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भिलाई। शहर के प्रतिष्ठित शिक्षाविद आईपी मिश्रा के पुत्र अभिषेक मिश्रा के हत्या के मामले में पुलिस ने जिन्हें मुख्य आरोपी बनाया था वे अब दोषमुक्त हो गए हैं। करीब आठ साल पहले हुए इस जघन्य हत्याकांड ने भिलाई शहर को हिलाकर रख दिया था। हत्या के आरोप में पुलिस ने अभिषेक मिश्रा की कथित प्रेमिका किम्सी जैन, उसके पति विकास जैन व अजित सिंह को गिरफ्तार किया था। दुर्ग जिला न्यायालय ने 10 मई 2021 को आरोपियों विकास जैन और अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं किम्सी जैन को दोषमुक्त कर दिया था। जिला न्यायालय दुर्ग के फैसले को दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में विकास जैन व अजित सिंह को भी दोष मुक्त कर दिया है।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच में हुई। भिलाई में हुए इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड पर हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ परिस्थिति जन्य साक्ष्य प्रमाणित नहीं हैं। आरोपियों की ओर से भी पैरवी करते हुए वकील अनिल तावड़कर और उमा भारती साहू ने कोर्ट में तर्क रखे कि यह पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका हुआ था। दूसरी ओर अभियोजन पक्ष सुनवाई के दौरान घटना की कडिय़ों को जोड़ नहीं पाया। इसके साथ ही अभिषेक मिश्रा के पिता आइपी मिश्रा ने किम्सी जैन की रिहाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। किम्सी के मामले में उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालय के फैसले को उचित ठहराते हुए आइपी मिश्रा के आवेदन को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा पुलिस विवेचना में भी लापरवाही
मामले में पुलिस विवेचना की लापरवाही सामने आई है। पुलिस और शासन हत्या का उद्देश्य ही साबित नहीं कर सके। इसका लाभ आरोपियों को मिल गया। आरोपियों की एडवोकेट अनिल तावड़कर ने कहा कि इस पूरे मामले में एक भी चश्मदीद गवाह नहीं है। साथ ही प्रार्थी की ओर से सिर्फ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान हत्या का मामला दर्ज किया, लेकिन न तो गवाह हैं और न ही साक्ष्य हैं। जिस दिन हत्या और लाश को दफनाने की बात कही जा रही है, उस दिन धनतेरस थी और बाजार के साथ पूरे क्षेत्र में भीड़ थी। पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में कहा गया कि अभिषेक मिश्रा को किम्सी ने चौहान टाउन स्थित घर पर 9 नवंबर 2015 बुलाया। घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक के बीच विवाद हुआ। पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से रॉड से वार किया, जिससे वह वहीं कमरे में गिर गया। फिर अभिषेक को किम्सी के चाचा अजीत सिंह जो किराये पर स्मृति नगर भिलाई में रहता था। उसको वहां ले जाकर पहले से किए गए 6 फीट गहरे गड्ढे में ले जाकर दफना दिया था।
एक भी चश्मदीद नहीं ढूंढ पाई पुलिस
हाईकोर्ट में कहा गया कि चौहान टाउन स्थित घर और स्मृति नगर भिलाई की दूरी तीन किमी से अधिक है। इसके बाद भी इस पूरे मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी पुलिस की विवेचना में नहीं है। साथ ही पुलिस के द्वारा कहा गया कि लाश के उपर फूल गोभी की सब्जियां उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लाकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी और कहा गया कि 100 किलो से अधिक नमक डालकर ऐसा किया गया, जिससे की बदबू नहीं आए। बचाव पक्ष ने कहा कि 45 दिनों तक लाश पड़ी रही ऐसे में नमक का उपयोग किया गया होता तो वह घुल जाता जबकि नमक सालिड मिला था। साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के सिर या दूसरे किसी बाडी पार्ट में राड से वार का उल्लेख नहीं है।
यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था और उसके बाद हत्या कर दी गई थी। हाईप्रोफाइल इस मामले में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। हत्याकांड के बाद लाखों मोबाइल खंगाले गए और पुलिस कई कड़ियों को जोड़ते हुए सेक्टर-10 निवासी विकास जैन तक पहुंची। घटना के करीब 45 दिन बाद पुलिस ने विकास जैन की पत्नी किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी-गली लाश बरामद की। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में विकास जैन, किम्सी जैन व अजित सिंह को आरोपी बनाया न्यायालय में पेश किया।