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वायनाड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (10 अगस्त) को केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड प्रभावित इलाका का दौरा किया। उन्होंने लैंडस्लाइड प्रभावित चूरलमाला, मुंडक्कई और पुंचिरीमट्टम गांवों का हवाई सर्वेक्षण किया। पीएम ने कहा कि ये त्रासदी सामान्य नहीं हैं। सैकड़ों परिवारों के सपने उजड़ गए। प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। मैं ऐसे कई परिवारों से मिला जिन्होंने वो देखा और झेला।
मोदी सुबह 11 बजे स्पेशल विमान से कन्नूर एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से वायनाड गए। उनका हेलीकॉप्टर वायनाड के कलपेट्टा में उतरा। पीएम सबसे पहले जी.वी.एच.एस. स्कूल वेल्लारमाला गए। इस स्कूल में 582 छात्र थे, जिनमें से 27 लैंडस्लाइड के बाद लापता हैं। प्रधानमंत्री ने स्कूल में 15 मिनट बिताए।
उन्होंने सीएम विजयन और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी से पूछा कि कितने बच्चों ने अपने परिवार को खोया है। कलपेट्टा से मोदी सड़क के रास्ते लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों में गए और रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। उन्होंने राहत शिविरों और अस्पतालों में पीड़ितों से मुलाकात की। PM मोदी चूरलमाला में 190 फुट लंबे बेली ब्रिज पर भी गए, जिसे भारतीय सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बनाया था।
वायनाड में 29 जुलाई की रात करीब 2 बजे और 4 बजे के बीच मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में लैंडस्लाइड हुए थे। इनमें अबतक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 138 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। 9 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद 8 अगस्त को सेना वायनाड से वापस लौटी है। अभी NDRF रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।
पीड़ितों से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सीएम पिनाराई विजयन और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्हें हादसे और रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई। पीएम के साथ वायनाड गए केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी भी बैठक में शामिल थे। शाम को वे दिल्ली रवाना हो गए।
बैठक में पीएम ने कहा- ये त्रासदी सामान्य नहीं हैं। सैकड़ों परिवार के सपने उजड़ गए। प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। मैं ऐसे कई परिवारों से मिला जिन्होंने वो देखा और झेला। अस्पताल में भी उन मरीजों से मिला जो इस आपदा के कारण बहुत ही मुसीबत का समय बिता रहे हैं। कई बच्चे हैं जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हर तरह लोगों की मदद करेगी।
पीएम ने 1979 की घटना का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसी आपदा को बहुत पास से देखा है। मोरबी शहर में मिट्टी का डैम बारिश के कारण टूट गया था। शहर में 10 से 12 फीट पानी भर गया था। करीब ढाई हजार लोगों की जान गई थी। मैंने तब वहां पर वॉलिंटियर वर्क किया था और करीब 6 महीने वहां रहा था।
प्रधानमंत्री के वायनाड दौरे से एक दिन पहले शुक्रवार (9 अगस्त) को केरल सरकार ने पुनर्वास और राहत-बचाव के काम के लिए केंद्र से 2,000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद मांगी थी। साथ ही वायनाड त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।
वायनाड में 29 जुलाई की रात करीब 2 बजे और 4 बजे के बीच मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में लैंडस्लाइड हुए थे। 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 138 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। 9 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद 8 अगस्त को सेना वायनाड से वापस लौट गई है। अभी NDRF रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।