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पुंछ। पुंछ में सेना के वाहन पर हमले में शामिल आतंकी भाटादूड़ियां के घने जंगल में पहले से ही छिपे थे। उन्होंने जिस प्रकार से घात लगाकर हमला किया उससे प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आ रही है कि हमलावरों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू -कश्मीर के इलाके से पहले ही घुसपैठ कर जंगल में पनाह ले रखी थी।
इसके साथ ही उन्होंने अपने ओवर ग्राउंड नेटवर्क (ओजीडब्ल्यू) से पूरी रेकी करा ली थी, तभी वाहन पर हमला करने में कामयाबी मिली। सूत्रों का कहना है कि सैन्य वाहनों की आवाजाही तथा मूवमेंट की आतंकियों ने पहले से रेकी करा ली थी। इस बात का पता करा लिया था कि कब कब सैन्य वाहनों की आवाजाही होती है।
इस वजह से उन्होंने पहले से घात लगा रखा था। मौका भी उस दिन का चुना जब इलाके में भारी बारिश हो रही थी और दृश्यता कम थी। घटना को अंजाम देने के बाद वे दोबारा जंगल में भाग निकले। यह जंगल इतना घना है कि इसमें आतंकियों के बारे में पता लगाने में काफी मुश्किलें आती हैं।
यहां से भागकर आतंकी राजोरी के डेरा गली तथा पुंछ के थन्नामंडी इलाके में निकल सकते हैं। इन दोनों जगहों से मुगल रास्ते के जरिये आतंकी घाटी में भाग सकते हैं। इस वजह से सेना ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर रखी है। वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है ताकि ऑपरेशन चलाने में कोई दिक्कत न आए।
वर्ष 2021 में भी जब भाटादूड़ियां इलाके में आतंकियों ने सैन्य जवानों पर हमला किया था तब भी महीने भर तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद भी दहशतगर्दों का पता नहीं चल सका था। जंगल की भौगोलिक स्थितियां तथा बड़े बड़े चट्टान छिपने के लिए माकूल माहौल देते हैं।
सैन्य सूत्रों का कहना है कि घाटी में आतंकवाद पर लगभग नियंत्रण पाने के बाद बौखलाहट में पाकिस्तान तथा आईएसआई ने अब एलओसी पर राजोरी व पुंछ में केंद्रित किया है। यहां नारको टेरर मॉड्यूल के साथ ही आतंकियों के लिए ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को काफी मजबूत करने की साजिश रची है ताकि उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन भी मिले। इससे वह अपने टारगेट की रेकी कराने के मकसद में भी कामयाब हो पाते हैं।
राजोरी के ढांगरी गांव में साल के पहले व दूसरे दिन भी आतंकी हमला करने में सफल रहे थे। यहां उन्होंने हमला कर सात लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के साढ़े चार महीने बाद भी आतंकियों का कोई सुराग हाथ नहीं लग सका है। घटना के बाद एलजी ने भी मौके का दौरा किया था।
गृह मंत्री अमित शाह भी राजोरी जाने के लिए जम्मू पहुंचे थे लेकिन खराब मौसम के कारण वे वहां तक नहीं जा सके थे। इस घटना के बाद विलेज डिफेंस ग्रुप (वीडीजी) को सक्रिय किया गया था। इसके सदस्यों को प्रशिक्षित करने के साथ ही उन्हें हथियार भी मुहैया कराए गए।