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रायपुर ( न्यूज़)। सरोज पाण्डेय के रूप में भाजपा ने जो चक्रव्यूह कोरबा में रचा है, उससे पार पाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। इस सीट पर महंत परिवार की प्रतिष्ठा दाँव पर है। अपने चिर-परिचित अंदाज में धुआंधार चुनाव प्रचार कर रही सरोज पाण्डेय से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को कड़ी चुनौती मिल रही है। इस क्षेत्र में गोंगपा और बसपा का खासा जनाधार है, ऐसे में नजरें इस बात पर भी टिकी है कि इन दोनों की मौजूदगी से नफा-नुकसान का गणित क्या होगा? इसमें कोई संदेह नहीं है कि गोंगपा का क्षेत्र में खासा जनाधार है। विधानसभा चुनावों में इस लोकसभा क्षेत्र से उसने करीब डेढ़ लाख वोट सकेलने में सफलता पाई थी।
परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आई कोरबा सीट पर अब तक हुए 3 चुनाव के नतीजे मिले-जुले रहे हैं। भाजपा यहां एक बार जीती है। इस बार भी पार्टी जीत को लेकर आश्वस्त है तो इसकी एक प्रमुख वजह यहां से निर्वाचित भाजपा के 6 विधायक हैं। उम्मीद की जा रही है कि पार्टी के विधायक अपने क्षेत्र के वोटों को बिखरने नहीं देंगे। कोरबा क्षेत्र को महंत परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन यह भी सच है कि विधानसभा चुनाव में इस गढ़ में भाजपाई सेंधमारी हो चुकी है। चरणदास महंत वर्तमान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत वर्तमान सांसद हैं। इन हालातों में भाजपा के लिए कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन पार्टी ने जिस तरह का चक्रव्यूह इस क्षेत्र के लिए रचा है, कांग्रेस प्रत्याशी में उससे बाहर निकलने की कुलबुलाहट दिखती है। उल्लेखनीय है कि पिछला चुनाव कांग्रेस की ज्योत्सना महंत ने 26 हजार से ज्यादा मतों से जीता था। कोरबा उन दो लोकसभा सीटों में एक थी, जिसमें कांग्रेस को जीत हासिल हुई।
सरोज का धुआंधार प्रचार
प्रत्याशी घोषित होने से काफी पहले से ही सरोज पाण्डेय इस क्षेत्र पर ध्यान देती रही हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि उन्हें क्षेत्रीय स्थितियों की खबर नहीं है। दरअसल, दुर्ग से विजय बघेल की मौजूदगी और ओबीसी वोटर्स की संख्या के मद्देनजर पार्टी ने सरोज पाण्डेय को क्षेत्र चुनने की आजादी दी थी। माना जाता है कि इसके बाद ही सरोज ने कोरबा क्षेत्र का चयन किया। वर्तमान में उनका धुआंधार चुनाव प्रचार अभियान चल रहा है। उत्कृष्ट संवाद शैली और बेहतर भाषण कला के चलते आम मतदाताओं पर उनकी एक अलग छाप पड़ रही है। यही वजह है कि उनको देखने और सुनने लोगों का हुजूम लग रहा है। गांव-गांव में सरोज की नुक्कड़ सभाएं हो रही है और उनका अभूतपूर्व स्वागत हो रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को वे उनके 5 साल के कार्यकाल को लेकर घेर रही हैं। माना जा रहा है कि क्षेत्र में मोदी की गारंटियों का भी खासा असर है। खासकर महिलाओं को लुभाने के लिए मोदी की गारंटी काफी कारगर साबित हो रही है।
शुरू हुआ नामांकन का सिलसिला
क्षेत्र में नामांकन पत्र के दाखिले की शुरुआत 12 अप्रैल से हो गई है। नामांकन की अंतिम तिथि 19 अप्रैल व नाम वापसी की 22 अप्रैल है जबकि मतदान 7 मई को होगा। यहां करीब पंद्रह लाख मतदाताओं में महिलाओं की तुलना में पुरूष मतदाताओं की संख्या अधिक है। पिछले चुनाव में कोरबा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 75 प्रतिशत मतदान हुआ था जो एक कीर्तिमान है। मुद्दों की बात करें तो मोदी की गारंटी के रूप में कुछ महत्वपूर्ण वायदों को पूरा कर भाजपा ने अपनी छाप छोड़ी है, इसका फायदा पार्टी को मिलने की पूरी संभावना है। ऐसे में यहां राष्ट्रीय की बजाए प्रादेशिक मुद्दे ज्यादा प्रभावी रहने की संभावना है। भाजपा महतारी वंदन जैसी योजनाओं के साथ ही भगवान राम के नाम पर देश में चल रही हिंदुत्व की लहर पर भी भरोसा कर रही है। मतदान को अभी वक्त है, ऐसे में मतदाताओं तक पहुंचने और उन तक अपनी बात पहुंचाने की होड़ लगी है। पिछली बार की तरह इस बार भी यहां कांटे की टक्कर की संभावना जरूर जताई जा रही है।
महिला सांसद का जीतना तय
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में इस बार भी महिला का सांसद निर्वाचित होना तय है। दरअसल, दोनों पार्टियों द्वारा महिला प्रत्याशी उतारे जाने से यह स्थिति बनी है। वर्तमान में भी कांग्रेस की ज्योत्सना महंत कोरबा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ऐसे में जीते कोई भी, महिला सांसद का निर्वाचित होना इसलिए भी तय है, क्योंकि इस क्षेत्र में तीसरे विकल्प का बहुत ज्यादा स्थान नहीं है। अलबत्ता, तीसरा विकल्प नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता जरूर रखता है। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कुल चार जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल है। जिनमें कोरिया व एमसीबी जिले के बैकुंठपुर, मनेंद्रगढ़ और भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र के अलावा पेण्ड्रा जिले से मरवाही विधानसभा जबकि कोरबा जिले से पाली-तानाखार, कटघोरा, रामपुर और कोरबा विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इस सीट पर भाजपा ने हर बार अपना प्रत्याशी बदला है। हालांकि उसे सफलता अब तक महज एक बार ही मिली है, जब 2014 में भाजपा के डॉ. बंशीलाल महतो ने चरणदास महंत को हराया था।
हर चुनाव में बढ़ा मतदान प्रतिशत
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में पिछले तीन चुनाव में लगातार मतदान का प्रतिशत बढ़ता ही रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 2009 में सम्पन्न हुआ, तब वोट का प्रतिशत 58.41 प्रतिशत रहा, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 659741, महिला मतदाताओं की संख्या 616702 रहा। तब कुल मतदाताओं की संख्या 1276443 थी। अगला लोकसभा चुनाव वर्ष 2014 में सम्पन्न हुआ तब वोट का प्रतिशत बढकर 73.95 हो गया। इस समय पुरुष मतदाताओं की संख्या 729951 रही जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 693664 थी। इस चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 1423729 रही। वर्ष 2019 में हुए कोरबा लोकसभा चुनाव में वोट का प्रतिशत 75 रहा। तब पुरुष मतदाताओं की संख्या 759225 और महिला मतदाताओं की संख्या 749560 रही। इस चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 15,08,840 रहा। ऐसे में यह अपेक्षा की जा रही है कि इस बार भी मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। इसके लिए जिला निर्वाचन कार्यालय भी लगा हुआ है।