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Biranpur case : सक्ती _बिरनपुर मामले में न्यायालय के फैसले के बाद एक बार फिर प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन कटघरे में खड़ा हो गया है। सत्र न्यायायल ने अपने फैसले में न केवल प्रदेश के बहुसंख्यक हिंदू समाज के आरोपी बनाए गए लोगों को बाइज्जत बरी किया है बल्कि फर्जी तरीके से आरोपी बनाने वाले पुलिस अफसरों के खिलाफ जांच करने भी कहा है। उन्होंने इस फैसले को न्याय की जीत बताते हुए कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश की कांगे्रस सरकार और उसके दबाव में कठपुतली बनी पुलिस और जिला प्रशासन ने बहुसंख्यक हिंदू समाज को टारगेट कर परेशान करने और तोडऩे का ही प्रयास किया है। मामला चाहे कबीरधाम (कवर्धा) का हो या बिरनपुर और खुर्सीपार का। बस्तर, सरगुजा और मध्यक्षेत्र में धर्मांतरण का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ कई जगह झूठे मामले दर्ज कर बहुसंख्यक वर्ग को तोडऩे का प्रयास इस सरकार द्वारा लगातार किए गए हैं। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि प्रदेश की यह भूपेश सरकार बहुसंख्यक हिन्दू समाज के प्रति दुर्भावना का परिचय दे रही है।
Biranpur case : उन्होंने कहा कि बेमेतरा के जिला एवं सत्र न्यायालय ने 6 माह के अल्प समय में फैसला देकर प्रदेश के बहुसंख्यक हिंदू समाज का न्यायालय के प्रति सम्मान को बढ़ाया है, वर्ना इस सरकार ने उन्हें जेल में डाले रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भाजपा सक्ती जिला अध्यक्ष कृष्णकांत चंद्रा – ने कहा कि सत्र न्यायालय का जो फैसला आया है, उससे भाजपा के कथन और आरोपों की पुष्टि हुई है कि किस प्रकार सरकार ने बहुसंख्यक हिन्दू समाज के खिलाफ इकतरफा कार्रवाई की। दूसरी तरफ मृतक भुनेश्वर साहू के पिता व भाई ने जो अभियुक्त बताए थे, संख्या बताई थी, आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है और न उनसे पूछताछ की गई। वे अभियुक्त आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।
Biranpur case : वहीं दूसरी ओर निरपराध हिन्दू समाज के नौजवानों को झूठे मुकद्दमे में फंसाकर उनको जेल में डाला गया। बेमेतरा जिला न्यायालय के निर्णय से वे बातें साबित होती हैं, जिनकी ओर भाजपा लगातार इशारा करती रही है। बलवा, हिंसा और आगजनी के मामले में जिन 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनके खिलाफ अभियोजन कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी। मामले में कोई गवाह भी नहीं मिला, जिस वीडियो के आधार पर मामला बनाया गया था, उस वीडियो में भी कोई तथ्य नहीं मिला। इस आधार पर गिरफ्तार 12 हिंदुओं को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है।
जिलाध्यक्ष कृष्णकांत चंद्रा ने बताया कि न्यायालय ने पुलिस के बड़े अधिकारियों को दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध जांच करने का निर्देश प्रदेश के डीजीपी और दुर्ग के आईजी को दिए हैं। न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा है, कि तीनों पुलिस अधिकारियों क्रमश: प्रकरण के विवेचनाधिकारी सहायक उपनिरीक्षक भानुप्रताप पटेल तथा मौके पर उपस्थित रहकर प्रकरण के विवेचनाधिकारी को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले बेमेतरा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पंकज पटेल तथा इस मामले के विवेचना कार्यवाही करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले बेमेतरा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कल्याण एलेसेला के द्वारा किये गये उपरोक्त धोर उपेक्षा एवं लापरवाहीपूर्ण विवेचना के कारण इस प्रकरण के अभियुक्तगणों को काफी दिनों तक न्यायिक अभिरक्षा में भी रहना पड़ा है, जिसके संबंध में पुलिस के वरिष्ठ, अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया जाना और उपरोक्त दोनों पुलिस अधिकारियों के द्वारा इस प्रकरण में किये गये विवेचना संबंधी घोर उपेक्षा एवं लापरवाही के लिये उनके विरुद्ध पृथक से जांच किया जाना अत्यावश्यक प्रतीत होता है। अत: इस निर्णय की एक-एक प्रतिलिपि राज्य के पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय, अटल नगर नवा रायपुर छ.ग. तथा एक प्रतिलिपि पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज, दुर्ग (छ.ग.) एवं उक्त निर्णय की एक प्रतिलिपि जिला बेमेतरा के पुलिस अधीक्षक को प्रेषित किया जावे।