Raipur South Seat से मूंछों पर ताव देने लगे हैं पार्टी के तमाम दिग्गज नेता


Raipur South Seat रायपुर। वैसे तो आदर्श चुनावी आचार संहिता की घंटी अभी बजने के कुछ देर है। तो वहीँ छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर सियासत की बिसात बिछ चुकी है। तो वहीं तमाम दलों के मोहरे अपनी-अपनी मूंछों पर ताव देने लगे हैं। पार्टी के तमाम दिग्गज नेता अपने-अपने दांव तय करने में लगे हैं।

तो दावेदार सीटों पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोकने आने शुरू हो चुके हैं। मजेदार बात तो ये है कि एक-एक सीट के लिए कई-कई दावेदार मैदान में आ चुके हैं।

सियासी गलियारों के यायावरों का कहना है कि अगर कायदे से इन दावेदारों को कंट्रोल नहीं किया गया। तो फिर यहीं से भितरघात की पृष्ठभूमि तैयार होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है।

यह बात हर किसी को पता होती है कि टिकट तो किसी एक को ही मिलेगा। उसके बावजूद भी लोग अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर अड़े रहते हैं। पार्टियों के दफ्तरों में आला नेताआंे के आगे भोली सी सूरत बनाए घंटों खड़े रहते हैं।

वैसे तो प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट को भाजपा का अभेद्य किला माना जाता है। यहां से भाजपा के अपराजेय योध्दा बृजमोहन अग्रवाल विधायक हैं। तो वहीं कांग्रेस में अब इसी विधानसभा सीट को लेकर जमकर दावेदारों की रेस हो रही है।

इनमें पूर्व महापौर, वर्तमान महापौर, युवा कांगेस अध्यक्ष, पीसीसी महामंत्री, पार्षद से लेकर और भी न जाने कितने लोग अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। ये सभी दावेदार अपनी-अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने कांग्रेस भवन पहुंच रहे हैं।

हम आपको बता दें कि रायपुर दक्षिण सीट से कांग्रेस के बड़े दावेदारों में एजाज ढेबर महापौर, प्रमोद दुबे पूर्व महापौर, आकाश शर्मा प्रदेश अध्यक्ष युवा कांग्रेस, कन्हैया अग्रवाल पीसीसी महामंत्री ( 2018 में इसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं), सतनाम पनाग पार्षद जैसे दावेदार अपना आवेदन जमा कर चुके हैं।

इसके साथ ही योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा और कर्मकार मंडल के अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल, विकास तिवारी प्रवक्ता भी इसी सीट के प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं ।

इतने सारे दावेदार एक सीट के लिए जुटे हुए हैं। हर कोई अपनी ताकत का मुजाहिरा राजीव भवन में करने पहुंच रहा है। अब सीट एक ही है तो टिकट भी जाहिर सी बात है एक को ही मिलेगा ?

ऐसे में तमाम लोगों की दावेदारी निःसंदेह अंतिम समय में उनके दुःख का कारण ही बनेगी। मन में तकलीफ होने पर वह कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से चुनाव में पार्टी का काम नहीं कर पाएगा। उसके मन में यही रहेगा कि इतनी मेहनत करने के बाद भी मुझे टिकट नहीं मिला।