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Bhaataapaara halth : भाटापारा– खुलासा। खाएंगे सिंघाड़ा तो खत्म होगी एसिडिटी की समस्या। नियंत्रण में रहेगी शुगर की मात्रा। दिलचस्प यह कि यदि इसका पेस्ट बनाकर फटी हुई एड़ियों में लगाया जाए तो “क्रैक हील” जैसी समस्या भी दूर की जा सकेगी।
इस मौसम में आने वाली, जलीय सब्जी सिंघाड़ा भी अपनी भरपूर मौजूदगी दिखाने लगा है। कम- से- कम सात ऐसी बीमारियां इसके सेवन से दूर की जा सकेंगी, जिससे लगभग हर कोई किसी ना किसी रूप में परेशान है। कीमत क्रय शक्ति के भीतर है। इसलिए सेवन की सलाह, कृषि वैज्ञानिकों ने दी हुई है, ताकि कम-से-कम सात स्वास्थ्यगत बीमारी से दूर रहने में मदद मिल सके।
‘वाटर चेस्टनट’ या ‘वॉटर कैल्ट्रॉप’ के नाम से पहचाने जाने वाले सिंघाड़ा में कैल्शियम, विटामिन-ए और सी की भरपूर मात्रा का होना पाया गया है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा, सिंघाड़ा को कम-से-कम सात ऐसी बीमारियों को दूर करती है, जिससे लगभग हर कोई परेशान होता आ रहा है।
सिंघाड़ा में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व की मात्रा भरपूर होती है। यह मात्रा ही इसे, गले की खराश और टॉन्सिल जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद करती है। शीत ऋतु में इन दोनों बीमारियों का प्रकोप अन्य मौसम की तुलना में कुछ ज्यादा ही रहता आया है। इसलिए मानक मात्रा में सेवन से इन दोनों बीमारियों से बचा जा सकता है।
अस्थमा और मधुमेह की बीमारी से लगभग हर दूसरा व्यक्ति ग्रसित है। दवाइयां तो हैं लेकिन जैसा परिणाम, सिंघाड़ा के सेवन से मिला है, वह हैरत में ही डालता है। फसल की आवक के दिनों में सेवन से यह दोनों बीमारी नियंत्रण में रखी जा सकती है। सीजन की वापसी के बाद सूखा सिंघाड़ा उपयोग में लाया जा सकता है।
शीत ऋतु में एड़ियों के फटने की शिकायत आती है। इसका पेस्ट बनाकर लगाने से क्रैक हील से आराम तो मिलता ही है, साथ ही दर्द वाले हिस्से पर लगाने के बाद दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। गैस और अपच जैसी समस्या दूर रखने में सक्षम, सिंघाड़ा में कैल्शियम की मात्रा भरपूर होने की वजह से गर्भवती महिलाओं के लिए आदर्श खाद्य पदार्थ माना गया है।
सिंघाड़ा को ‘पानी फल’ भी कहा जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है। यह आपको कई बीमारियों से बचाता है। इस फल में विटामिन-सी, मैंगनीज, प्रोटीन, थायमिन, और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर