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Chhattisgarh Tribal Folk Art Academy : रायपुर। छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी की ओर से 9 दिवसीय नाचा समारोह के पांचवें दिन रविवार की शाम महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर के मुक्ताकाशी मंच पर दर्शकों ने ‘पइसा के खेल’ गम्मत का लुत्फ उठाया।
Chhattisgarh Tribal Folk Art Academy : इस नाचा गम्मत के माध्यम से पैसे का घमंड करने का नतीजा बताया गया। वहीं जोकर व अन्य पात्रों ने अपने हास्य-व्यंग्य से भरपूर संवादों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। भारत माता छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी रवेली (रनचिरई) पाटन दुर्ग की इस प्रस्तुति में समूह के प्रमुख गिरधारी विश्वकर्मा व सभी कलाकारों का आदिवासी लोक कला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल व अन्य लोगों द्वारा अभिनंदन किया गया !
यहां प्रस्तुत गम्मत के कथानक अनुसार किसान आर्थिक तंगी से जूझते हुए अपने दोनों बेटों का परवरिश कर पढ़ाता लिखाता और संस्कारवान बनाने का कोशिश करता है। एक मास्टर तो दूसरा इंजीनियर बनता है। बड़ा बेटा संस्कारवान सीधा-साधा व्यवहारशील और छोटा बेटा घमंडी है।
वह एक महिला के साथ प्रेम करने लगता है। कुछ दिनों बाद उनका बड़ा भाई मिलने आता है पैसे के घमंड में छोटा भाई अपने बड़े भाई का परिचय अपने घर के दरोगा के रूप में देता है और अपमानित करता है। लेकिन वह बड़ा भाई यह बात किसी से नहीं कहता। इसी तरह एक दिन पिताजी उनसे मिलने आते हैं तो घमंड में चूर इंजीनियर अपने पिता को घर का नौकर बता कर अपमानित करता है।
कुछ दिन बाद उसकी प्रेमिका से अनबन हो जाती है। इस बीच इंजीनियर की नौकरी भी चले जाती है। तब उसे जीवन की वास्तविकता का पता चलता है और अपने पिता व भाई से क्षमा याचना कर घर लौटता है। इस गम्मत की प्रस्तुति में गिरधारी विश्वकर्मा,पवन कुमार चंद्राकर संचालक,प्रभु राम टंडन मैनेजर,भीष्म कुमार यादव व अशोक कुमार साहू-जोकर,पुनाराम निर्मलकर-जनानी,उधो देशमुख,भवेंद्र कुमार और जीतू निषाद-डांसर,संगतकारों में सनत कुमार-हारमोनियम,कोमल-पेड, खोमलाल-तबला,डोलेश्वर प्रसाद-बैंजो,जमुना प्रसाद-शहनाई,मनमोहन-गोला और नारद-नाल की सहभागिता रही।