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भिलाई। झारखंड के सिद्धपीठ बैद्यनाथ धाम की यात्रा पर गए विधायक रिकेश सेन ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नेक पहल की है। देवघर मंदिर प्रांगण और सभी पहुंच गली मार्ग में वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन द्वारा रबर मैट लगवाई जाएगी। इसके लिए विधायक सेन ने तत्काल 5 लाख का आज भुगतान कर दिया है, साथ ही ट्रस्ट को कहा कि और रूपये लगें तो दिया जायेगा मगर भक्तगण के भाव और दर्शन लाभ में कोई भी अड़चन कत्तई न आने पाए।
आपको बता दें कि 40 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद जब बाबा ने दर्शन के लिए पहली बार बुलाया तो पूजन, अभिषेक और श्रृंगार के बाद विधायक रिकेश सेन ने महसूस किया कि मंदिर प्रांगण तक पहुंचने सभी मार्ग पर पानी जमने से कीचड़नुमा गलियों से होकर श्रद्वालुओं को गुजरना पड़ता है। खासकर माताओं बहनों को खासी दिक्कत होती है नतीजतन अपने फौरी एक्शन के लिए पहचाने जाने वाले विधायक ने देवघर स्थित शासकीय और पंडों, दोनों ट्रस्ट प्रमुखों से बात कर तत्काल मंदिर प्रांगण और गलियों में रेड रबर मैट बिछवाने की अपनी इच्छा जताई। उनके इस निर्णय से ट्रस्ट और सभी पंडाओं ने सहर्ष सहमति दी। फिर क्या, विधायक सेन ने रबर मैट कंपनी के प्रतिनिधियों को मौके पर बुलवा कर वहीं इस्टीमेट बनवाया और स्वयं 5 लाख का भुगतान कर कार्य का श्रीगणेश भी करवा दिया। श्री सेन को ट्रस्ट और पंडा महाराज ने आश्वस्त किया कि आपकी इस पहल से जल्द यह काम पूर्ण करवाया जाएगा ताकि श्रद्धालुजनों को अब कीचड़युक्त गलियों से मुक्ति मिल सके और सभी बेहतर ढंग से दर्शन लाभ ले सकें।
पहुंचमार्ग की गलियों में कीचड़ से परेशानी
विधायक रिकेश सेन ने कहा कि यहां आकर मैंने देखा कि मंदिर के पहुंच मार्ग की गलियों में अनावश्यक पानी और कीचड़ फैले रहने से दर्शनार्थियों में, खासकर महिलाओं को काफी दिक्कतें होती हैं। लोग कीचड़ से बचने अपने पैरों तक कपड़े उठाकर चलते हैं तभी मैंने तय किया कि जिस तरह हम गुरुद्वारों में अपने पैर गीले कर जैसे ही भीतर प्रवेश करते हैं तो हमें लाल रंग की एक विशेष रबर मैट बिछी हुई मिलती है। ऐसी ही मैट पूरे मंदिर प्रांगण और पहुंच मार्ग तक बिछवाने का निर्णय मैंने तत्काल लिया और कीचड़ से बचने पूरे बाबा धाम प्रांगण में रबर मैट बिछवाने का काम आज से प्रारंभ करवाया जा रहा है। दोनों ही ट्रस्ट ने सहर्ष स्वीकृति दी है और ट्रस्ट की देखरेख में बेहतरीन ढंग से पूरी गुणवत्ता के साथ यह कार्य पूरा होगा।
अब समझ आया क्यों किया इतना लंबा इंतजार
गौरतलब हो कि बचपन से हर बार बाबा बैजनाथ के दर्शन की लालसा लिए रिकेश चार दशक तक देवघर नहीं जा पाए थे। हर बार उनका प्रयास जब विफल होता तो इसे वो बाबा की इच्छा मान इंतजार की कतार में खुद को खड़ा पाते थे। आखिरकार विधायक बनने के बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में झारखंड की जिस दुमका के नाला विधानसभा का प्रभारी बना कर भेजा वहां से देवघर समीप ही था नतीजतन 40 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद जब विधायक के रूप में बाबा ने रिकेश को बुलाया तो उन्हें न केवल दर्शन लाभ मिला बल्कि सोमवार को विशेष अभिषेक और अगले प्रदोष के सोमवार को बाबा के विशेष श्रृंगार का अवसर पाकर श्री सेन अभिभूत हुए। उन्होंने कहा कि मुझे अब समझ आया कि बाबा बैजनाथ तक पहुंचने के लिए इतना लंबा इंतजार मेरे नसीब में क्यों लिखा हुआ था। बाबा मुझसे क्या चाहते हैं यह तो मैं नहीं जानता मगर मैं बाबा का आशिर्वाद जरूर चाहता हूं, बाबा मुझे और मेरे क्षेत्रवासियों को हमेशा सुख शांति का आशिर्वाद प्रदान करें।
90 किमी कांवर यात्रा कर श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक
भारतवर्ष के झारखंड राज्य के देवघर नामक स्थान में अवस्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसका का एक नाम वैद्यनाथ भी है, इस कारण लोग इसे ‘वैद्यनाथ धाम’ भी कहते हैं। यह एक सिद्धपीठ है इस लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं। यहां देवघर में शिव का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर वर्ष सावन महीने में यहां श्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु “बोल-बम” “बोल-बम” का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं। भागलपुर से 26 किमी दूर सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा अविरल धारा में बहती हैं। अंग क्षेत्र का सुल्तानगंज अति प्राचीन काल से ही शैव स्थल रहा है। यहां उत्तरायण गंगा में स्थित, गिरि निर्मित, अति प्राचीन अजगैबीनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। पुराणों में उत्तरवाहिनी गंगा को विशेष महत्व दिया गया है। नारदीय पुराण में पता चलता है कि सुल्तानगंज की गंगा स्थित मनोरम पहाड़ी के ऊपर अजगैबीनाथ मंदिर एक कलश तीर्थ है इसलिए यहां की उत्तरवाहिनी गंगा पुण्यमयी बन गई हैं। यही कारण है कि प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज के तीर्थ से पवित्र पात्र में गंगा जल भर कर 90 किमी कांवर यात्रा कर देवघर स्थित भगवान शिव पर जलाभिषेक कर पुण्य के भागी बनते हैं।