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रायपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ‘भरोसे का सम्मेलन’ कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होने जगदलपुर (बस्तर) पहुंच हुई हैं. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ प्रभारी शैलजा कुमारी, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला भी शामिल हुए हैं.
इस दौरान प्रियंका गांधी ने जगदलपुर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन भी किया. पूजा अर्चना कर देश और प्रदेश के लिए सुख शांति, समृद्धि की कामना की. इसके बाद भरोसे का सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुईं. यहां लालबाग मैदान के निकट स्थित नेहरु स्मृति मंच स्थल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रियंका गांधी वाड्रा ने ऐतिहासिक पंडित नेहरू स्मृति मंच का अवलोकन किया. इस मंच का निर्माण उस स्थल पर किया गया है. जहां से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन को संबोधित किया था. 13 मार्च 1955 को आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर पंडित नेहरू यहां आए थे. यहां लगाए गए पांच शिलालेखों में नेहरू जी के जीवन से संबंधित जानकारी का भी अवलोकन अतिथियों द्वारा किया गया.
विशिष्ट अतिथि प्रियंका गांधी ने काजू प्रसंस्करण केंद्र के स्टॉल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने बस्तर के काजू का स्वाद लिया स्वाद और उसकी जमकर तारीफ भी की. आमचो बस्तर स्टॉल में प्रियंका गांधी ने मिट्टी एवं तांबे के बर्तन की ढलाई करते कारीगरों से बात की. प्रियंका गांधी ने मिलेट्स से बने बिस्किट का भी स्वाद लिया.
प्रियंका गांधी ने स्व सहायता समूह द्वारा बनाई जा रही मिलेट्स चिकी को चखा. सीएम भूपेश बघेल ने उन्हें मिड डे मील में दिए जा रहे मिलेट्स की जानकारी दी. महत्वपूर्ण है छत्तीसगढ़ मिलेट्स उत्पादन में कीर्तिमान रच रहा.
जहां बंदूक की गोलियां सुनाई देती थी, आज वहां लोगों की गीत सुनाई देती है- सीएम बघेल
भरोसे का सम्मलेन कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल ने मंच से सम्बोधित करते हुए कहा कि बस्तर में बाहर के लोग यहां आने से डरते थे. नक्सलियों की दहशत से कोई छत्तीसगढ़ नहीं आता था. हमारे घर वालों की नींद हराम रहती थी, जब तक हम घर नहीं लौटते थे, वो चिंतित रहते थे. नक्सली और पुलिस दोनों की गोलियां चलती थी, लेकिन सीना हमारे निर्दोष आदिवासियों का छलनी होता था. जहां बंदूक की गोलियां सुनाई देती थी आज वहां लोगों के बीच गीत सुनाई देती है.