सीतारमण बोलीं- मंत्री के हलवा बांटने की परंपरा UPA लाई


नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (30 जुलाई) को बजट पर सांसदों के पूछे गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के हलवा बांटने की परंपरा UPA सरकार मे शुरू हुई थी। तब किसी ने नहीं पूछा कि बजट बनाने वाले अफसरों में SC-ST, OBC कितने हैं।

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में 29 जुलाई को बजट के पहले वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी पर सवाल उठाए थे। उस वक्त की फोटो दिखाते हुए पूछा था कि इसमें एक भी आदिवासी, दलित या पिछड़ा अफसर नहीं दिख रहा है। 20 अफसरों ने बजट तैयार किया।

विपक्ष ने बजट भाषण में सिर्फ दो राज्यों (बिहार और आंध्र प्रदेश) के जिक्र की बात की थी। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि अगर किसी राज्य का नाम नहीं लिया गया तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसे विकास के लिए पैसा नहीं मिलेगा। 2004-05 के बजट भाषण में 17 राज्यों का नाम नहीं लिया गया था। मैं उस समय यूपीए सरकार का हिस्सा रहे सदस्यों से पूछना चाहती हूं कि क्या सरकार की तरफ से पैसा केवल 17 राज्यों को गया? क्या बाकी राज्यों को पैसा रोक दिया था? 2005-06 में 18 राज्यों का जिक्र नहीं था, 2007-08 में 16 राज्यों का नाम नहीं लिया गया। 2009-10 में 26 राज्यों का नाम नहीं लिया गया। 2009-10 के पूर्ण बजट में 20 राज्यों का नाम नहीं था।

हमने बजट में जम्मू-कश्मीर को 17 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी है। इसमें वहां की पुलिस को 12 हजार करोड़ की मदद शामिल है। यही वह बोझ है, जिसे हम अपने कंधों पर लेना चाहते हैं, ताकि जम्मू-कश्मीर में विकास गतिविधियों पर पैसा खर्च करने में ज्यादा लचीलापन हो।

2008 में ग्लोबल फाइनेंस क्राइसिस के समय UPA सरकार ने हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड एजुकेटेड सरकार के रिकॉर्ड ही रिकॉर्ड ही हैं। इनकी महंगाई के रिकॉर्ड को तोड़ना मुश्किल है। कांग्रेस आई, महंगाई लाई, ये इनका रिकॉर्ड है। एक RBI गवर्नर ने अपनी किताब में महंगाई को लेकर लिखा था – वित्त मंत्रालय आरबीआई पर दबाव बनाता था कि ठीक से मैनेज कीजिए, नहीं तो सेंटीमेंट बिगड़ जाएगा। ये हमसे पूछते हैं कि इकोनॉमी कैसे मैनेज कर रहे हो।

बेरोजगारी पर 15 सदस्यों ने बात की। हम इस बजट में यूथ के लिए पांच ऐसी स्कीम का युवा पैकेज ले आए हैं, जिसमें स्किल ट्रेनिंग और रोजगार सब हैं। 29 करोड़ मुद्रा लोन का अब तक डिस्बर्सल हुआ है, जिसकी वजह से हमने इसका अमाउंट बढ़ाया है।

वित्त मंत्री ने RBI के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि UPA सरकार के समय में टोटल एम्प्लॉइमेंट घटा, विपक्ष उसकी चर्चा नहीं करता। वित्त मंत्री ने UPA के 10 साल में एम्प्लॉइमेंट का आंकड़ा गिनाते हुए कहा कि गलत प्रचार करना बंद करें, डेटा आपके खिलाफ है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स जैसे फ्रॉड इंडिकेटर भारत में काम नहीं करते। इसकी विश्वसनीयता पर बात रखना चाहती हूं। पाकिस्तान, सूडान जैसे देशों को भारत से आगे रैंकिंग कैसे मिल रही है? अफ्रीकन देशों में प्रति व्यक्ति आय आज भी कम है। पाकिस्तान में आटे की किल्लत है। भारत जैसे देश में हम 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज दे रहे हैं। फिर ये (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) विश्वसनीयता कैसे साबित करेंगे?

कृषि और किसान कल्याण के लिए 2013-14 में 24 हजार 900 करोड़ दिए गए। आज ये बढ़कर एक लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को अब तक 3 लाख 24 हजार करोड़ दिए जा चुके हैं। 2014 में किसान 14% किसान लोन ले रहे थे, अभी 76% किसान सब्सिडी के साथ लोन ले रहे हैं। 2006 में स्वामीनाथन कमेटी ने जो सिफारिश की थी, उसे UPA सरकार ने स्वीकार नहीं किया था।

हलवा वाली बात उठाने से मुझे दुख हुआ। बजट से पहले हलवा सेरेमनी बहुत पहले से हो रही है। मिंटो रोड में जब प्रिंटिंग प्रेस थी, वहां बजट प्रिंट होता था। जब कर्मचारी बजट पेश होने तक बाहर नहीं आते थे, तब उनके लिए हलवा बनता था। भारत में अच्छा काम शुरू करने से पहले मुंह मीठा कराने की परंपरा है। नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट ये हलवा स्टाफ खुद बनाता है।

मैं दो लोगों का सम्मान करना चाहती हूं, जो प्रिंटिंग के स्टाफ हैं। रिटायर्ड अफसर कुलदीप शर्मा प्रेस के डिप्टी मैनेजर थे। उनके ऑफिस में रहने के दौरान पिता के निधन की खबर मिली, लेकिन वे बाहर नहीं निकले। दूसरे सुभाष हैं। उनके ऑफिस में रहने के दौरान बेटे के निधन का मैसेज आया। उन्होंने कहा कि मेरी जिम्मेदारी पहले है। मैं बाहर नहीं जाऊंगा। हलवा बनाना, ऑफिस में रहना, कर्तव्य निभाने के बाद बाहर आना… इसे नीचे दिखाना सही नहीं है।

एससी को लेकर नेहरूजी का कोट वित्त मंत्री ने पढ़ा, जिसमें उन्होंने रिजर्वेशन का विरोध करने की बात कही थी। काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट कांग्रेस की हर सरकार दरकिनार कर दी। 1980 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट इंदिरा गांधी की सरकार के समय आई थी, जिसे किनारे कर दिया गया। कांग्रेस का नारा था- न जात पर न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर। आज फोटो में SC-ST, OBC के बारे में पूछा जा रहा है।

राजीव गांधी ने आलोक मेहता को 1985 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि नो प्रमोशन टू इडियट्स ऑन द नेम ऑफ रिजर्वेशन (आरक्षण के नाम पर मूर्खों को प्रमोशन नहीं दिया जा सकता)। आज ये रिजर्वेशन पर बात कर रहे हैं। आप जानना चाहती हूं कि राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने SC हैं। 9 लोग हैं, कोई SC नहीं है। राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में 5 लोग हैं, एक भी SC नहीं दिख है।