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नई दिल्ली। नौकरीपेशा हो या कारोबारी, कभी न कभी लोन लेने की जरूरत सभी को पड़ती है। लेकिन लोन पाना इतना आसान भी नहीं है। यह एक लंबी-चौड़ी प्रक्रिया है और कई बार तो लोगों को काफी मशक्कत के बाद भी बेहतर ब्याज दरों पर वांछित लोन नहीं मिल पाता है या फिर इस राह में उन्हें तमाम मुश्किलों को सामना करना पड़ता है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह खराब क्रेडिट स्कोर का होना है, तो वहीं कई बार जटिल वित्तीय मामलों पर जानकारी की कमी भी परेशानी का सबब बन जाती है, जिसके चलते कर्ज लेने वाले स्थिति को ठीक से समझ नहीं पाते और उन्हें खाली हाथ पीछे की ओर लौटना पड़ता है।
देश में किसी व्यक्ति या कंपनी के क्रेडिट इतिहास का मूल्यांकन ज्यादातर क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) के जरिए किया जाता है । CIBIL एक क्रेडिट रेटिंग फर्म है, जिसके 2400 से ज्यादा सदस्य हैं। इसमें NBFCs, बैंक और होम फाइनेंसिंग व्यवसाय जैसे वित्तीय संस्थान शामिल हैं। CIBIL स्कोर के जरिए 55 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों और संगठनों के क्रेडिट इतिहास को मैनेज किया जाता है।
यहां इस बात पर ध्यान देना होगा कि कोई वित्तीय संस्थान उधारकर्ता को कर्ज या क्रेडिट कार्ड को मंजूरी देगा या नहीं, इसमें CIBIL की कोई भूमिका नहीं होती है। लेकिन हां, यह जरूर कहा जा सकता है कि यह लोन लेने के इच्छुक व्यक्ति के बारे में तुरंत एक राय बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, अगर आपका उच्च सिबिल स्कोर है तो कर्ज दिए जाने की संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं। अगर कम CIBIL स्कोर के बावजूद आपका लोन को मंजूरी मिल जाती है, तो समझ लीजिए कि ब्याज दर काफी ज्यादा लगाई गई होगी।
खराब क्रेडिट हिस्ट्री को सुधारना एक चुनौती भरा काम हो सकता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। क्रेडिट स्कोर में सुधार करने में भले ही समय और प्रयास काफी ज्यादा लगाना पड़े, लेकिन यह किसी व्यक्ति को बेहतर शर्तों और कम ब्याज दरों पर लोन पाने में मदद करके, लंबे समय में फायदा पहुंचाता है।
कोई भी व्यक्ति अपनी क्रेडिट रिपोर्ट पाने के लिए क्रेडिट ब्यूरो (इक्विफैक्स, एक्सपेरियन या ट्रांसयूनियन) में से किसी एक के पास जा सकता है। अपनी रिपोर्ट में मौजूद त्रुटियों या चूक को पहचानने के लिए इसकी समीक्षा करनी जरूरी है। तभी आप उन्हें ठीक करने के लिए कह सकते हैं।
एक अच्छा सिबिल स्कोर बनाए रखने के लिए सबसे अच्छी रणनीतियों में से एक समय पर कर्ज चुकाना है। इस तरह उधारकर्ता लोन देने वाली कंपनी पर सकारात्मक असर डाल सकता है और आगे उधार लेने में उसे किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर इस बात को आसान शब्दों में कहा जाए तो सिबिल स्कोर कम होने के सबसे बड़ी वजहों में लोन बकाए के पेमेंट में देरी है। ऐसे में एक व्यक्ति को क्रेडिट कार्ड के जरिए या फिर अपनी आय और समय पर पेमेंट करने की क्षमता के अनुसार ही लोन का विकल्प चुनना चाहिए।
अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने के सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है, अपने क्रेडिट कार्ड की पूरी लिमिट का इस्तेमाल न करना। क्रेडिट लिमिट का सिर्फ 30 प्रतिशत खर्च सुनिश्चित करने से क्रेडिट स्कोर में सुधार करने में काफी मदद मिल सकती है। दरअसल क्रेडिट कार्ड के जरिए 30 प्रतिशत से अधिक खर्च यह दर्शाता है कि आप अपने खर्चों को बिना सोचे समझे बढ़ाते हैं। इससे आपका स्कोर कम हो जाएगा।