एंटीबायोटिक्स लगातार लेते रहे तो…. सर्दी-जुकाम को ठीक होने में लगेंगे महीनों, इसलिए ये उपाय करें…

हेल्थ डेस्क। क्या आप अक्सर डॉक्टर के पर्चे के बिना एंटीबायोटिक्स खरीदकर खा लेते हैं? अगर हां तो जान लीजिए कि ये आपको मुश्किल में डाल सकता है। एंटीबायोटिक्स दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल बैक्टीरिया को ‘सुपरबग​​​​​​’ में बदल रहा है।

हेल्थ डेस्क। क्या आप अक्सर डॉक्टर के पर्चे के बिना एंटीबायोटिक्स खरीदकर खा लेते हैं? अगर हां तो जान लीजिए कि ये आपको मुश्किल में डाल सकता है। एंटीबायोटिक्स दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल बैक्टीरिया को ‘सुपरबग​​​​​​’ में बदल रहा है। यानी ऐसे बैक्टीरिया जिनपर कुछ समय बाद कोई दवा असर नहीं करती।

अस्पताल से लेकर पीने के पानी और दूध तक में मौजूद ये सुपरबग इंसानों को जानलेवा बीमारियों का शिकार बना रहे हैं। हर साल लाखों लोगों की जान इन ‘सुपरबग्स’ की चपेट में आकर जा रही है। WHO सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंता जता रहे हैं कि बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक का बेतहाशा इस्तेमाल इसी तरह होता रहा तो अगले 25 साल में सभी एंटीबायोटिक्स दवाएं बेअसर हो जाएंगी।

अगर एंटीबायोटिक गोलियों को लेने में यही लापरवाही बनी रही तो भविष्य में बुखार और दस्त जैसी मामूली बीमारियों के बैक्टीरिया कोविड-19 से भी ज्यादा बड़ी तबाही मचा देंगे। 2050 के बाद हर साल मामूली बीमारी देने वाले बैक्टीरिया ही 1 करोड़ लोगों की जान ले सकते हैं, क्योंकि इन पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं पड़ेगा।

एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया को मारती हैं और बीमारी को रोकती हैं

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट व इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं कि बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज में काम आने वाली दवाओं को एंटीबायोटिक दवाएं कहते हैं। एंटीबायोटिक दो शब्दों ‘एंटी’ और ‘बायोस’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘एंटी लाइफ’। यानी ये दवाएं बैक्टीरिया को नष्ट कर, उन्हें बढ़ने से रोकती हैं। लेकिन, हर बीमारी की वजह बैक्टीरिया नहीं होते।

एंटीबायोटिक के ओवरयूज से बैक्टीरिया बन रहे सुपरबग

एंटीबायोटिक्स के ओवरयूज से मामूली बैक्टीरिया सुपरबग बन रहे हैं, जिससे मामूली समझे जाने वाले संक्रमण का इलाज भी कठिन हो रहा है। WHO के मुताबिक इस कारण न्यूमोनिया, टीबी, ब्लड पॉइजनिंग और गोनोरिया जैसी बीमारियों का इलाज कठिन होता जा रहा है। ICMR के मुताबिक यही वजह है कि निमोनिया, सेप्टीसीमिया के इलाज में यूज होने वाली दवा कार्बेपनेम पर रोक लगा दी गई है, क्योंकि अब यह दवा बैक्टीरिया पर बेअसर है।

नहीं बन पा रहीं नई दवाएं, WHO ने दी चेतावनी

वहीं दूसरी तरफ, इन सुपरबग से निपटने के लिए पर्याप्त नई दवाएं नहीं बन पा रही हैं। इस बारे में WHO ने भी हाल ही में चेतावनी जारी की है। इस समय दुनिया भर में सिर्फ 27 नई एंटीबायोटिक दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल हो रहा है। जिनमें से महज 6 दवाएं ऐसी हैं, जो असरदार एंटीबायोटिक्स बन सकती हैं और सिर्फ 2 दवाएं ऐसी हैं, जो सुपरबग को काबू कर पाएंगी।