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भिलाई। शहर से लगे एक गांव हथखोज में एक बहू ने अपने सास ससुर की इच्छा पूरी करने के लिए सरकारी स्कूल परिसर में एक भवन बनवा दिया। इस भवन बच्चों के पढ़ने के लिए भव्य लाइब्रेरी बनावाई गई है। साथ ही भवन को ऐसा डिजायन किया गया ताकि यहां पर सांस्कृतिक आयोजन हो सके। दरअसल महिला के सास ससुर की इच्छा थी कि उसके गांव के बच्चे खूब पढ़े लेकिन वे इसके लिए कुछ नहीं कर पाए। लेकिन उनकी बहू ने अपने सास-ससूर की इच्छा पूरी करने भवन बनवाया।
यह पूरा मामला हथखोज के बंछोर परिवार से जुड़ा हुआ है। बंछोर परिवार कभी हथखोज गांव का रसूखदार परिवार था। इस गांव के उदय राम बंछोर व यशोदा बंछोर अपने जमाने के पढ़े लिखे शख्सियत थे। पढ़ाई लिखाई के महत्व को समझते थे। इसलिए चाहते थे कि गांव के बच्चे भी पढ़े, खूब बढ़े। बाद में बंछोर परिवार रायपुर शिफ्ट हो गया, पर गांव से और गांव के स्कूल से उनकी यादें जुड़ी रही।
इस बीच बंछोर परिवार का एक युवक अनिल बंछोर पढ़ लिखकर एक निजी कंपनी में बढ़ा अधिकारी बना। उनकी माता कृष्णा बंछोर की इच्छा होती है कि वह अपने सास ससुर की याद में गांव के सरकारी हाई स्कूल परिसर में एक भवन का निर्माण कराए। जिसमें बच्चे सांस्कृतिक तथा अन्य अयोजन कर सके। वहां एक लायब्रेरी हो, जिसमें खूब सारी किताबें हो, ताकि बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छी किताबें मिल सकें।
बंछोर परिवार की यह इच्छा पूरी हुई। मां कृष्णा बंछोर के इस सपने को पुत्र अनिल बंछोर ने पूरा किया। गांव के स्कूल परिसर में 91 लाख की लागत से एक भवन तथा लायब्रेरी का निर्माण कराया। जिसका 21 दिसंबर को लोकार्पण हुआ। पुत्रवधु की इच्छा पूरी हुई। इस भवन का नाम दिया गया यशोदय। यशोद (यशोदा बाई बंछोर) और उदय (उदय राम बंछोर) के नाम को मिलकर यशोदय। पुत्रवधु कृष्णा बंछोर ने अपने सास ससुर का सपना पूरा किया।
भव्य लोकार्पण कार्यक्रम में रवि शंकर विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुल सचिव एवं विवेकानंद विद्यापीठ रायपुर के सचिव डा. ओम प्रकाश वर्मा, भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व एजीएम भीषम लाल बंछोर, रिसाली नगर निगम के सभापति केशव बंछोर, शाला विकास एवं प्रबंध समिति के अध्यक्ष लिखेंद्र रमाकांत बंछोर, सेवानिवृत प्राचार्य किरण बाला वर्मा, पार्षद राकेश बंछोर, पारस बंछोर, अनिल बंछोर, दिलीप वर्मा एवं ग्राम हथखोज के गणमान्य नागरिक व प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।
कृष्ण बंछोर के पुत्र अनिल बंछोर ने बताया कि माता जी की इच्छा थी कि मेरे दादा दादी जी की याद में स्कूल को एक भवन व लायब्रेरी समर्पित किया जाए। आज माता जी की इच्छा पूरी हो गई। गांव के बच्चे अब इस भवन में सांस्कृतिक आयोजन कर सकेंगे। लायब्रेरी में अच्छी अच्छी किताबें पढ़ सकेंगे। इस सकारात्मक पहल से स्कूल के सभी छात्र लाभान्वित होंगे और विभिन्न शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित की जा सकेंगी।