पैसों के बदले इलाज करने वाले डॉक्टर, पत्नी भी शामिल, जानिए कैसे करता था डील…

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पैसों के बदले इलाज करने वाले रैकेट का खुलासा हुआ है। सीबीआई ने अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर मनीष रावत को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पैसों के बदले इलाज करने वाले रैकेट का खुलासा हुआ है। सीबीआई ने अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉक्टर मनीष रावत को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। डॉ रावत के खिलाफ पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। बताया जा रहा है कि जांच एजेंसी के निशाने पर ये रैकेट पहले से था। 6 साल पहले भी मरीजों से उगाही करने का आरोप डॉ रावत पर लग चुका है। अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर ने बताया कि आरोपी डॉक्टर के हावभाव से पहले से ही कुछ गड़बड़ लग रहा था। उसकी आदतें भी सही नहीं हैं। जांच में पता चला है कि आरोपी डॉक्टर ने एक शख्स से केरल में छुट्टियां मनाने के लिए 1 लाख रुपये लिए। वहीं उसकी पत्नी ने साड़ी की दुकान पर 19 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन कराया।

दिल्ली और यूपी में की छापेमारी
सीबीआई ने इस मामले में न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष रावत, कनिष्का सर्जिकल के दीपक खट्टर, कुलदीप और दो मिडलमैन को गिरफ्तार किया है। सूत्रों ने कहा कि हाल के तीन मामलों में, कथित तौर पर बिचौलियों के माध्यम से 1.15 लाख रुपये, 55,000 रुपये और 30,000 रुपये की रिश्वत ली गई, जिसके बाद सीबीआई को कार्रवाई करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि आरोपियों पर सीबीआई पिछले महीनेभर से नजर रखे हुए थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सीबीआई ने डॉक्टर के पूरे गठजोड़ का भंडाफोड़ कर दिया। इस मामले के तार दिल्ली से लेकर यूपी तक जुड़े हुए हैं। जांचे एजेंसी ने दोनों राज्यों में छापेमारी की।

बरेली से कैसे जुड़े हैं तार?
इस घटना के दौरान पता चला कि डॉ रावत दिल्ली के सरिता विहार में रहा करते थे। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यूरोसर्जरी में अपनी सुपर स्पेशियलिटी कोर्स पूरा किया। एक डॉक्टर ने बताया कि इसके बाद रावत यूपी के बरेली चले गए, वहां उन्होंने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस शुरू कर दी। तीन साल तक बरेली में रहने के बाद दिल्ली वापस आ गए। बता दें कि पैसे के बदले इलाज के इस मामले में भी बरेली से तार जुड़ रहे हैं। जांच में पता चा गै कि डॉ रावत बरेली स्थित गणेश चंद्र के माध्यम से रिश्वत को वैध कमाई में बदलने के लिए फर्जी फर्मों का इस्तेमाल करता था।