बदमाश से वारदात का राज उगलवाने के लिए पुलिस कई हथकंडे अपनाती है. कुछ पुलिसिया हथकंडे देखकर तो बदमाश तोते की तरह बोलना शुरू कर देते हैं. ऐसा ही एक हथकंडा है ‘आन मिलो सजना’ नाम से मशहूर पट्टा.

आन मिलो सजना

आम लोगों में ये बात प्रचलित है कि पुलिस अपराधी से सच उगलवाने के लिए एक पट्टे या बेल्ट से उसकी पिटाई करती है और इस पट्टे पर लिखा होता है ‘आन मिलो सजना’. इस बारे में हमने दिल्ली पुलिस के एक पुलिसकर्मी से बात की कि क्या सच में बेल्ट पर ऐसा कुछ लिखा होता है.

क्या सच में ऐसा कुछ लिखा होता है?

नाम न बताने की शर्त पर दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत एक पुलिस वाले ने हमें बताया कि ऐसा कुछ नहीं होता है. बेल्ट पर ऐसा कुछ नहीं लिखा होता है. पुलिस अपनी तरफ से मुजरिम के साथ काफी नरमी से पेश आने की कोशिश करती है. हालांकि, कुछ शातिर बदमाशों के साथ पुलिस को थोड़ा सख्ती से पेश आना पड़ता है और जरूरत पड़ने पर थर्ड डिग्री का भी इस्तेमाल करना पड़ जाता है.