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भिलाई। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित द्वितीय अंतराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में भिलाई छत्तीसगढ़ के चित्रकार ललित दुबे की कलाकृति आकर्षण का केन्द्र रही। ललित दुबे ने राम-राम शब्दों को जोड़कर ऐसी शानदार कलाकृति बनाई जिसे देखने वालों ने जमकर सराहा। भोपाल में यह कार्यक्रम तुलसी मानस प्रतिष्ठान और रामायण केन्द्र भोपाल द्वारा मानस भवन भोपाल में किया गया। प्रर्दशनी का उद्घाटन पूर्व सांसद रघुनन्दन शर्मा, एमपी के कैबिनेट मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी व इंडोनेशिया से आए अजित सिंह चौहान द्वारा किया गया।
इस पप्रर्दशनी में दक्षिण एशियाई देशों कम्बोडिया, म्यांमार, लाओस, इंडोनेशिया के दुर्लभ मंदिरों के चित्र प्रदर्शन के लिए लगाए गए। अलग अलग देशों की कलाकृतियों के बीच भिलाई के ललित दुबे द्वारा राम-राम शब्दों से बनी चित्रकला विशेष आर्कषण का केन्द्र रही। सामान्यतः चित्रकला रंग एवं ब्रस से बनाया जाता है किन्तु ललित दुबे द्वारा बनाई गई चित्रकला शैली से हटकर है। रंगीन पेन से ड्राइंग शीट पर राम-राम लिखते जाते है और कलाकृति बनती जाती है। एक नजर में पेंटिग सामान्य लगता है किन्तु गौर से देखने पर अत्यंत छोटे शब्दों से राम-राम लिखा नजर आता है।
चित्रकला में रंगों में, रेखाओं में राम ही राम नजर आता है। प्रर्दशनी में 3 X 2 फिट के ड्राइंग शीट साइज का विभिन्न देवी-देवताओं का तांत्रिक यंत्र, मार्डन एवं पारम्पारिक शैली के राम-राम शब्दों से 25 चित्र लगाये गये। इनके मुख्य आर्कषण का केन्द्र 35 फिट लम्बे ड्राइंग शीट पर राम-राम लिखकर रामायण के मुख्य प्रसंगों का जिससे राम जन्म से राम दरबार तक का चित्रण अत्यंत दुर्लभ कृति के रूप में सामने आई। इस कलाकृति में करोड़ों बार राम-राम लिखकर रामायण बनाया गया है।
रामायण कृति के लिए चित्रकला को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में सबसे लंबी टाइपोग्राफ़िक पेंटिंग (Longest Typographic Painting) के नाम से दर्ज किया गया है। ललित दुबे को चित्रकला एवं मूर्तिकला, समाज सेवा में राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया है। ललित दुबे के पेंटिग प्रर्दशनी में डॉ. राजेश श्रीवास्तव निर्देशक रामायण केन्द्र भोपाल, डॉ. आरजी सोनी सेवानिवृत्त अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक मध्य प्रदेश एवं लेखक राम वनगमन पथ पुनरावलोकन शोध ग्रंथ, कमेश जैमिनी वरिष्ठ छायाकार एवं उपाध्यक्ष पं. राम किंकर उपाध्याय शोध केन्द्र सत्येन्द्र शर्मा भिलाई का विशेष सहयोग रहा।