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Balod Politics : बालोद ! कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत सदस्य मीना साहू ने आज अपना नामांकन दाखिल किया है इस दौरान साहू समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे आपको बता दें कि इससे पूर्व 1972 में उनके ससुर तेज राम साहू ने भी कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था जहां उन्हे हार का सामना करना पड़ा आज उनकी बहू मीना साहू इतिहास को दोहराते हुए फिर से निर्दलीय चुनाव में लौटी है मीना साहू ने कहा कि पार्टी ने मान मनौव्वल के लिए कोई संपर्क नहीं किया, मीना साहू द्वारा जो पोस्टर सोशल मीडिया में चलाए जा रहे हैं किसी में निर्दलीय तो किसी पर सर्व समाज का प्रत्याशी बताया जा रहा है शह और मात के इस चुनाव में साहू समाज से समर्थन लेकर प्रत्याशी मीना साहू किसका नफा और नुकसान करती है यह तो वक्त ही बताएगा फिलहाल जानते हैं कि उन्होंने आज अपने नामांकन रैली के दौरान क्या कहा।
निर्दलीय नामांकन भरा रहे मीना साहू से जब चर्चा की गई उन्हें पूछा गया कि जब भी कांग्रेस से भाग होकर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर रहे हैं पार्टी में उनसे संपर्क करने की कोशिश की या नहीं तो फिर उन्होंने कहा कि अभी तक किसी तरह का संपर्क मुझे नहीं किया गया है।
जिस तरह के बैनर पोस्टर सोशल मीडिया में देखे जा रहे हैं उसमें मीना साहू निर्दलीय प्रत्याशी है या फिर साहू समाज की अधिकृत प्रत्याशी है या फिर सर्व समाज ने उन्हें अपना समर्थन दिया है या कुछ भी समझ नहीं आ रहा है लेकिन इतना स्पष्ट है कि बालोद विधानसभा के साहू समाज के दोनों तहसील अध्यक्षों ने उनके समर्थन को लेकर परी लेटर जरूर जारी किया है जिसमे समाज से अपील की गई है।
आपको बता दें कि साहू समाज वैसे तो 90000 से अधिक मतों के साथ एक बड़ा समाज है परंतु साहू समाज में एकता को लेकर हमेशा से ही प्रश्नवाचक चिन्ह लगते आया है इससे भी पहले साहू समाज के प्रत्याशी पवन साहू और प्रीतम साहू को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा जब राष्ट्रीय पार्टियों ने टिकट दिया तो साहू समाज अपनी एकजुट साबित नहीं कर पाई और आप जब दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने गैर साहू प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं तो साहू समाज अब एकजुट हो चला है अब देखना यह है कि साहू समाज के एकजुटता आगे क्या रंग लाती है।
मीना साहू के मैदान में उतरने के पीछे कई तरह के कारण बताया जा रहे हैं पहले तो वर्तमान विधायक संगीता सिन्हा और भैया राम सिंह से राजनीतिक लड़ाई शुरुआती दौर से ही चलते आ रही है मीना साहू भी कांग्रेस से लगातार टिकट मांग रही थी इस बार भी टिकट के लिए उन्होंने दिल्ली तक दौड़ लगाई परंतु कांग्रेस ने इस बार भी संगीता सिंह पर विश्वास जताया जिसके बाद राजनीतिक आग सुलगती गई कई विरोधी चेहरे उनके समर्थन में आए और साहू समाज पूरे इस राजनीतिक लड़ाई में केंद्र बिंदु बन गया मीना साहू के समर्थन में जो लोग आए हैं उनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनको कांग्रेस कार्यालय में ही विवाद लड़ाई झगड़ा और हाथों में कुर्सियां तक झेलनी पड़ी थी और उन्हें कार्यालय से भाग खड़ा होना पड़ा था अब जो कांग्रेस के ही विश्वास पात्र नहीं रहे क्या उन पर समाज या फिर क्षेत्र की जनता विश्वास कर पाएगी नहीं है।