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हेल्थ डेस्क। इस प्रश्न का एक ‘जनरल उत्तर’ देना बहुत कठिन है। यह स्त्री, पुरुष, प्रोफेशन, आयु और इतना ही नहीं पर्सन-टु-पर्सन डिपेंड करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर आदमी की ऐलर्जीस, फ़ूड को रेस्पॉन्ड करने का तरीका, और बचपन से डाली गई आदतें जिसके लिए हमारी बॉडी ट्यून हो चुकी होती है, सभी कुछ अलग होता है।
अगर आपको लगता है कि करिअर का सही खाने से भला क्या ताल्लुक हो सकता है…तो जरा सोचिए। क्या दफ्तर में दिन की शुरुआत करते समय आप खुद में स्फूर्ति महसूस करते हैं? या क्या क्लास में फोकस बनाए रखना आपके लिए आसान होता है या काफी कोशिश करनी पड़ती है? अगर इन कामों में आप दिक्कत महसूस करते हैं तो बहुत संभव है कि इसकी वजह आपके खान-पान में छुपी हो।
करिअर फंडा में स्वागत!
ऐसा कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में गुजरात सल्तनत के एक सुलतान मोहम्मद बेगड़ा की माता उन्हें बचपन से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर देती थीं, और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसकी मात्रा धीरे-धीरे बढाती गईं। नतीजा ये था कि मोहम्मद बेगड़ा का शरीर जहर के प्रति ‘प्रतिरोधी’ हो गया अर्थात उन पर जहर का असर नहीं होता था। कहने का अर्थ है बचपन से आदत डाली जाए तो मनुष्य की बॉडी कुछ भी खाने-पचाने के लिए ट्यून हो जाती है। (आप ऐसा कोई एक्सपेरिमेंट न करें)।
पर्सनल गाइडेंस एट माइक्रो लेवल
कई अत्यधिक जागरूक, सतर्क और धनवान लोग जिनमें खिलाड़ियों से लेकर, फिल्म स्टार्स और बिजनेसमेन तक हैं, अपने लिए डायटीशियन अपॉइंट करते हैं, जो महीनों तक उनकी लाइफ-स्टाइल और पर्सनल जानकारी को जानने के बाद उन्हें डेली बेसिस पर सजेशंस देते हैं। कहने का अर्थ यह है कि इस प्रश्न का उत्तर कोई आपको दस मिनट बात करके नहीं दे सकता और सामान्य व्यक्ति अपना पर्सनल डायटीशियन नियुक्त नहीं कर सकता।
सिंपल, नेचुरल तरीके से बना खाना
प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ, रुजुता दिवेकर कहती हैं, ‘जितना पैकेट खुलेगा, उतना पेट फूलेगा’। अर्थात प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड खाने से बचें, ये मोटापे का असली कारण है।
खाने का सही तरीका, मात्रा और समय
कहा गया है, ‘अति सर्वत्र वर्जयते’। अर्थात यदि बहुत अधिक पिया जाए या बहुत कम पिया जाए तो फिर चाहे वह पानी ही क्यों ना हो शरीर को नुकसान कर सकता है। अर्थात भोजन को उचित मात्रा में ग्रहण करना चाहिए, ना कम ना ज्यादा। भोजन करना, मेडिटेशन करने की तरह होता है, उसे तसल्ली, माइंडफुलनेस के साथ एक स्थान पर बैठकर, अपने पसंदीदा, करीबी लोगों के साथ करें। आइडियली सुबह के खाने का समय 11:30 से 1:00 तथा रात के खाने का समय 7:30 से 8:00 बजे के बीच होना चाहिए। फिर भी व्यस्तता के चलते यदि ऐसा संभव न हो तो भी एक फिक्स समय पर भोजन करने की आदत डालें, जिससे आपकी बॉडी ट्यून में आ सके।
भारत में सैकड़ों तरीकों के ‘शरबत’ बनाने के तरीके उपलब्ध हैं लेकिन फिर भी हम ‘अनहेल्दी’ कोल्ड ड्रिंक्स क्यों पीते हैं? पैकेज्ड चिप्स, बटर इत्यादि में ‘नमक’ की मात्रा भी अधिक होती है। तो ‘पीनट बटर’ के बजाय ‘मूंगफली दाना’ और ‘प्रोसेस्ड ऑलिव ऑयल’ के बजाय ‘कच्ची घानी का सरसों तेल’ क्यों नहीं? जिनमें पोषक तत्व भी ज्यादा होते हैं।