जमुई में PM- प्रधानमंत्री ने 6 हजार 640 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की


जमुई। पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिन में दूसरी बार बिहार आए। जमुई के बल्लोपुर में शुक्रवार को वो भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम ने बिरसा मुंडा के नाम पर 150 रुपए का सिक्का और 5 रुपए का स्मारक डाक टिकट जारी किया है।

पीएम ने ये स्मारक सिक्का और डाक टिकट बिरसा मुंडा के वंशज को भेंट भी किया। इस दौरान पीएम ने 6,640 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसके अलावा दो जनजातीय फ्रीडम फाइटर म्यूजियम और दो जनजातीय रिसर्च सेंटर का उद्घाटन भी किया।

नीतीश कुमार के बाद पीएम मोदी मंच पर पहुंचे। करीब 40 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने आदिवासियों पर फोकस किया। परिवारवाद और आदिवासियों की अनदेखी को लेकर पिछली सरकारों को घेरा। नीतीश कुमार की तारीफ भी की।

आदिवासियों ने राजकुमार राम को भगवान राम बनाया

पीएम मोदी ने कहा कि ‘आदिवासी समाज वो है, जिसने राजकुमार राम को भगवान राम बनाया। आदिवासी समाज ने भारत की संस्कृति और आजादी की रक्षा के लिए, सैकड़ों सालों की लड़ाई को नेतृत्व दिया। आजादी के बाद के दशकों में आदिवासी इतिहास के योगदान को मिटाने के लिए कोशिश की गई। इसके पीछे भी स्वार्थ भरी राजनीति थी। राजनीति ये कि भारत की आजादी के लिए केवल एक ही दल को श्रेय दिया जाए।’ PM ने कहा कि ‘पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ही अलग से आदिवासी कल्याण मंत्रालय बना। पहले आदिवासियों के लिए 25 हजार करोड़ से भी कम का बजट था। हमारी सरकार ने इसे 5 गुना बढ़ाकर सवा लाख करोड़ तक पहुंचाया।’

उन्होंने कहा कि ‘हमारी सरकार ने आदिवासी विरासत को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। आदिवासी कला और संस्कृति के लिए समर्पित कई लोगों को पद्म आदिवासी कला और संस्कृति के लिए समर्पित कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हमने रांची में भगवान बिरसा के नाम पर एक विशाल संग्रहालय शुरू किया है। आज श्रीनगर और सिक्किम में दो आदिवासी अनुसंधान केंद्रों का भी उद्घाटन किया गया है।

PM ने कहा कि ‘एनडीए सरकार ने लेह में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोवा रिग्पा, अरुणाचल में नॉर्थ ईस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद एंड फोक मेडिसिन रिसर्च की स्थापना की है। भारत में WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन भी बनाया जा रहा है, इससे भारतीय आदिवासियों की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को देश और दुनिया तक पहुंचने में मदद मिलेगी।’