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रायपुर ( न्यूज़)। लोकसभा चुनाव को अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। मार्च में कभी भी आचार संहिता लगने की संभावना है। ऐसे में राजनीतिक दलों की तैयारियां भी तेज हो गई है। प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद हालात तेजी से बदले हैं और विगत 2019 के चुनाव में 9 सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस बार सभी 11 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल में प्रत्याशियों के नामों को लेकर माथापच्ची अंतिम दौर में है। विधानसभा चुनाव की ही तर्ज पर भाजपा लोकसभा चुनाव में भी चौंकाने वाले नामों का ऐलान कर सकती है। ऐसा ही एक नाम कोरबा सीट से चर्चा में है। यहां से दुर्ग की सांसद रही सरोज पाण्डेय का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था। कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी ने उन्हें रिपीट नहीं किया है। भाजपा आलाकमान ने हाल ही में नामचीन बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़वाने का संकेत दिया था।
कोरबा लोकसभा सीट से वैसे तो कई दावेदारों की चर्चा है, लेकिन दुर्ग जिले में महापौर, विधायक और सांसद रह चुकीं सरोज पाण्डेय का नाम सर्वाधिक सुर्खियों में है। माना जा रहा है कि 2019 में कोरबा क्षेत्र से लोकसभा से चुनाव जीतने वाली ज्योत्सना महंत को कांग्रेस पार्टी फिर से प्रत्याशी बना सकती है। ऐसे में यदि भाजपा भी यहां से महिला प्रत्याशी उतारती है तो नजारा रोमांचक हो सकता है। ज्योत्सना महंत सीनियर कांग्रेस नेता और वर्तमान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी हैं। महंत खुद इस सीट से 2009 में सांसद रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के बंसीलाल महतो ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में एक बार फिर कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से हथिया ली थी। यह वह समय था जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी। बावजूद इसके भाजपा को कोरबा सीट से पराजय का सामना करना पड़ा। माना जा रहा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव पर हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव का असर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस इस सीट को बचाने की जुगत लगा रही है, जबकि भाजपा हर हाल में कोरबा को अपने पाले में देखना चाहती है। इसके चलते कोरबा लोकसभा क्षेत्र में दिलचस्प हालात होने की संभावना है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि सरोज पाण्डेय कद्दावर और दमदार नेत्री होने की वजह से कोरबा में नतीजों को बदलने का माद्दा रखतीं हैं।
बदलते रहे हैं प्रत्याशी
कोरबा संसदीय सीट की बात करें तो यहां के मतदाता हर बार अपना जनप्रतिनिधि बदलते रहे हैं। पिछले 3 चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो दो बार कांग्रेस और 1 बार भाजपा ने जीत हासिल की है। 2009 में यहां से डॉ. चरणदास महंत सांसद निर्वाचित हुए थे। वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे। इसके बाद हुए 2014 के अगले चुनाव में भाजपा के डॉ. बंशीलाल महतो सांसद निर्वाचित हुए। वहीं 2019 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी। यदि मतदाताओं की इसी परंपरा की चर्चा करें तो कोरबा के हालात भाजपा के लिए दुरूस्त कहे जा सकते हैं।
कांग्रेस से महंत ही प्रत्याशी
इधर, यह पूरी तरह से तय माना जा रहा है कि कांग्रेस का प्रत्याशी महंत ही होगा। प्रारंभिक तौर पर यह करीब-करीब तय है कि वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत ही कांग्रेस प्रत्याशी होंगी। लेकिन यदि किन्हीं कारणवश यह संभव नहीं हो पाता है तो पार्टी डॉ. चरणदास महंत को मैदान में उतार सकती है। डॉ. महंत पहले भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दी थी। जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के 4 दावेदारों में से एक चरणदास महंत भी थे। बाद में उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। वर्तमान में डॉ. महंत विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
भाजपा में कई और दावेदार
कोरबा लोकसभा सीट से भाजपा की ओर से दावेदारों की लंबी लाइन है, लेकिन विकास महतो का नाम दावेदारों की सूची में आगे है। विकास महतो पूर्व सांसद बंशीलाल महतो के सुपुत्र है। हालांकि बंशीलाल महतो का निधन हो चुका है। स्व. बंशीलाल महतो कोरबा सीट से 2014 से 2019 तक पार्टी के सांसद रहे। उनके निधन के बाद भाजपा ने विगत लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र विकास महतो को टिकट दिया था, लेकिन मोदी लहर के बावजूद वे चुनाव हार गए। महतो के अलावा पूर्व महापौर जागेश लांबा को भी पार्टी का बड़ा चेहरा माना जाता है। उन्होंने 2013 में पार्टी टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल से चुनाव हार गए थे।
टारगेट पर सभी सीटें
भाजपा ने राज्य की सभी 11 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2019 के चुनाव में पार्टी को 9 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं कोरबा और जगदलपुर की सीटों पर उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। पार्टी नेतृत्व लम्बे समय से बस्तर पर फोकस करता रहा है, इसलिए इस बार भाजपा जगदलपुर लोकसभा सीट को अपने लिए आसान मान रही है। इसीलिए दूसरी सीट कोरबा पर ज्यादा जोर-आजमाइश चल रही है। हालांकि भाजपा की एक चिंता जांजगीर चांपा जिला भी। यहां की जांजगीर सीट से हालिया सम्पन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है।