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Chhattisgarh : रायगढ़ः छत्तीसगढ़ में ऐसी कई जगहें हैं, जो अद्भुत हैं और अपने आप में कई रहस्य और पुराने इतिहास को समेटे हुए हैं. बात करें गुफाओं की तो राज्य के विभिन्न जिलों में ऐतिहासिक गुफाएं हैं, जिन सब का अपना एक अलग ही खास इतिहास रहा है. इन्हीं में से एक खास गुफा के बारे में आज हम आपको बताएंगे जहां कभी आदिमानव रहा करते थे. ये गुफाएं आदिमानवों का घर रहा करती थी, और यहीं उन्होंने चित्रकारी भी की जो की आज भी मौजूद हैं
Chhattisgarh : दरअसल रायगढ़ जिला उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पूर्व तक ओडिशा राज्य की सरहद से लगा हुआ है. इसका उत्तरी क्षेत्र बिहड़, जंगल, पहाड़ियों से भरा हुआ है. वहीं इसका दक्षिण हिस्सा ठेठ मैदानी है. आदिमानव आज की तरह घर नहीं बना सकते थे. इसलिए वह मौसम की मार और जंगली जानवरों से बचने के लिए प्राकृतिक रूप से बनी गुफाओं में ही शरण लेते थे और इन्हीं में रहते थे. इन गुफाओं को शैलाश्रय या फिर चट्टानों के घर कहते हैं.
उस समय आदिमानव जो भी देखते थे वह उसकी चित्रकारी उन गुफाओं में बना देते थे. जिन्हें रॉक पेंटिंग (शैल चित्र) कहा जाता है. छत्तीसगढ़ भी आदिमानवों के निवास का स्थान हुआ करता था. कबरा पहाड़ के शैलाश्रय पुरातात्विक स्थल है. यह गुफाएं रायगढ़ से 18 कि.मी. दूर विश्वनाथपाली और भद्रपाली गांव के पास की पहाड़ी में स्थित है. उस समय यह पहाड़ घनी झाड़ियों, वृक्षों से घिरा हुआ, दुर्गम स्थल हुआ करता था. कबरा शैलाश्रय के चित्र भी गहरे लाल, गेरू रंग में अंकित हैं. इसमें कछुआ, घोड़े और हिरणों की आकृतियां बनी हुई हैं. इन्हीं गुफाओं में वन्य पशु जंगली भैंसों का भी एक विशालकाय शैलचित्र है. जिससे इस बात के सबूत मिलते हैं की यह जानवर उस समय वहां पर अधिक पाए जाते थे.आप भी अगर गुफाओं में आदिमानवों द्वारा बनाई गई इन तस्वीरों को देखना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित इन गुफाओं तक पहुंच सकते हैं. हालांकि यहां पहुंच कर गुफाओं तक जाने के लिए आपको कुछ दूर ट्रेकिंग करनी होगी और यहां तक पहुंचने का मार्ग भी आसान नहीं है. इसलिए यहां जब भी जाएं पूरी तैयारी के साथ जाएं.