बिजनेस शुरू करने के लिए भारत की महिलाएं दुनिया के टॉप-5 में : 49 देशों पर हुई स्टडी

नॉलेज डेस्क। देश की महिलाएं खुद का बिजनेस शुरू करने के मामले में भी कहीं आगे हैं। इस मामले में दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी वाले देशों में अमेरिका के बाद हम दूसरे नंबर पर हैं। आबादी में हमसे लगभग बराबरी पर खड़े चीन से तुलना करें तो पिछले साढ़े 3 साल में अपना बिजनेस शुरू करने वाली महिलाओं की तादाद चीन के मुकाबले भारत में दोगुने से भी ज्यादा है।

नॉलेज डेस्क। देश की महिलाएं खुद का बिजनेस शुरू करने के मामले में भी कहीं आगे हैं। इस मामले में दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी वाले देशों में अमेरिका के बाद हम दूसरे नंबर पर हैं। आबादी में हमसे लगभग बराबरी पर खड़े चीन से तुलना करें तो पिछले साढ़े 3 साल में अपना बिजनेस शुरू करने वाली महिलाओं की तादाद चीन के मुकाबले भारत में दोगुने से भी ज्यादा है।

देश के नए उद्यमियों (एंटरप्रेन्योर) में महिलाओं की हिस्सेदारी जहां 11% तक है, वहीं चीन में यह आंकड़ा सिर्फ 5% पर अटका है। अमेरिका में यह हिस्सेदारी 18%, जर्मनी में 7% और जापान में सिर्फ 3.6% है। ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर की 2022-23 की ग्लोबल रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है। नया बिजनेस शुरू करने के लिए बेहतर देशों में भी UAE, सऊदी अरब, ताइवान के बाद भारत चौथे पर है।

प्रदर्शन: पुरुषों की कंपनी से 35% ज्यादा रिटर्न

  • बेन एंड कंपनी के सर्वे के मुताबिक, महिलाओं के मालिकाना हक वाले स्टार्ट-अप का ROI (रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट) पुरुष मालिकों की फर्म से 35% तक ज्यादा रहा है।
  • सर्वे यह भी बताता है कि ग्रामीण इलाकों में 45% से ज्यादा महिलाओं ने खुद की अलग पहचान बनाने के मकसद से अपना बिजनेस शुरू किया।
  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, देश के कुल 5.85 करोड़ उद्यमियों में से 80 लाख महिलाएं हैं, जो 14% की हिस्सेदारी दर्शाता है। इनकी कंपनियों में 2.2 से 2.7 करोड़ तक लोग काम करते हैं।
  • देश की 20% MSME इंडस्ट्रीज की मालिक महिलाएं हैं और करीब 23% लोगों को यही कंपनियां रोजगार दे रही हैं।
  • नया बिजनेस आइडिया देने वालों में महिलाओं की 40% हिस्सेदारी रही।

चुनौतियां: शुरुआती फंड जुटाना व सीमित दायरा

  • सीमित वुमन फ्रेंडली सेक्टर: अधिकांश महिला उद्यमी शिक्षा, कपड़े, ब्यूटी केयर जैसे सेक्टरों तक सीमित हैं। जबकि, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और इसी तरह के ज्यादा मुनाफे वाले कई सेक्टरों पर पुरुषों का दबदबा है।
  • घरेलू काम: करीब 43 करोड़ वर्किंग एज महिलाओं में 34 करोड़ ऐसे कामों में लगी हैं, जिनके लिए वेतन नहीं मिलता। रोजगारयोग्य 1.9 करोड़ महिलाओं के पास जॉब ही नहीं है।
  • फंड का इंतजाम: देश में अधिकांश महिलाओं के नाम पर कोई प्रॉपर्टी नहीं होती, जिससे नए बिजनेस के लिए लोन में मुश्किल होती है।