CG Politics: कोरबा में इस बार दिलचस्प हुआ चुनाव, सरोज ‘दीदी’ के सामने फीकी पड़ रही ज्योत्सना ‘भाभी’ की चमक


रायपुर ( न्यूज़)। भले ही कोरबा क्षेत्र में महंत परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत हो, लेकिन इस बार इस परिवार को सरोज पाण्डेय के रूप में एक बड़ी और तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, पहले केन्द्रीय मंत्री और बाद में छत्तीसगढ़ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुके दिग्गज कांग्रेस नेता चरणदास महंत और वर्तमान में सांसद रहते हुए ज्योत्सना महंत के वायदे अब भी अधूरे हैं। इन अधूरे वायदों पर सरोज पाण्डेय की बेहतर छवि भारी पड़ रही है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस के लिए कोरबा की राह इस बार आसान नहीं मानी जा रही है। सरोज को छत्तीसगढ़ में सम्मानस्वरूप दीदी कहकर सम्बोधित किया जाता है, वहीं ज्योत्सना महंत को चरणदास महंत की वजह से भाभी कहा जाता है। ऐसे में कोरबा के मतदाताओं को दीदी और भाभी के बीच से जीत की राह निकालनी है। चुनाव प्रचार अभियान फिलहाल दिलचस्प नतीजों की ओर बढ़ता दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत वर्तमान में कोरबा से ही सांसद हैं। उनके पति डॉ. महंत भी कोरबा से सांसद रह चुके हैं। महंत पिछली कांग्रेस सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में वे मंत्री भी रहे तथा दो बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे हैं। राजनीतिक लिहाज से ज्योत्सना महंत का कद किसी तरह से कमजोर नहीं माना जा सकता है। परंतु सरोज पांडे की तुलना में वे वैसी मंजी हुई वाकपटु राजनेता नेता के रूप में पहचान नहीं बना पाई है, जैसी पहचान सरोज पांडेय की है। आठ विधानसभा वाले कोरबा लोकसभा क्षेत्र में मरवाही, पाली तानाखार, भरतपुर सोनहत, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर, रामपुर, कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र महंत परिवार का गढ़ माना जाता है। परंतु सच यह भी है कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए डॉ. चरणदास महंत एवं सांसद रहते हुए ज्योत्सना महंत ने क्षेत्र में विकास के जो वादे किए थे, वह अभी तक पूरे नहीं हुए। फिर चाहे वह कृषि विज्ञान केंद्र हो, या उद्यानकी महाविद्यालय। सांसद के रूप में श्रीमती महंत पर निष्क्रियता का भी आरोप लगता रहा है। इन सबके अलावा कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को भी अपने सांसद से जैसी अपेक्षा थी, वह पूरी होती दिखाई नहीं दी। इस लिहाज से सांसद ज्योत्स्ना महंत को इस लोकसभा चुनाव में काफी राजनीतिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उनकी दिक्कतें इस वक्त और भी बढ़ गई है, क्योंकि उनके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में दिग्गज नेत्री सरोज पांडेय है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म होना स्वाभाविक है।

भाजपा विधायकों का वर्चस्व
कोरबा लोकसभा क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्र में से 6 विधानसभा क्षेत्रों पर अभी भाजपा के ही विधायक चुनकर आए हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा की स्थिति काफी मजबूत है। खासकर सरोज पांडेय जैसी राष्ट्रीय नेत्री के चुनाव मैदान में होने से कोरबा लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल बन गई है। लिहाजा, यहां होने वाले मुकाबले पर सबकी नजरें लगी हुई है। वैसे भी सरोज की मौजूदगी से क्षेत्र के कांग्रेसियों में अजीब-सी खामोशी है। दरअसल, कोरबा सीट फतह करने भाजपा ने इस बार सरोज पाण्डेय के रूप में बड़ा दाँव खेला है, जिसकी उम्मीद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को नहीं थी। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस से पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था, बावजूद इसके महंत परिवार की क्षेत्र में पैठ को देखते हुए पार्टी इस परिवार से बाहर जाकर फैसला नहीं कर पाई। हालांकि माना जा रहा है कि चुनाव में सरोज पाण्डेय कांग्रेस की ज्योत्सना महंत पर भारी पड़ सकती है।

दीदी और भाभी में कौन किस पर भारी?
गौरतलब है कि कोरबा से भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय को राजनीतिक कार्यकर्ता और आमजन दीदी कहकर संबोधित करते हैं। वहीं, दूसरी ओर सांसद ज्योत्स्ना महंत अपने लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच भाभी के रूप में प्रचलित हैं। ऐसे में दीदी और भाभी के बीच का मुकाबला चुनावी समर में कैसा होगा? इस पर सबकी नजरें लगी हुई है। जातीय समीकरणों की बात करें तो कोरबा लोकसभा में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग के 44.5 प्रतिशत मतदाता हैं। इसके बाद अनुसूचित जाति के 9.2 फीसदी, मुस्लिम वोटर्स 3.5 प्रतिशत और बाकी बचे हुए वोटर्स सामान्य वर्ग और ओबीसी कैटेगरी से हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में साक्षरता दर 61.16 प्रतिशत है। वर्तमान में इस लोकसभा क्षेत्र में 15 ,99,188 मतदाता हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस की ज्योत्सना महंत ने विजय हासिल की थी। उन्हें 5.23 लाख वोट मिले थे, वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की ज्योतिनंद दुबे को 4.97 लाख मत मिले थे।

अब तक हुए हैं सिर्फ 3 चुनाव
कोरबा संसदीय सीट के इतिहास पर चर्चा करें तो यहां परिसीमन के बाद से अब तक महज 3 चुनाव हुए हैं। 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। जबकि इससे पहले यह क्षेत्र जांजगीर सीट का हिस्सा हुआ करता था। परिसीमन पश्चात 2009 के प्रथम लोकसभा चुनाव में यहां से डॉ. चरणदास महंत ने जीत हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें केन्द्रीय राज्यमंत्री बनाया गया था। जबकि 2014 के चुनाव में भाजपा के डॉ. बंशीलाल महतो ने विजय हासिल की। उन्होंने क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे डॉ. चरणदास महंत को पराजित किया था। कोरबा क्षेत्र का तीसरा चुनाव 2019 में हुआ था। कांग्रेस पार्टी ने इस चुनाव में डॉ. महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को टिकट दी, जिन्होंने जीत हासिल की थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने श्रीमती महंत को रिपीट किया है, जबकि एक-एक सीट को महत्वपूर्ण मानते हुए भाजपा ने यहां से छत्तीसगढ़ का बड़ा चेहरा मानी जाने वाली सुश्री सरोज पाण्डेय को उतारा है। इससे कोरबा का रणक्षेत्र दिलचस्प हो गया है।