चीन को टक्कर देने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन का परमाणु पनडुब्बी डील


कैनबेरा: चीन को टक्कर देने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने तैयारी कर ली है। ऑस्ट्रेलिया ने फैसला किया है कि वह यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ AUKUS डील के तहत परमाणु संचालित पनडुब्बियों का अधिग्रहण करेगा। यह अधिग्रहण कैसे होगा ऑस्ट्रेलिया ने 18 महीनों के बाद इसकी योजना बना ली है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने मंगलवार को घोषणा की कि ऑस्ट्रेलिया एडिलेड में आठ परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का एक बेड़ा बनाएगा।

लेकिन इस डील पर पहुंचना आसान काम नहीं था। ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से पनडुब्बी खरीदने के लिए 90 अरब डॉलर का समझौता कर रखा था। लेकिन पिछले साल ऑस्ट्रेलिया ने इस समझौते को तोड़ दिया। परमाणु पनडुब्बियों के लालच में यह समझौता तोड़ा गया। फ्रांस इस पर नाराज हुआ, लेकिन ऑस्ट्रेलिया 58.5 करोड़ डॉलर का मुआवजा देने के लिए तैयार हो गया। सितंबर 2021 में AUKUS की घोषणा की गई थी। ऑस्ट्रेलिया के पास कॉलिन्स क्लास की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है जो 2038 तक सर्विस से बाहर होंगी। वहीं न्यूक्लियर पावर वाली पनडुब्बियां 2040 तक आएंगी। यानी कि ऑस्ट्रेलिया में परमाणु पनडुब्बी न होने से उसकी क्षमता पर असर पड़ता।

क्या है AUKUS डील

AUKUS डील ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक सुरक्षा समझौता है। इसके तहत तीनों देश आपस में खुफिया जानकारी भी साझा करेंगे। इसके साथ ही परमाणु पनडुब्बी भी ऑस्ट्रेलिया को मिलेगी, जिससे दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया की नौसेना ताकतवर होगी। 2030 के दशक की शुरुआत में अमेरिका की तीन मौजूदा वर्जीनिया क्लास पनडुब्बियां 50 अरब डॉलर की कीमत पर मिलेंगी। ऑस्ट्रेलिया के पास विकल्प होगा कि वह 58 अरब डॉलर देकर दो अन्य पनडुब्बियों को खरीद सके। ऑस्ट्रेलिया पनडुब्बी निर्माण की औद्योगिक क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन में 3 अरब डॉलर का निवेश करेगा।