Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
Korba : कोरबा।सामाजिक कार्यकर्ता व एसईसीएल कोयला श्रमिक सभा के पूर्व केंद्रीय उपाध्यक्ष विनोद सिन्हा ने कोयला उद्योग में वेतन समझौते को लेकर कर्मचारी व अधिकारियों में बढ़ रही खाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कोल इंडिया स्थापना के समय से ही कोयला उद्योग में कार्यरत अधिकारियों ने कर्मचारियों की संख्या घटाने व आउटसोर्सिंग के जन्मदाता है सरकार को गुमराह कर गलत जानकारी देकर कर्मचारियों की संख्या लगातार घटाने तथा आउटसोर्सिंग के लिए पूर्ण रूप से कोयला उद्योग में कार्यरत अधिकारी जिम्मेदार हैं क्योंकि कोयला उद्योग में कार्यरत अधिकारी कोल इंडिया स्थापना के समय से सरकार को समय-समय पर आउटसोर्सिंग से कोयला उत्पादन में कम से कम खर्च होगा इसका सुझाव देकर कर्मचारियों की संख्या लगातार कम करवाते गए उदाहरण के तौर पर खदान से कोयला उत्पादन के लिए निजी कंपनियों के द्वारा 100 टन उत्पादन में अगर ₹10000 खर्च हो रही है वहीं कर्मचारियों से 10000 टन कोयला उत्पादन पर 20000 खर्च हो रहा है इसलिए आउटसोर्सिंग से काम करने का सुझाव देकर अधिकारियों ने शासन को गुमराह किया क्योंकि निजी वह आउटसोर्सिंग से कम करवाने पर अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का खुली सर्टिफिकेट मिल गई इसलिए अधिकारियों ने शासन को बचत का बहाना दिखाकर कर्मचारियों की संख्या घटाने तथा आउटसोर्सिंग से काम करवाने का सुझाव देकर मजदूर विरोधी कार्य करते रहे हैं।
Korba : सिन्हा ने आगे बताया कि कोल इंडिया स्थापना के समय जहां 8 लाख कर्मचारी कार्यरत थे वही आज घटकर ढाई लाख पर सिमट रह गया है वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की नई नियुक्ति नहीं हो रही है लेकिन करने आउटसोर्सिंग में देने के बावजूद अधिकारियों की नई नियुक्ति लगातार हो रही है जबकि आउटसोर्सिंग से कार्य होने पर अधिकारियों की संख्या नहीं के बराबर होनी चाहिए !
अधिकारी वर्ग में अनुकंपा नियुक्ति लिपिकिय वर्ग से शुरू होती है वहीं मजदूर की अनुकंपा नियुक्ति जनरल मजदूर कैटिगरी 1 पर्यवेक्षा अवधि में की जाती है फिर भी मजदूर कभी अधिकारी के पुत्रों का विरोध नहीं किया और आज अधिकारी मजदूरों के वेतन समझौते पर व्यवधान उत्पन्न कर स्वयं की हानि करने पर तुले हुए हैं ।
Korba : सिन्हा ने आगे बताया कि कमीशन खोरी व भ्रष्टाचार कोयला उद्योग को दीमक की तरह चाट रहे हैं नए कर्मचारियों की नियुक्ति होती है तो पर्यवेक्षा अवधि में 20 से 30000 ₹ तक वेतन मिलता है वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की प्रथम नियुक्ति पर भी यही स्थिति है कोयला उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों को कठिन परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर कोयले का उत्पादन होता है इसलिए उनका वेतन काम के आधार पर मिलता है इसकी तुलना अधिकारियों को नहीं करनी चाहिए !
सिन्हा ने सभी ट्रेड यूनियनों से अपील की है कि खदानों में चल रहे कमीशन खोरी व भ्रष्टाचार पर देश हित में रोक लगवाने के लिए अपनी महती भूमिका का निर्वहन करते हुए उच्च पदस्थ अधिकारियों के विरुद्ध अवैध संपत्ति की जांच करवाए तभी अधिकारी स्वत: नौकरी छोड़ कर चले जाएंगे।