CG Politics: फिर नया अध्याय लिखेगा महासमुंद! भाजपा प्रत्याशी को मिल रहा है सत्ता और संगठन का साथ, कांग्रेस में सामाजिक राजनीति हावी


रायपुर ( न्यूज़)। कभी विद्याचरण शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल और अजीत जोगी जैसे नेताओं का भाग्य तय करने वाला महासमुंद क्षेत्र एक बार फिर नया अध्याय लिखने जा रहा है। भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक व जिलाध्यक्ष रूपकुमारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है, जो पहली बार संसदीय चुनाव मैदान में है, वहीं कांग्रेस ने साहू समाज की बाहुल्यता के मद्देनजर पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पर दाँव खेला है, जो दुर्ग जिले से आते हैं। इस लिहाज से महासमुंद लोकसभा के लिए दोनों नेता नए हैं। जो भी जीतेगा, दिल्ली की राजनीति में उसका कद बढऩा तय है। विधायक, मंत्री और सांसद जैसे पदों पर रह चुके ताम्रध्वज साहू के पास राजनीति का लम्बा अनुभव है, जबकि रूपकुमारी भी ग्रामीण राजनीति से निकलकर विधायक के पद तक पहुंची। उनके साथ एक सकारात्मक बात यह है कि वे जिला संगठन की अध्यक्ष हैं। यानी पूरा संगठन उनके साथ है। कांग्रेस प्रत्याशी के साथ ऐसी स्थिति नहीं है।

छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को महासमुंद में मतदान होना है। इसके लिए प्रत्याशी अपने-अपने स्तर पर खूब जोर-आजमाइश कर तो रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला यहां भाजपा व कांग्रेस के ही बीच है। इस सीट ने ज्यादातर कांग्रेस प्रत्याशी पर भरोसा जताया है, लेकिन पिछले 3 चुनावों से यहां भाजपा को जीत मिल रही है। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस अपने इस पुराने किले को भेद पाएगी? दरअसल, स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर नाराजगी देखी गई थी। यह नाराजगी इसलिए थी क्योंकि पार्टी ने जिस ताम्रध्वज साहू को उम्मीदवार घोषित किया, वे दुर्ग जिले आते हैं। भले ही कांग्रेस ने बड़े चेहरों को टिकट देने की अपनी योजना के तहत ताम्रध्वज को महासमुंद से उतारा, लेकिन कहीं न कहीं टिकट वितरण का आधार क्षेत्र का ओबीसी बाहुल्य होना और उस पर भी साहू समाज की संख्या अधिक होना रहा। महासमुंद क्षेत्र को बड़ा नेता बनाने वाला क्षेत्र माना जाता है। इस आधार पर इस लोकसभा क्षेत्र को बड़े नेताओं की पैदाइश भी कहा जाता है।

19 में से 12 बार जीती कांग्रेस
1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव से लेकर अब तक महासमुंद में कुल 19 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 12 बार कांग्रेस को जीत मिली। शायद यही वजह है कि महासमुंद को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। लेकिन पिछले 3 चुनावों से लगातार यहां भाजपा को जीत मिल रही है। अलग राज्य बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने 2004 में इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस के लिए जीत हासिल की थी। उसके बाद 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा जीती। फिलहाल ताम्रध्वज साहू के समक्ष यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह महासमुंद को एक बार फिर कांग्रेस की झोली में डालें। इतिहास की बात करें तो 1952 से 1971 तक इस सीट से लगातार कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार भी सांसद बने। 2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा के चंदूलाल साहू विजयी रहे तो 2019 के पिछले चुनाव में चुन्नीलाल साहू ने जीत हासिल की।

भाजपा के साहू जीते तो कांग्रेस ने साहू को उतारा
भाजपा ने इस सीट पर अब तक सिर्फ 3 बार जीत हासिल की है और तीनों बार पार्टी के साहू प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। पिछला चुनाव चुन्नीलाल साहू जीते तो उसके पहले के दो चुनाव में चंदूलाल साहू ने विजयी परचम लहराया। भाजपा के साहू प्रत्याशियों की जीत के ही मद्देनजर कांग्रेस ने इस सीट पर ताम्रध्वज साहू पर दाँव खेला है। गौरतलब है कि भाजपा ने इस सीट पर पहले ही रूपकुमारी चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। ऐसे में कांग्रेस ने यहां बड़ा सामाजिक दांव चलते हुए पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को उतारा। ताम्रध्वज, साहू समाज का बड़ा चेहरा रहे हैं और 2014 में मोदी लहर के बावजूद दुर्ग सीट से कांग्रेस का परचम लहराने में कामयाब रहे थे। पार्टी ने सांसद रहते हुए ही उन्हें दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। सरकार बनने के बाद वे कांग्रेस का सीएम चेहरा भी थे, लेकिन बाद में नंबर दो माने जाने वाले गृहमंत्री बनाए गए।

