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Dance ceremony : रायपुर। छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी की ओर से 9 दिवसीय नाचा समारोह के दूसरे दिन गुरुवार की शाम महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर के सभागार में दर्शकों के सामने लालच की बला से बचने का सबक लेकर नाचा कलाकार मंच पर उतरे। यहां संत समाज नाच पार्टी सेमरिया (लिटिया) दुर्ग ने ‘लालच के घर खाली’ प्रहसन से दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया। शुरूआत में छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल ने कलाकारों का स्वागत किया।
अजय उमरे के निर्देशन में प्रस्तुत इस प्रहसन में पति-पत्नी के बीच के घटनाक्रम को दर्शाया गया। जिसमें रोज झगड़ने वाले पति-पत्नी समझदारी दिखाते हैं और झगड़ा नहीं करने का संकल्प लेते हैं। पति खुशी-खुशी बाजार से मुर्गा और दारू लेकर आता है। लेकिन इसी बीच घर में मेहमान आ जाता है। ऐसे में मेहमान को नहीं खिलाने दोनों नई-नई तरकीब सोचते हैं।
Dance ceremony : घटनाक्रम कुछ ऐसा घूमता है कि पत्नी रात के अंधेरे में धोखे से अपने पति के बजाए घर आए मेहमान को सारा खाना खिला देती है। जब पति का नशा टूटता है तो उसे हकीकत पता चलती है। ऐसे में मेहमान बन कर आया समधी उन्हें समझाइश देता है कि घर आए मेहमान का स्वागत फर्ज बनता है। अशिक्षा और लालच की वजह से घर में झगड़ा फसाद होता है और जिंदगी भी कष्टमय हो रही है इसलिए आदमी को लालच नहीं करना चाहिए। इस प्रहसन में मुख्य भूमिकाओं में टीकम साहू-जोकर,पुनीतदास मानिकपुरी-जोकर,कामता साहू-जनाना परी,हेमप्रकाश-परी,शिवचरण कौशिक-परी थे। संगीत पक्ष में तारण गहरवाल-हारमोनियम, शेख जिब्राइल मोहम्मद-बेंजो,ईश्वरी पटेल-तबला,मुक्ति साव-ढोलक और मिनेश्वर सेन-झुमका का योगदान रहा।