कुछ ऐसा है जातीय समीकरण
महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर 51 फीसद वोटर्स ओबीसी वर्ग के हैं। इनमें साहू, कुर्मी, यादव, अघरिया, और कोलता समाज की बहुलता है। वहीं अनुसूचित जनजाति के मतदाता करीब 20 फीसद हैं, तो अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 11 फीसद हैं। साथ ही अनारक्षित वर्ग के करीब 12 फीसद मतदाता हैं। आंकड़े देखने से साफ पता चलता है कि महासमुंद लोकसभा सीट अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल है। यहां का फैसला भी इसी वर्ग के हाथ में है। वहीं, इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 17,59,181 हैं. जिनमें 8,65,125 पुरुष और 8,94,023 महिला मतदाता हैं। 33 तृतीय लिंग मतदाता हैं। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता 28,898 अधिक हैं। अब तक देखने में आता रहा है कि वोट करने में शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक उत्साहित महिलाएं ही रहती हैं। महिलाएं लंबी-लंबी कतार में घंटों लगकर वोट डालने पहुंचती हैं। वहीं महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की कतार कम ही रहती है। भाजपा ने इस बाद महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, ऐसे में देखना होगा कि रूपकुमारी को महिलाओं का साथ कितना मिलता है।

काँटे की टक्कर के आसार
क्षेत्र में इस बार कड़े मुकाबले के आसार हैं। अलग राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ के संसदीय चुनावों में कांग्रेस का जनाधार कमजोर रहा है, लेकिन इस बार पार्टी के नेताओं को भरोसा है कि कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहेगी। खासकर महासमुंद सीट को लेकर कांग्रेस के आला नेता भी आशान्वित हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे कई तरह के तर्क भी देते हैं। उनका कहना है कि साहू समाज से प्रत्याशी उतारना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक हो सकता है। वहीं भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी के पास राजनीतिक और सामाजिक अनुभव ज्यादा है। नामांकन दाखिले के वक्त जब दोनों दलों के प्रत्याशी आमने-सामने हुए थे तो भाजपा प्रत्याशी रूपकुमारी ने कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू के पैर छूकर आशीर्वाद मांगा था। कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी ने इस घटनाक्रम के जरिए यह स्वीकार किया कि ताम्रध्वज साहू उनसे ज्यादा अनुभवी हैं। हालांकि भाजपा के लोग इसे बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने की संस्कृति और परंपरा से जोड़ते हैं।

संघ से जुड़ाव, संगठन पर मजबूत पकड़
भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद चुन्नीलाल साहू का टिकट काटकर जिस रूपकुमारी चौहान को प्रत्याशी बनाया है, वे अघरिया समाज से आतीं हैं। दो बार जिला पंचायत की सदस्य रहने के अलावा वे बसपा विधानसभा से विधायक भी रह चुकीं हैं। फिलहाल जिला भाजपा की अध्यक्ष हैं। रूप कुमारी चौधरी 2005 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनीं थी। 2006 में भाजपा की कार्यकारिणी सदस्य बनीं। 2010 में जिला पंचाचयत की दोबारा सदस्य निर्वाचित हुईं। 2011 में महिला मोर्चा की जिला महामंत्री का पद संभाला। 2013 में बसना विधानसभा से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के विधायक देवेन्द्र बहादुर सिंह को हराकर पहली बार विधायक निर्वाचित हुईं। 2015 से 2018 तक संसदीय सचिव रहीं। 2014 में भाजपा की प्रदेश मंत्री बनाईं गई। रूप कुमारी चौधरी आरएसएस से भी जुड़ी हुई है। संगठन में उनकी अच्छी पकड़ है। 2018 में उनकी टिकट काटकर दुर्गाचरण पटेल को टिकट दिया गया। पर वे भी जीत हासिल नहीं कर सके और भाजपा तीसरे नंबर पर रही। नवंबर 2019 से अब तक रूप कुमारी चौधरी महासमुंद जिला भाजपा अध्यक्ष के पद पर है। 2023 के विधानसभा में भी उन्होंने टिकट की मांग की थी। पर उन्हें विधानसभा की टिकट नहीं दी गई सीधे लोकसभा की दी गई है।